रहस्यमयी सूर्य मंदिर कोणार्क-sun temple konark- A 2 Z easy guide

रहस्यमयी सूर्य मंदिर कोणार्क-sun temple konark- A 2 Z easy guide

भारत के पूर्वी राज्य उड़ीसा में प्रभु जगन्नाथ की नगरी पुरी से 35 किमी उत्तर पूर्व में कोणार्क नामक स्थान पर स्थित है समस्त ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करने वाले भगवान् सूर्यनारायण का कोणार्क मंदिर जो पूरे संसार में कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है |

कोणार्क सूर्य मंदिर के महत्व को देखते हुए “संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन” (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization-UNESCO ने वर्ष 1984 में इसे विश्व धरोवर स्थल के रूप में मान्यता दी है और आज ये विश्व धरोवर स्थल के मानको के अनुरूप संरक्षित है |

कोणार्क सूर्य मंदिर रथ के आकार में बना हुआ मंदिर है जिसमे

मुख्य मन्दिर तीन मंडपों से मिलकर बना है जिसमे से दो मण्डप नष्ट हो चुके हैं।

भगवान् सूर्य समय की गति को निर्धारित करने वाले देवता है इसीलिए कोणार्क सूर्य मंदिर भी समय की गति को दर्शाता है | मंदिर में पूर्व दिशा को ओर 7 घोड़े जुते हुए है जोकि सप्ताह के अलग अलग 7 दिनों को प्रदर्शित करते है, मंदिर( रथ) में लगे 12 जोड़ी पहिए एक वर्ष के अलग अलग 12 माह प्रदर्शित करते है |

कोणार्क सूर्य मंदिर किसने बनवाया था || कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास

(konark sun temple history in hindi

हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ पुराणों में ये कहा गया है कि श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को एक श्राप के कारण कोढ़ हो गया था। चूँकि सूर्यदेव सभी रोगों के नाशक है इसलिए साम्ब ने कोणार्क में बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की जिससे सूर्य देव प्रसन्न हो गये और सूर्यदेव ने साम्ब के सभी रोगों को नष्ट कर दिया |

इसके बाद साम्ब ने भगवान् सूर्य देव के मन्दिर निर्माण का निश्चय किया। सूर्यदेव की कृपा से साम्ब के रोग नष्ट होने के बाद साम्ब को  चंद्रभागा नदी में स्नान करते समय सूर्यदेव की एक मूर्ति मिली थी | ऐसा माना जाता है कि ये मूर्ती देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा देव ने भगवान् सूर्यदेव के ही शरीर के एक अंश से बनायीं थी | इस मूर्ती को साम्ब ने अपने द्वारा बनवाये गये सूर्य मंदिर में स्थापित कर दिया |

वहीँ दूसरी ओर ये भी कहा जाता है कि

कलिंग शैली में लाल बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से बने कोणार्क मंदिर का निर्माण 1236 – 1264 ईसा पूर्व गंग वंश के राजा लांगूल नृसिंहदेव द्वारा करवाया गया है |यह मन्दिर भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है।

मंदिर का निर्माण घोड़े जुते रथ के आकार में होना इस मंदिर को विशिष्ट पहचान देता है | मुस्लिम आक्रमणकारियों को पराजित करने की प्रसन्नता में राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था|

15 सदी में मंदिर में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने लूटपाट मचाई और मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया तब मंदिर में विराजित सूर्य देवता को मंदिर के पुजारियों ने जगन्नाथपुरी में ले जाकर सुरक्षित कर दिया |  लेकिन मंदिर में पूजापाठ बंद हो जाने और उचित देखरेख के अभाव में मंदिर में समुद्री रेत जमा होने लगी और धीरे धीरे मंदिर रेत से पूरी तरह से ढक गया |

18वी सदी के अन्त तक कोणार्क क्षेत्र एक जंगल में बदल गया जहाँ जंगली जानवर और लूटेरे रहा करते थे और दिन के समय भी यहाँ कोई नही आता था| लेकिन अंग्रेजी शासनकाल में मंदिर को पुनः ढूँढ निकाला गया |

konark sun temple सूर्य मंदिर कोणार्क sun temple konark

कोणार्क सूर्य मंदिर वास्तुकला konark sun temple architecture

पूर्व –पश्चिम दिशा में बने इस मंदिर का मुख्य प्रांगण 857 फीट X 540 फीट का है। वहीँ मंदिर का मुख्या गर्भगृह 229 फुट ऊँचा है | कोणार्क सूर्य मंदिर तीन मंडपों में बना हुआ है जिनमे से दो मण्डप ढह चुके हैं । मन्दिर में भगवान् सूर्य की तीन प्रतिमाएं हैं:

पहली प्रतिमा में भगवान् सूर्य बाल्यावस्था में है यानि उदित रूप में है , ये प्रतिमा 8 फीट ऊँची है

दूसरी प्रतिमा में भगवान् सूर्य अपनी युवावस्था में है यानि मध्याह्न रूप में है , ये प्रतिमा 9.5 फीट

ऊँची है और भगवान् सूर्य तीसरी प्रतिमा में प्रौढ़ावस्था में है जिसमे प्रतिमा 3.5 फीट ऊँची है |

मंदिर में पत्थरों में नक्काशी की गयी अनेक देवताओं ,गन्धर्व , किन्नर व मानव आदि की मूर्तिया , फूल पतियाँ , लताएँ लगी है |

कोणार्क सूर्य मंदिर का वास्तु दोष ||Vastu Defects of Konark Sun Temple

(कोणार्क सूर्य मंदिर पर वास्तु दोष का प्रभाव)

ऐसा माना जाता है की कोणार्क सूर्य मंदिर के निर्माण में वास्तु पर ध्यान नही दिया गया जिससे इस मंदिर में अनेक वास्तु दोष आ गये और इसी कारण ये मंदिर मात्र 800 वर्ष में ही टूटने लगा जैसे पूर्व, दिशा, एवं आग्नेय एवं ईशान कोण खंडित हो गए।

आग्नेय क्षेत्र में विशाल कुआं बना है जोकि वास्तु नियमों के पूर्णतः विपरीत है और ऐसा माना जाता है की इसी प्रकार के अन्य वास्तु दोषों के कारण इस मंदिर का वैभव और प्रसिद्धि समय के साथ साथ समाप्त होने लगी ।

कुछ अपुष्ट सूत्रों के द्वारा ये भी कहा गया है कि कोणार्क सूर्य मंदिर के शिखर पर एक चुम्बकीये पत्थर लगा था जोकि मंदिर में लगे सभी पत्थरों को संतुलित करने का कार्य करता था लेकिन इस पत्थर के चुम्बकीये प्रभाव के कारण पास के समुद्र मार्ग में चलने वाली नावें और सागरपोत इतियादी में लगे चुम्बकीये दिशा नियंत्रक यन्त्र प्रभावित हो जाते थे और सही दिशा ज्ञात न हो पाने के कारण अपने मार्ग से भटक जाते थे |

इसलिए कुछ मुस्लिम नाविकों ने मंदिर की चोटी पर स्थापित इस चुम्बकीये पत्थर को उखाड़ दिया जिससे मंदिर की दीवारों में लगे पत्थर असंतुलित होकर गिर पड़े |

कोणार्क सूर्य मंदिर के रहस्य || sun temple konark’s mystery

  • ऐसा कहा जाता है की राजा लांगूल नृसिंह देव प्रथम ने इस मंदिर को बनाने में अपने राज्य का 12 वर्षो संचित धन व्यय कर दिया था किन्तु तब भी ये मंदिर पूरी तरह से बन नही पा रहा था , मंदिर में लगे पत्थर असंतुलित होकर गिर जाते थे ,तब मंदिर निर्माण के मुख्य वास्तुकार बिसु महाराणा के 12 वर्षीय पुत्र धर्म पाद ( जिसने मंदिर स्थापत्य कला का गहन अध्यन किया था ) ने मंदिर का निरीक्षण किया और मंदिर के मुख्य गर्भगृह की शिखर पर एक विशाल चुम्बकीये पत्थर स्थापित करने का सुझाव दिया और जब ऐसा किया गया तो आश्चर्यजनक रूप से सभी पत्थर संतुलित हो गये और मंदिर का निर्माण पूरा हो गया किन्तु इसके तुरंत बाद ही अलौकिक प्रतिभावान धर्म पाद का शव समुद्र तट पर पाया गया |इस रहस्य को आज तक कोई नही समझ सका कि धर्म पाद के साथ ऐसा क्यों हुआ |
  • ऐसा भी कहा जाता है कि जब मंदिर बना था तो मंदिर में विराजित भगवान्  सूर्यनारायण की मूर्ती हवा में उठी हुई रहती थी और ऐसा मंदिर के शिखर पर स्थापित विशाल चुम्ब्किये पत्थर के खिंचाव के कारण होता था | मुस्लिम आक्रमणकारियों की लूटपाट के समय भगवान् सूर्यनारायण की मूर्ती को बचाने के लिए मूर्ती को मंदिर के पुजारियों ने जगन्नाथपुरी में ले जाकर सुरक्षित कर दिया लेकिन जब मंदिर के शिखर पर स्थापित चुम्बकीये पत्थर को हटा दिया गया तो मंदिर के अन्य पत्थर स्वतः असंतुलित हो टूटने लगे |
  • ऐसा कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद आज भी यहाँ पर नर्तकियों की पायल की झंकार सुनाई पड़ती है | कहा जाता है कि ये उन नर्तकियों की पायल की झंकार है जो राजा के दरबार में नृत्य किया करती थीं |
  • ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के शिखर पर जो चुम्बकीये पत्थर स्थापित था उसका भार 52 टन था और उसके चुम्बकीये प्रभाव से बड़े बड़े समुद्रपोत मंदिर की ओर खींचे चले आते थे और मंदिरि के निकट समुद्र के तट से टकराकर क्षतिग्रस्त हो जाते थे |

कोणार्क सूर्य मंदिर का प्रवेश शुल्क || entry fee of konark sun temple 

कोणार्क सूर्य मंदिर का *प्रवेश शुल्क समस्त भारतीयों के लिए 40 रुपये है और विदेशियों के लिए 600 रुपये है । सार्क संगठन के नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 40 रुपये है। यदि आप यहाँ शाम को होने वाले 1 घंटे का light show भी देखना चाहते है तो आप 30 रूपए का टिकट कार्यक्रम स्थल पर ही खरीद सकते है , ये light show अंग्रेजी, हिंदी और ओडिया तीन भाषा में देखा जा सकता है |

(* प्रवेश शुल्क में यदि कोई संशोधन हुआ हो तो आप नीचे दिए गये comment box में हमे अवश्य बताये  | )

कोणार्क सूर्य मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय || best time to visit sun temple konark 

कोणार्क सूर्य मंदिर समुद्र तट पर स्थित है,जहाँ अत्यधिक आद्रता humidity होती है इसलिए यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का माना जाता है क्योंकि उस समय तापमान कम हो चुका होता है |

कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे जाएँ ?

how to reach sun temple konark 

कोणार्क सूर्य मंदिर प्रभु जगन्नाथ धाम अर्थात पुरी जनपद में कोणार्क नामक स्थान पर स्थित है | पुरी नगर से ये स्थान 35 किमी और भुवनेश्वर से 60 किमी दूर स्थित है|कोणार्क सूर्य मंदिर अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहाँ देश विदेश से लाखों पर्यटक आते है |

कोणार्क सूर्य मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा

how to reach sun temple konark by flight

Biju-Patnaik-International-bhuvneshwar-Airport

कोणार्क सूर्य मंदिर से निकत्मम हवाई अड्डा – भुवनेश्वर हवाई अड्डा है जिसे बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा Biju Patnaik Airport (IATA: BBI, ICAO: VEBS) भी कहते है, ये 65 किमी दूर स्थित है जहाँ से कोणार्क सूर्य मंदिर जाने के लिए भाड़े पर टैक्सी बहुत ही सुगमता से मिल जाती है |

कोणार्क सूर्य मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन

how to reach sun temple konark by train 

Puri_Railway_Station

पुरी रेलवे स्टेशन कोणार्क मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन है जोकि कोणार्क सूर्य मंदिर से 30 किमी दूर स्थित है। पुरी भारत में East Coast Railway का अंतिम स्टेशन है जहाँ एक्सप्रेस और सुपरफ़ास्ट सभी प्रकार की रेलगाड़ी आती है| पुरी स्टेशन दिल्ली,कोलकाता,चेन्नई,मुम्बई,वाराणसी,पटना,अहमदाबाद, तिरुपाति जैसे अनेक प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है |

कोणार्क सूर्य मंदिर का निकटतम बस स्टैंड

how to reach sun temple konark by road 

bus

कोणार्क बस स्टैंड सूर्य मंदिर से मात्र 1.2 किमी की दूरी पर स्थित है। पुरी, भुवनेश्वर, कटक आदि नगरों से दिन रात निरंतर टैक्सी या बस चलती ही रहती है | टैक्सी यहाँ साझे में भी मिल जाती है साथ ही OSRTC की सरकारी बस और प्राइवेट एजेंसी की बस भी सुगमता से प्राप्त होती है |

सरकारी बस सेवा में online ticket book करने के लिए आप 

यहाँ click कर सकते है : – Orissa State Road Transport Corporation

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