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Apara Ekadashi 2023: अपरा एकादशी कब है?जाने तिथि,शुभ मुहूर्त,महत्व,पारण का समय,व्रत कथा और पूजन सामग्री आदि सम्पूर्ण जानकारी
Apara Ekadashi 2023 : अपरा एकादशी जिसे हम अचला एकादशी भी कहते हैं ज्येष्ठ के महीने में कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। वर्ष की सभी एकादशी के दिन प्रभु विष्णु का पूजन होता है इसी प्रकार अपरा एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी है। जम्मू और कश्मीर ,पंजाब , हिमाचल, हरियाणा आदि राज्य में अपरा एकादशी ही भद्रकाली एकादशी कहलाती है जबकी उड़ीसा मे इस एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी कहा जाता है जिसमे भगवान जगन्नाथ को पूजा जाता है ।
अपरा एकादशी का व्रत हमे पापों से मुक्ति देकर जन्म मरण के बंधन से मुक्त करने वाला है और साथ ही ये एकादशी हमारी यश, कीर्ति को बढ़ाती है। धन में वृद्धि करती है। अपरा एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी जी की कृपा प्रदान करता है। इस एकादशी को भारत के विभिन्न भागों मे भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है।
अपरा एकादशी तिथि 2023 Apara Ekadashi Tithi (अपरा एकादशी कब है)
अपरा एकादशी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है और इस वर्ष ये तिथि 15 मई 2023 को प्रात: 02 बजकर 46 मिनट पर आरंभ हो रही है। 16 मई 2023 को प्रात: 01 बजकर 03 मिनट पर अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2023) का समापन है । उदया तिथि 15 मई को है इसलिए 15 मई 2023 के दिन अपरा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त Apara Ekadashi 2023 Shubh Muhurat
15 मई 2023 को प्रातः 8 बजकर 53 मिनट से लेकर प्रातः 10 बजकर 37 मिनट तक अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2023) का शुभ मुहूर्त है ।
अपरा एकादशी व्रत का पारण का समय Apara Ekadashi 2023 ka paran ka samay
16 मई को प्रातः 06 बजकर 41 मिनट से प्रातः 08 बजकर 13 मिनट तक पारण का मुहूर्त है। इसलिए आप अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2023) सोमवार के दिन 15 मई , 2023 को प्रातः 06:41 से प्रातः तक 08:13 तक व्रत का पारण कर सकते हैं ।
अपरा एकादशी का महत्व (Significance of Apara Ekadashi)
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अपरा एकादशी के महत्व के बारे में बताया कि इस एकादशी का व्रत – ब्रह्मा हत्या का पाप ,सगोत्री की हत्या करने का पाप ,परस्त्रीगामी होने का पाप ,गर्भस्थ शिशु को मारने का पाप , परनिंदा का पाप जैसे दोष और अन्य पाप दूर करने वाला होता है । यदि हम उचित प्रकार से व्रत का पालन करें तो हमारे सभी पाप क्षमा हो जाते हैं। अपरा एकादशी का व्रत रखने से भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी कथा Apara Ekadashi katha
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक राजा हुआ करता था। महीध्वज का छोटा भाई वज्रध्वज अपने भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था और उससे बहुत ही ईर्ष्या करता था। एक दिन अवसर देखते हुए उसने राजा महीध्वज की हत्या कर दी और उसके शव को ले जाकर एक वन में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया।
हत्या से हुई अकाल मृत्यु होने के कारण राजा महीध्वज की आत्मा प्रेत बनकर उसी पीपल के पेड़ पर निवास करने लगी। उस मार्ग से जो भी व्यक्ति निकलता था उसे राजा की आत्मा बहुत परेशान करती थी। एक दिन एक तपस्वी ऋषि पीपल वाले मार्ग से निकल रहे थे तो आत्मा उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी ।
तपस्वी ऋषि ने ये सब देख पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतरने के लिए कहा और राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए परलोक विद्या का उपदेश दिया और साथ ही प्रेत योनि से मुक्ति के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। जब द्वादशी के दिन व्रत पूरा हुआ तो उन्होंने इसका पुण्य प्रेत को दे दिया। व्रअपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त हो गई और स्वर्ग को प्राप्त हुई ।
अपरा एकादशी व्रत की पूजा की विधि Apara Ekadashi Poojan Vidhi
अपरा एकादशी के दिन प्रातः शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- सुथरे कपड़े पहन व्रत का संकल्प करें , इसके लिए हाथ मे गंगा जल लेकर संकल्प ले । भगवान विष्णु का ध्यान करके उन्हे भोग लगाएं जिसमे तुलसी पत्र अवश्य प्रयोग करें , दूध, फल, फूल, मिठाई , पंचामृत अर्पित करें।
भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और धूप, दीप अर्पित करें , भगवान विष्णु का पूजन कभी अकेले न करें बल्कि माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ ही की जाती है , पूजन मे हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा मांगे । ऐसा करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इस दिन भगवान विष्णु को मौसम के जैसे आम या केले , गुड़, चने की दाल, खरबूजा, ककड़ी और मिठाई को भोग लगाए इसके साथ ही गाय के दूध की खीर का भोग भी लगा सकते हैं।
अपरा एकादशी पूजन सामग्री Apara Ekadashi Poojan Samagri
भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति अथवा का चित्र जिसमे माता लक्ष्मी भी हो और साथ ही पीले पुष्प, फल ( केला अवश्य रखे) ,सुपारी, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, हल्दी, लौंग, नारियल, तुलसी दल, चंदन, मिठाई , पीले वस्त्र , कलावा यानि मौली आदि
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