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meenakshi temple madurai मीनाक्षी मंदिर मदुरै Goddess Parvati ruled here
meenakshi temple madurai : भारत के तमिलनाडु राज्य में 2500 वर्ष से भी पुराना नगर मदुरै है जिसका निर्माण पांडियन राजा कुलशेखर ने 6वीं शताब्दी में कराया था। मदुरै नगर में स्थित है ,माता पार्वती ( मीनाक्षी ) और भगवान् शिव ( सुन्दरेश्वर ) का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व वाला मंदिर जिसे मीनाक्षी अम्मा मंदिर या मीनाक्षी -सुंदरेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
हिन्दू धर्मानुसार इस स्थान पर भगवान शिव ने सुंदरेश्वर का रूप धारण करके , माता पार्वती जिन्हें मीनाक्षी भी बोला जाता है, से विवाह किया था| मीनाक्षी मंदिर प्रतिदिन लगभग 20 हज़ार तीर्थयात्री आते हैं। मंदिर में सबसे अधिक तीर्थयात्री शुक्रवार के दिन आते है,इस दिन इनकी संख्या लगभग 30-35 हज़ार हो जाती है|
मीनाक्षी मंदिर मदुरै जाने का सबसे अच्छा समय
best time to visit meenakshi temple madurai
अक्टूबर से मार्च का समय यानि सर्दियों का मौसम मीनाक्षी मंदिर आने के लिए सबसे अच्छा होता है यदि आप यहाँ के अति पवित्र वार्षिक पर्व “मीनाक्षी तिरुकल्याणम” का आनंद लेना चाहते है तो यहाँ अप्रैल और मई के महीने में आ सकते है,क्योंकि ये पर्व यहाँ प्रतिवर्ष अप्रैल और मई के महीने में महोत्सव मनाया जाता है जोकि 10 दिनों तक चलता है,जिसमे लगभग 10 लाख दर्शनार्थी आते है |
मीनाक्षी मंदिर में दिन भर भक्त आते रहते है लेकिन मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय सुबह का है जब कम भीड़ रहती है और वातावरण में दिव्यता का अनुभव होता है |
मीनाक्षी मंदिर में दर्शन का समय || meenakshi temple madurai timings
मीनाक्षी मंदिर में दर्शन का समय प्रातः 5 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक है,जिसमे 5 से 6:30 की पहली पूजा का समय है और संध्या के समय 4 बजे से रात 9.30 बजे तक है |
मंदिर प्रातः 4:30 बजे खुलता है, यदि आप इस समय दर्शन के लिए लगने वाली पंक्ति में लग जाते है तो आपको अच्छे दर्शन हो जायेंगे | इस समय भी पंक्ति में 300 से 400 लोग होते है |
मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला || meenakshi temple madurai architecture
ये मंदिर 16वीं शताब्दी में द्रविड शैली में बनवाया गया था। मीनाक्षी मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए संसार भर में प्रसिद्द है | मीनाक्षी मंदिर का गर्भगृह 3500 वर्ष पुराना और बाहरी दीवारे 1500 से 2000 वर्ष पुरानी हैं | मदुरै नगर के मध्य में स्थित ये मंदिर परिसर 14 एकड़ में फैला हुआ है| मंदिर परिसर के भीतर अन्य आकर्षक मंदिर भी स्थित हैं ।
भागवान सुंदरेश्वर और माता मीनाक्षी को समर्पित 2 मुख्य मंदिर हैं लेकिन इनके अतिरिक्त मंदिर में गणेश भगवान और मुरुगन ( कार्तिकेय भगवान ) के मंदिर है जैसे कई अन्य देवताओं को समर्पित मंदिर हैं। मंदिर में माता लक्ष्मी, रुक्मिणी और सरस्वती भी विराजित हैं। मंदिर में 14 मीनार रुपी द्वार है जिन्हें गोपुरम कहा जाता है| ये बहुमंजिली इमारते है, इनमे चार मुख्य द्वार (गोपुरम) हैं जो आकृति में एक दूसरे के समान दिखते हैं| इनमे दक्षिण द्वार यानि गोपुरम सर्वोतम है|
मीनाक्षी मंदिर की पौराणिक कथा || मीनाक्षी मंदिर का इतिहास
(meenakshi temple madurai history)
पांड्य राजवंश के राजा मलयध्वज पांड्या और रानी कांचन माला की कोई संतान न होने के कारण उन दोनों ने घोर तपस्या की जिसके फलस्वरूप माता पार्वती एक यज्ञ की अग्नि में से तीन वर्षीय बालिका के रूप में प्रकट हुई | इनके नेत्र मछ्ली जैसे थे इसीलिए इनका नाम मीनाक्षी हुआ| इन्हें मलयध्वज पांड्या ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया|
आगे चलकर मीनाक्षी ने प्राचीन नगर मदुरै पर शासन किया और आसपास के राज्यों’ को अपने राज्य में मिला ,अपना राज्य विस्तार किया | ऐसा माना जाता है कि मीनाक्षी ने इंद्रलोक भी जीत लिया | बाद में मीनाक्षी ,सुन्दरेश्वर रूप में भगवान् शिव जी से मिलीं और इनका विवाह हुआ | ऐसा माना जाता है कि इस विवाह में सभी देवी-देवताओं भी उपस्थित थे । आज भी ये विवाह समारोह “चिथिरई तिरुविज़ा” प्रतिवर्ष मनाया जाता है जिसे तिरुकल्याणम के नाम से भी जाना जाता है।
पवित्र सरोवर पत्थमारई कुलम
मंदिर में एक पवित्र तालाब है जिसे “ पत्थमारई कुलम” के नाम से जाना जाता है। पत्थमारई कुलम का अर्थ होता है “सुनहरे कमल के साथ तालाब”| ये पवित्र सरोवर 165 फीट लम्बा और 120 फीट चौड़ा है | तीर्थयात्री मंदिर में जाने से पहले इस पवित्र सरोवर की परिकर्मा करते हैं | इस सरोवर के बीचो बीच यानि केंद्र में एक स्वर्ण कमल की संरचना रखी हुई है।
ये सरोवर कितना पवित्र है ये इस बात से समझा जा सकता है कि तमिल में ऐसी मान्यता है कि किसी नए साहित्य को जांचने के लिए उस साहित्य को इस सरोवर के जल पर रखा जाता है , यदि साहित्य उच्च कोटि का होता है तो वो जल पर तैरने लगता है अन्यथा जल में डूब जाता है |
मीनाक्षी मंदिर किसने बनवाया || meenakshi temple madurai history in hindi
(meenakshi temple madurai history)
ऐसा माना जाता है कि पांडियन राजवंश के राजा कुलशेखर पांडियन को भगवान शिव ने स्वप्न में मंदिर बनाने के लिए कहा था इसलिए स्वप्न में दिए गए निर्देशानुसार राजा कुलशेखर पांडियन ने इस मंदिर का निर्माण कराया । इस मंदिर को अनेक बार मुस्लिम लुटेरों और आक्रमणकारियों ने लूटा |
वो सोने, चांदी और कीमती रत्नों जैसे मूल्यवान वस्तुओं को लूटकर अपने साथ ले गये और यहाँ के अनेक मंदिरों को नष्ट कर दिया | बाद में जब मुस्लिम शासको को पराजित करके विजयनगर साम्राज्य ने मदुरै पर अधिकार कर लिया और इस मंदिर का पुनःस्थापित किया | 16 वीं शताब्दी के अंत और 17 वीं शताब्दी के प्रारंभ में नायक राजवंश के राजा विश्वनाथ नायक द्वारा मंदिर का विस्तार किया गया |
मंदिर के कुछ भाग अंग्रेजो के शासनकाल में भी नष्ट हुए जिसे बाद में तमिल हिन्दुओ ने दान एकत्रित करके बनवाया गया |
कैसे पहुंचे मीनाक्षी मंदिर मदुरै || how to reach meenakshi temple madurai
How to reach meenakshi temple madurai
मीनाक्षी मंदिर जाने के लिए आपको तमिलनाडु के प्राचीन नगर मदुरई आना होगा जोकि भारत के विभिन्न हिस्सों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
वायुयान से मीनाक्षी मंदिर मदुरै कैसे पहुंचें || how to reach meenakshi temple madurai by flight
मदुरै हवाई अड्डा Madurai Airport (IXM) नगर के केंद्र बिंदु से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। इस हवाई अड्डा पर अनेक प्रमुख भारतीय नगरों जैसे बैंगलोर, अहमदाबाद, आगरा से domestic flights आती है जबकि कोलंबो और दुबई से international flights भी मदुरै नगर आती है| मदुरै हवाई अड्डा से Madurai Airport (IXM) लगभग 10.6 km दूर स्थित है |
रेलगाड़ी से मदुरई कैसे पहुंचें || how to reach madurai by train
(Distance between Madurai Railway Station and Meenakshi Temple is 2.5 kms)
मीनाक्षी मंदिर,रेलगाड़ी से भी आसानी से जा सकते है, मीनाक्षी मंदिर से मात्र 2.5 किमी दूर मदुरै जंक्शन रेलवे स्टेशन Madurai Junction (station code – MDU) है जहाँ से टैक्सियों, स्थानीय बसों और ऑटोरिक्शा द्वारा मीनाक्षी मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है
IRCTC website पर जाकर रेलगाड़ी मे रिज़र्वेशन करवाने के लिए यहाँ
click करे : – IRCTC
सड़क मार्ग से मदुरई कैसे पहुंचें || how to reach madurai by road
मदुरई नगर तमिलनाडु के प्रमुख नगरों में से एक है, जोकि राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। यहाँ आप अपने निजी वाहन से अथवा bus से भी आ सकते है ,मदुरै में 3 बस टर्मिनल हैं। मदुरै नगर कोयम्बटूर से 221 किमी, कोच्चि नगर से 234 किमी, त्रिवेंद्रम से 258 किमी और बैंगलोर नगर से 449 किमी दूर स्थित है |
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