शिवजी की आरती bhagwan shiv ji ki aarti पूजा पाठ के सही नियम |pooja path kaise kareHariyali Teej 2022: हरियाली तीज

पूजा पाठ (pooja path) के सही नियम – 9 effective rules

पूजा पाठ (pooja path) के सही नियम – 9 effective rules

( pooja path kaise kare | pooja path karne ki sahi vidhi)

  1. किसी भी हवन को करने से से पूर्व गणेशजी को स्मरण करना और आमंत्रित करना अति आवश्यक होता है| इसके साथ ही आकाश देव , अग्नि देव , वायु देव , पृथ्वी माता , वरुण देव ( ये ही जल देवता भी होते है ) के साथ यज्ञदेवता को भी ससादर आमंत्रित किया जाता है| हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति देनी चाहिए और गाय का घी, आम या अशोक की पत्ती से अर्पित करना चाहिए|

           स्टील या लोहे के चम्मच इतियादी नही प्रयोग करने चाहिए | मुख्य हवनकर्ता का मुख हवन करते समय पूर्व दिशा में ही होना चाहिए|

       2. हवन कुशा आसन या स्वच्छ वस्त्र के आसन पर बैठ कर ही करना चाहिए | आसन बिछाने से पूर्व उस स्थान पर जल के छींटोन से स्थान को पवित्र कर लेना चाहिए|

       3. हवन के पश्चात आसन के नीचे से भूमि या फर्श को अंगूठे से स्पर्श कर अपने माथे पर लगाना चाहिए |

       4. पूजा पाठ (pooja path) के अनेक संस्कारों में कुशा की अंगूठी पहनने का नियम है लेकिन कुशा न मिले तो स्वर्ण अंगूठी भी पहनी जा सकती है |

 

       5. भगवान का पूजन (पूजा पाठ (pooja path))और आरती के समय करते समय उनके मुख की एक बार या तीन बार , नाभि की दो बार और प्रभु के चरणों की चार बार आरती उतारनी चाहिए और प्रभु के समस्त अंगों की सात बार आरती उतारनी चाहिए |

       6.किसी भी माह की संक्रान्ति( सूर्यदेव का एक राशी से दूसरी राशि में जाने का प्रवेशकाल) द्वादशी और अमावस्या या पूर्णिमा, रविवार और मंगलवार साथ ही सन्ध्या और रात्रिकालीन तुलसी जी की पत्तियां कभी नही तोड़नी चाहिए | साथ ही शारीरिक पवित्रता होनी भी आवश्यक है ।

       7. दुर्गा को रक्तपुष्प जैसे गुडहल के पुष्प प्रिय हैं , विष्णु को तुलसी जी ,शिवजी को बिलवपत्र(बेलपत्र),कनेर,मदार पुष्प, गणेश को दूर्वा(घास) और लक्ष्मी को कमल पुष्प प्रिय होता है| शिव जी को बेलपत्र सर्वदा उल्टा ही अर्पित किया जाता है |
इसमें ध्यान रखना है कि गणेशजी को तुलसी जी ,दुर्गा जी को मदार पुष्प, विष्णु जी को धतूरा पुष्प या फल,शिव जी को गुडहल पुष्प कभी न अर्पित करे|

      8.पूजन या आरती के समय धूप का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन अगरबत्ती का प्रयोग नही करना चाहिए क्योंकि अगरबत्ती में बांस का प्रयोग होता है जो वंशवृद्धि का सूचक होता है |

     9.पूजन या पूजा पाठ (pooja path) में पुष्प या फल कटे या सड़े नही अर्पित करने चाहिए और फल / मिष्ठान इतियादी के साथ जल अवश्य ही अर्पित करना चाहिए| अर्पित जल को भी प्रसाद समान स्वंम लेना चाहिए और यदि बचे तो घर में छींटे मारने चाहिए|

bahula chauth बहुला चौथ

(pooja karne ki vidhi)

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