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ज्योतिष-Astrology

भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ? Indian Astrology & it’s branches

भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ? Indian Astrology & it’s branches

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भारतीय ज्योतिष के विभिन्न भाग क्या है ? Indian Astrology & it's branches Indian Astrology & it's branches : भारतीय ज्योतिष भारतीय संस्कृति और वेदों का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह विज्ञान हमारे ब्रह्माण्ड, ग्रहों, नक्षत्रों और उनके संयोग का अध्ययन करता है और मानव जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रहों के चक्र के बारे में ज्ञान प्रदान करता है। भारतीय ज्योतिष का मूल आधार वेदों, खगोलशास्त्र, ज्योतिष ग्रंथों और पुराणों पर आधारित है। इसके प्रमुख ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र, बृहत्संहिता, बृहज्जातक, होराशास्त्र, गोलदीपिका आदि शामिल हैं। भारतीय ज्योतिष में चार मुख्य विद्याओं का उल्लेख किया जाता है: गणित ज्योतिष (अंक विज्ञान), संहिता ज्योतिष (समुद्र शास्त्र), होरा ज्योतिष (जन्मकुंडली) और प्रस्तार ज्योतिष (फलित ज्योतिष)। इन विद्याओं के माध्यम से ज्योतिषी ग्रहों, नक्षत्रों, दशाओं, योगों और दिशा...
आपकी कुंडली में राजयोग है – क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं ? Do astrologers lie ?

आपकी कुंडली में राजयोग है – क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं ? Do astrologers lie ?

ज्योतिष
आपकी कुंडली में राजयोग है - क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं ? Do astrologers lie ? Do astrologers lie ? :  आपकी कुंडली में राजयोग है ऐसा एस्ट्रोलॉजर ने कहा था लेकिन हमें तो राजयोग का लाभ नहीं दिखाई दे रहा है, ऐसा बहुत लोग बोलते हैं तो क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं। साथियों हम सभी का जीवन अलग होता है क्योंकि सभी की कुंडली में ग्रह योग भी अलग होते हैं , कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होने पर हमें राजाओ जैसा जीवन प्राप्त होता है वही यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी ना हो तो हम जीवन भर विपरीत परिस्थितियों के कारण दुखी भी रहते हैं। आपकी कुंडली में राजयोग है - क्या एस्ट्रोलॉजर झूठ बोलते हैं ? Do astrologers lie? आज हम अपनी पोस्ट में आपको बता रहे हैं कुंडली में राजयोग फलित क्यों नहीं होते हैं , मित्रों ज्योतिष वेद का अंग है और वेद भगवान श्री नारायण के मुख से निकले हुए ग्रंथ है । स...
कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओं जैसा जीवन 21 Planetary Yoga in Kundli which gives you life like kings

कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओं जैसा जीवन 21 Planetary Yoga in Kundli which gives you life like kings

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कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओं जैसा जीवन 21 Planetary Yoga in Kundli which gives you life like kings 21 Planetary Yoga in Kundli: साथियों हम सभी के जीवन में अंतर होता है क्योंकि हम सभी की कुंडली में ग्रह योग में भी अंतर होता है, कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होने पर हमें राजाओ जैसा जीवन प्राप्त होता है वही यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी ना हो तो हम जीवन भर विपरीत परिस्थितियों के कारण दुखी भी रहते हैं आज हम अपनी पोस्ट में आपको बता रहे हैं कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओ जैसा जीवन आइये जानते हैं कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओं जैसा जीवन (21 Planetary Yoga in Kundli which gives you life like kings) कुंडली में ग्रह योग जो देते हैं आपको राजाओं जैसा जीवन 21 Planetary Yoga in Kundli which gives you life like kings 1. केंद्र अथवा त्रिकोण म...
गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter

गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter

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गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter Guru ki Mahadasha: गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल जानने से पहले हमें गुरु ग्रह को समझना होगा । हमने इस पोस्ट मे गुरु के उपाय (remedies of malefic Jupiter) मित्रों गुरु बृहस्पति को धर्म का प्रतीक माना गया है,  गुरु बृहस्पति भगवान ब्रह्मा का ही एक रूप है यहाँ तक कि आप इन्हे भगवान श्री हरि विष्णु का प्रतिनिधि मान सकते हैं । जहां संस्कार ,धर्म , सत्य और संस्कृति है वहाँ गुरु बृहस्पति है , हमारे कार्यों और व्यवसाय का विस्तार गुरु बृहस्पति की कृपा से ही होता है । गुरु बृहस्पति हमारे जीवन के भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही पक्षों को नियंत्रित करते हैं । गुरु कुंडली मे 9 th एवं 12 th भाव के स्वामी होते है । आइये अब जानते हैं गुरु की महा...
Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

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Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव मृत्यु का भाव कहलाता है। इसके साथ ही ये अकस्मात धन प्राप्ति का भाव भी होता है । अष्टम भाव का लग्न या पंचम भाव से संबंध होने से वो गुप्त विद्या की अच्छी समझ होती है , ऐसा व्यक्ति किसी विशेष कला में दक्ष हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली मे अष्टमेश का संबंध पंचम अथवा लग्न भाव से हो तो ऐसे व्यक्ति मे कोई न कोई कला अवश्य होती है। वहीं पंचमेश और अष्टमेश का संबंध आकस्मिक धन प्रदान करता हैं और जब अष्टम भाव का संबंध त्रिकोण से हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक धैर्यवान होता है । आइये आज समझते हैं कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति Kundli me Ashtmesh: 8th lord in 12 different houses 1. कुंडली में अष्टम...
12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby

12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby

ज्योतिष, trending google, रत्न विज्ञान
12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby Manikya se Labh-Benefits of Ruby :सूर्य ग्रह का रत्न है माणिक्य ,यदि आपके सूर्य अच्छे हैं तो आपके जीवन मे माणिक्य का प्रभाव बहुत ही सकरात्मक होता है । जब भी हमारे जीवन में निराशा छाने लगती है, अंधकार दिखना दिखने लगता है तो हमे माणिक्य पहनना चाहिए और साथ ही सूर्य की शरण मे जाना चाहिए  लेकिन माणिक्य पहनने से पहले अपनी कुंडली खोल ये अवश्य देख लें कि माणिक्य आपकी राशि के लिए लाभदायक है या नहीं । यदि आपकी कुंडली अनुसार माणिक्य लाभदायक है तो ये आपको पड़ प्रतिष्ठा ,समाज मे मान सम्मान देता है और साथ ही रोग , निराशा , अवसाद से मुक्ति देता है। आइये जानते है विभिन्न 12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव (Manikya se Labh-Benefits of Ruby) 12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby मेष लग्न ...
राहु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Rahu ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal

राहु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Rahu ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal

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राहु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Rahu ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal Rahu ki Mahadasha : ज्योतिष मे राहु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल विस्तार से बताया गया है जिसका सारांश हम यहाँ बताने का प्रयास कर रहे हैं , राहु को पापी ग्रह माना गया है , राहु की महादशा आते ही लोग डरने लगते हैं । ज्योतिष के अनुसार यदि हमारी कुंडली में राहु दोष है तो हमारे जीवन मे अनायास ऐसी घटनाये घटने लगती हैं जिनसे हमारा पूरा जीवन नकरात्मक रूप से प्रभावित होता है जैसे नशे की ओर झुकाव या आकर्षण या नशे मे डूब जाना , गलत संगति बन जाना , मूल्यवान वस्तुएं खोने लग जाना । जुए सट्टे मे मन लगना , घर परिवार के रीति रीवाजों को न मानने की प्रवृति आदि उत्पन्न होना । किन्तु साथियों जब ये ही राहु अच्छा फल देता है तो व्यक्ति आविष्कारक बन जाता है , अपनी प्रतिभा से अनायास ही ...
Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses

Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses

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Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses Kundli me Saptmesh:  कुंडली में सप्तम भाव केंद्र स्थान और लग्न का पूरक भाव होता है, सप्तम भाव से जीवनसाथी, जननांग , वैवाहिक सुख , व्यापार, व्यापारिक रणनीति , कूटनीतिआदि को देखा जाता है। कुंडली के सातवें भाव से व्यक्ति द्वारा गोद ली गई संतान का भी पता चलता है। सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और जीवन मे नैतिक और अनैतिक संबंधों को भी बताता है। ज्योतिष के अनुसार यदि प्रथम भाव का स्वामी सातवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति अपने मूल स्थान से दूर कहीं और धन संपत्ति को बनाता है। मूलतः सप्तम भाव किसी व्यक्ति की साझेदारी को दर्शाता है जोकि वैवाहिक अथवा व्यापारिक हो सकती है। कुंडली में सप्तम भाव के द्वारा व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में मिलने वाले सुखों और दुःखों को जाना जा सकता है। ...
बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

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बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल (Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal):  बुध की महादशा 17 वर्ष की होती है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं और कन्या राशि में उच्च के और मीन राशि में नीच के माने जाते हैं । बुध को उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है। बुध से किसी भी व्यक्ति की वाणी यानि बोलने की शैली प्रभावित होती है , ये बुद्धि, संचार, तर्क शक्ति , त्वरित निर्णय लेने की क्षमता , गणितीय क्षमता और व्यापार के ग्रह माने गए हैं ब्रह्मांड मे उपस्थित सभी हरी वस्तुएं बुध के प्रभाव मे होती हैं, बुध दिस्वाभाव वाला ग्रह है। बुध से व्यापार,बहन,बुआ,गणित,ज्योतिष, अकाउंट आदि विषय का भी पता चलता है । बुध आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र के स्वामी है। बुध...
संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र santan prapti ka mantra 1 मंत्र से मिलेगी मनचाही संतान

संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र santan prapti ka mantra 1 मंत्र से मिलेगी मनचाही संतान

शाबर मंत्र Shabar Mantra, उपाय-टोटके Upay Totke
संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र santan prapti ka mantra 1 मंत्र से मिलेगी मनचाही संतान संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र (santan prapti ka mantra) उन माता पिता के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है जिनको अनेक प्रयासों के बाद भी संतान प्राप्त नही हो रही है , मित्रो संतान होने के बाद ही एक दंपति का जीवन सार्थक होता है और जब अधिक समय बीत जाने पर भी संतान नही होती है तो समाज के साथ साथ घर परिवार के लोग भी ताने देने लगते हैं , ऐसे मे दंपति संतान प्राप्ति के अनेक उपायों को अपनाते है और ऐसा ही एक उपाय संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र (santan prapti ka mantra) आज हम आपको बता रहें हैं जिसे किसी गुरु के मार्गदर्शन मे आप भी अपना सकते हैं तो image source : unsplash आइये जानते हैं संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र santan prapti ka mantra मनचाही संतान के लिए संतान प्राप्ति का शाबर मंत्र santan prapti ka...