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Tag: कुंडली

Kundli me dashmesh: कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 10th lord in 12 different houses

Kundli me dashmesh: कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 10th lord in 12 different houses

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Kundli me dashmesh: कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 10th lord in 12 different houses Kundli me dashmesh:कुंडली में दशम भाव कर्म को निर्धारित करता है । यह हमारे जीवन से जुड़े हुए सभी कार्यों को और साथ ही साथ हमारे व्यवसाय या हमारे शुभ कर्म या अशुभ कर्म प्रकार के कार्यों का निर्धारण करता है।  इसके साथ ही दशम भाव से हमारे पिता की धन की स्थिति भी पता चलती है और दशम के सप्तम ( सातवे ) यानि चतुर्थ ( चौथे ) भाव पर दशम भाव का प्रभाव होने से हमारे आवास अर्थात हमारा मकान भी इस भाव से प्रभावित होता है इसलिए दशम भाव तो बिना देखे और साथ ही साथ बिना दशांश कुंडली के अध्ययन करें किसी भी व्यक्ति के कार्यों का फलित कभी भी नहीं करना चाहिए, आइए अब जानते हैं कुंडली में दशम भाव के स्वामी दशमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति Kundli me dashmesh : 10th lord in 12 different house...
Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

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Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव मृत्यु का भाव कहलाता है। इसके साथ ही ये अकस्मात धन प्राप्ति का भाव भी होता है । अष्टम भाव का लग्न या पंचम भाव से संबंध होने से वो गुप्त विद्या की अच्छी समझ होती है , ऐसा व्यक्ति किसी विशेष कला में दक्ष हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली मे अष्टमेश का संबंध पंचम अथवा लग्न भाव से हो तो ऐसे व्यक्ति मे कोई न कोई कला अवश्य होती है। वहीं पंचमेश और अष्टमेश का संबंध आकस्मिक धन प्रदान करता हैं और जब अष्टम भाव का संबंध त्रिकोण से हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक धैर्यवान होता है । आइये आज समझते हैं कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति Kundli me Ashtmesh: 8th lord in 12 different houses 1. कुंडली में अष्टम...
Kundli me chaturtesh : कुंडली मे चतुर्थ भाव के स्वामी सुखेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 4th lord in 12 different houses

Kundli me chaturtesh : कुंडली मे चतुर्थ भाव के स्वामी सुखेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 4th lord in 12 different houses

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Kundli me Chaturtesh:कुंडली मे चतुर्थ भाव सुखेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 4th lord in 12 different houses kundli me chaturtesh: आज हम कुंडली मे सुखेश की विभिन्न भावों मे स्थिति विषय को समझने का प्रयास करेंगे (4 th lord in 12 different houses ) इससे पहले हम कुंडली में चतुर्थ भाव को समझने का प्रयास करते हैं , कुंडली में चतुर्थ भाव को सुख भाव भी कहते हैं क्योंकि यही भाव हमारे आवास , माता , माता से संबंध , वाहन, भूमि , भौतिक संपदा आदि के विषय मे बताता है । यदि चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह होते है तो जीवन सुखी और अशुभ ग्रह होने पर जीवन मे कष्ट आते हैं , जीवम मे सुख या दुख को धन के मापदंड से न निर्धारित करें क्योंकि 4th भाव मे अशुभ ग्रह होने पर व्यक्ति धनवान तो हो सकता है किन्तु दुखी अवश्य होगा , हाँ यदि उस व्यक्ति के सुख अनैतिक कर्म ही हों तो वो 4th मे अशुभ ग्रह होने पर भी सुखी हो सकता है । ...
kundli me tritiyesh:कुंडली मे पराक्रमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 3rd lord in 12 different houses

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kundli me tritiyesh:कुंडली मे पराक्रमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 3rd lord in 12 different houses kundli me tritiyesh: आज हम कुंडली मे पराक्रमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति विषय को समझने का प्रयास करेंगे (3rd lord in 12 different houses ) इससे पहले हम कुंडली में तृतीय भाव को समझने का प्रयास करते हैं , कुंडली में तृतीय भाव किसी भी व्यक्ति के साहस, पराक्रम, धैर्य, लेखन क्षमता , यात्रा,छोटे भाई-बहन, मित्र के विषय मे बताता है और साथ ही ये हमारी संवाद शैली को भी दर्शाता है। ये  भाव हमारी इच्छाशक्ति , दायां कान, बुद्धिमत्ता, कम दूरी की यात्राएँ आदि को भी दर्शाता है । चूंकि तृतीय भाव ,अष्टम भाव से अष्टम होता है इसलिए ये हमारी आयु और चतुर्थ भाव से द्वादश होता है इसलिए माता की आयु भी बताता है तृतीय भाव मुख्य रूप से शिक्षा या ज्ञान प्राप्ति के लिए किये गये प्रयासों व इसके प्रति हमारे झुकाव को...
कुंडली मे शनि का प्रभाव kundli me shani ke prabhav-12 effect of saturn in horoscope

कुंडली मे शनि का प्रभाव kundli me shani ke prabhav-12 effect of saturn in horoscope

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कुंडली मे शनि का प्रभाव kundli me shani ke prabhav-12 effect of saturn in horoscope kundli me shani ke prabhav: कुंडली मे शनि का प्रभाव अर्थात फल अन्य सभी ग्रहों की अपेक्षा अधिक समय तक रहता है क्योंकि शनि बहुत मन्द गति से चलते है। ये एक राशि से दूसरी राशि मे जाने के लिए ढाई वर्ष ले लेते हैं । शनि ग्रह को सूर्य का पुत्र कहा गया है और साथ ही काल भैरव अर्थात न्याय का स्वामी माना गया है । शनि मृत्युलोक यानि पृथ्वी के न्यायाधीश भी कहलाते हैं और शनि का न्याय छाया ग्रह राहु एवं केतु के द्वारा पापियों को दंड देने से पूर्ण होता है। आइये हम सब जानने का प्रयास करते हैं कुंडली मे शनि की स्थिति कुंडली मे शनि का प्रभाव -kundli me shani ke prabhav effect of saturn in horoscope कुंडली का दशम भाव कर्म का भाव है और काल पुरुष की कुंडली मे शनि दशम व एकादश भाव का स्वामी कहा गया है , शनि एक दृ...
kundli me lagnesh: कुंडली मे लग्नेश की विभिन्न भावों मे स्थिति lagnesh in 12 different houses

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kundli me lagnesh: कुंडली मे लग्नेश की विभिन्न भावों मे स्थिति lagnesh in 12 different houses kundli me lagnesh: कुंडली मे लग्नेश की विभिन्न भावों मे स्थिति lagnesh in 12 houses) के अनुसार ही हमे हमारे जीवन मे विभिन्न फल प्राप्त होते हैं आइये जानते हैं उन फलों का प्र भाव कुंडली मे लग्नेश kundli me lagnesh) की स्थिति के अनुसार कुंडली मे लग्नेश की विभिन्न भावों मे स्थिति kundli me lagnesh in 12 different houses 1) प्रथम भाव अर्थात् लग्न का स्वामी लग्नेश यदि लग्न अर्थात् प्रथम भाव में हो बैठा हो, तो व्यक्ति दीर्घायु, स्वस्थ, नीरोग, अत्यंत बलवान, राजा अथवा भूमि का स्वामी होता हैं। 2) प्रथम भाव का स्वामी लग्नेश यदि 2nd भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति स्थूल शरीर वाला, बलवान, दीर्घजीवी, धनवान, अत्यंत धर्मात्मा, राजा अथवा भूस्वामी होता है। 3) प्रथम भाव का स्वामी लग्नेश यदि 3rd भाव में ब...
कुंडली मे चंद्रमा के शुभ और अशुभ योग-केमद्रुम वोशि वेशि व उभयचरी योग kundli me chandrama

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कुंडली मे चंद्रमा के शुभ और अशुभ योग-केमद्रुम वोशि वेशि व उभयचरी योग kundli me chandrama kundli me chandrama : कुंडली मे चंद्रमा के शुभ और अशुभ योग अनेक प्रकार के होते है जैसे केमद्रुम योग वोशि योग वेशि योग व उभयचरी योग आदि , यहाँ maihindu.com आपको चंद्रमा के कुछ शुभ और अशुभ योग बता रहा है और आप इन योगों को अपनी कुंडली मे देख उनसे जुड़े उपाय भी कर सकते हैं तो आइये जानते हैं कुंडली मे चंद्रमा के शुभ और अशुभ योग kundli me chandrama केमद्रुम योग  यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा से दूसरे तथा बारहवें स्थान में कोई भी ग्रह न हो, तो 'केमद्रुम' नामक योग होता है। इस योग में जन्म लेने वाला मनुष्य स्त्री-पुत्र से हीन, दुःखी, अपने कुटुंबियों के सुख से हीन, मलिन वस्त्रधारी, नीच, डरपोक, कुत्सित आचार-विचारों वाला, व्यर्थ बोलने वाला, निर्धन परंतु दीर्घायु होता है। ऐसा व्यक्ति चाहे राजा के घर में ही जन्...
कुंडली में शुभ योग: इन 7 योग में उत्पन्न व्यक्ति ,कीर्तिवान,यशस्वी तथा राजा के समान ऐश्वर्यवान होता है-kundli me shubh yog

कुंडली में शुभ योग: इन 7 योग में उत्पन्न व्यक्ति ,कीर्तिवान,यशस्वी तथा राजा के समान ऐश्वर्यवान होता है-kundli me shubh yog

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कुंडली में शुभ योग: इन 7 योग में उत्पन्न व्यक्ति ,कीर्तिवान,यशस्वी तथा राजा के समान ऐश्वर्यवान होता है-kundli me shubh yog कुंडली में शुभ योग ( kundli me shubh yog ): जब आपकी कुंडली में शुभ ग्रह योग में से कोई एक योग होगा तो आपको जीवन में सफलता मिलती है । कुंडली में शुभ योग अनेक होते है जिनमे से कुछ शुभ और प्रबल योग हम यहाँ आपको बता रहे हैं। यहाँ बताए गए कुंडली में शुभ हमारे जीवन में संघर्ष नहीं आने देते है।कुंडली में शुभ योग kundli me shubh yog आइये हम सब जानते हैं ये कुंडली में शुभ योग हमारी कुंडली मे ? कुंडली में शुभ योग kundli me shubh yog अर्द्ध चंद्र योग  जन्म-कुंडली में केंद्र से भिन्न किसी भी स्थान से आरंभ करके निरंतर सात भावों में सातों ग्रहों की स्थिति हो, तो 'अर्द्ध चंद्र योग' होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सेनापति, जननायक, राजा द्वारा उच्च सम्मान प्राप्त कर...
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