ghushmeshwar jyotirlinga – घृष्णेश्वर मन्दिर महराष्ट्र-संतान देने वाले ज्योतिर्लिंग
(ghushmeshwar jyotirlinga kaha hai)
ghushmeshwar jyotirlinga : महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 28- कि.मी. की दूरी पर ,दौलताबाद निकट वेरुल नामक गांव में बारह ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर महादेव विराजित है | अनेक लोग इन्हें घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर के नाम से भी जानते हैं।
शिवपुराण में भी घुश्मेश्वर महादेव का वर्णन मिलता है,ऐसा देखा गया है की जिन दम्पतियों को अनेक स्थानों पर उपचार कराने के बाद और अनेक वर्षों के बाद भी जब संतान नही होती है , तो प्रभु घुश्मेश्वर ghushmeshwar jyotirlinga के पूजन से और प्रभु की कृपा से उनको भी संतान प्राप्त हो जाती है |

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प्रभु घुश्मेश्वर के दर्शन करने उनको भक्त पुरे वर्ष ही भारी संख्या में यहाँ आते है लेकिन सावन माह में प्रभु घुश्मेश्वर के दर्शन करने उनके भक्त लाखों की संख्या में आते है | ज्योतिर्लिंग के निकट ही शिवालय नाम का एक सरोवर भी है|
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ghushmeshwar jyotirlingaa story
प्रभु घुश्मेश्वर से जुड़ी एक कथा है जिसके अनुसार देश के दक्षिण में देवगिरिपर्वत के निकट एक अत्यंत ही सत्यनिष्ट तपस्वी ब्राह्मण रहता था जिसका नाम सुधर्मा था। ब्राह्मण सुधर्मा की सुदेहा नाम की पत्नी थी जिससे ब्राह्मण सुधर्मा अत्यधिक प्रेम करते थे, उनकी पत्नी सुदेहा भी पतिवर्ता , धर्मपरायण स्त्री थी और अपने स्वामी से अत्यधिक प्रेम करती थीं |
दोनों ही प्रभु शिव के परम भक्त थे और उनकी भक्ति में सदैव लीन रहते थे|विवाहिक जीवन ठीक होने पर भी वो दोनों दुखी रहते थे क्यूंकि अनेक वर्ष बीत जाने पर भी उन्हें संतान सुख प्राप्त नही हुआ था|
एक समय उन्हें ज्योतिष से ये ज्ञात हुआ कि सुदेहा कभी माँ बन ही नही सकती है,ये जानकार सुदेहा अत्यधिक दुखी हुई लेकिन वंश वृद्धि के बारे में सोचते हुए सुदेहा ने ब्राह्मण सुधर्मा से अपनी ही छोटी बहन घुश्मा से दूसरा विवाह करने का आग्रह किया |
प्रारम्भ में तो सुधर्मा को यह बात ठीक नही लगी और विवाह के लिए मना कर दिया लेकिन सुदेहा के द्वारा समझाने पर ब्राह्मण सुधर्मा पुनर्विवाह के लिए मान गये |
विवाह पश्चात छोटी बहन घुश्मा पत्नी रूप में घर आ गयीं ।दूसरी पत्नी घुश्मा अत्यंत सुशीला, सत्यनिष्ट,पतिवर्ता और परम शिवभक्त स्त्री थी। वो भगवान् शिव की भक्ति में सदैव लीन रहती थी|
घुश्मा प्रतिदिनएक सौ मिट्टी के शिवलिंग बनाकर ,उनका पूजन कर ,अपने आवास के निकट ही जलाशय में विसर्जित कर दिया करती थी |प्रभु शिव की कृपा से कुछ समय पश्चात् ही घुश्मा को स्वस्थ और सुन्दर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई |
पुत्र जन्म से दोनों ही बहने अत्यधिक प्रसन्न हुईं , लेकिन कुछ दिनों बाद ही सुदेहा को लगा की अब तो इस घर में
उसका कोई महत्व ही नही रहा और वो घुश्मा के पुत्र से ईर्ष्या करने लगी |
जैसे जैसे घुश्मा का पुत्र बड़ा होने लगा ,वैसे वैसे सुदेहा की ईर्ष्या भी बड़ी होने लगी |
घुश्मा के पुत्र का जवान होने पर विवाह हो गया लेकिन सुदेहा की ईर्ष्या समाप्त नही हुई और एक दिन अवसर
मिलने पर सुदेहा ने घुश्मा के पुत्र की हत्या कर दी और उसके शव को उसी सरोवर में
फेंक दिया जिसमे घुश्मा प्रतिदिन सौ शिवलिंग की पूजा करके विसर्जन किया करती थी|
इतना सब होने पर घुश्मा को दुःख तो हुआ किन्तु साथ ही घुश्मा को अपने प्रभु शिव पर अटल विश्वास था कि
एक न एक दिन भगवन शिव उनके पुत्र को सकुशल लौटा देंगे |
भगवान शिव घुश्मा की भक्ति से अत्यधिक प्रसन्न हुए और घुश्मा का पुत्र उसी सरोवर से जीवित बाहर आ गया |
इसी के साथ प्रभु शिव भी प्रकट हुए और क्रोधित हो त्रिशूल से सुदेहा का वध करने चले किन्तु घुष्मा ने शिवजी से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि सुदेहा के अपराध क्षमा कर दें ।
घुष्मा की प्रार्थना भगवान शिव ने स्वीकार कर ली और साथ ही घुश्मा से वर मांगने को कहा तब घुश्मा ने प्रभु शिव से कहा की यदि आप प्रसन्न है तो सदा ही यहाँ पर निवास करे| भगवान शिव ने घुश्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए इसी स्थान पर विराजित हुए

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और अपने परम भक्त घुश्मा के नाम पर ही घुश्मेश्वर के नाम से संसार विख्यात हुए |
घुश्मेश्वर महादेव ghushmeshwar jyotirlinga के मंदिर के निकट ही बौद्ध धर्म के भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ स्थित हैं।जोकि मात्र लगभग 1.6 किमी दूर स्थित है

चूँकि घुश्मेश्वर महादेव की कृपा से ही घुश्मा को पुनः पुत्र की प्राप्ति हुई थी इसीलिए जिन दम्पतियों को संतान नही होती है या संतान प्राप्ति में कोई कष्ट होता है तो प्रभु घुश्मेश्वर उनको संतान प्रदान करते है |
कैसे पहुंचे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
how to reach ghushmeshwar jyotirlinga
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग आप वायुमार्ग , रेलगाड़ी और सड़कमार्ग से जा सकते है |
वायुमार्ग से कैसे पहुंचे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
how to reach ghushmeshwar jyotirlinga by flight
वायुमार्ग से घुश्मेश्वर महादेव जाने के लिए औरंगाबाद जनपद जाना होगा क्योंकि घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग से निकटवर्ती हवाई अड्डा औरंगाबाद जनपद में है जोकि घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगा से 30 किमी दूर स्थित है |
रेलमार्ग से कैसे पहुंचे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
how to reach ghushmeshwar jyotirlinga by train
घुश्मेश्वर महादेव का निकटवर्ती रेलवे स्टेशन पोटूल(station code – POZ)है लेकिन बड़ा रेलवे स्टेशन औरंगाबाद,रेलवे स्टेशन(station code – AWB ) जोकि लगभग 33 किमी दूर स्थित है |
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सड़कमार्ग से कैसे पहुंचे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
how to reach ghushmeshwar jyotirlinga by Road
aurangabad bus stand से घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगा जाने के लिए bus मिल जाती है | आप चाहे तो निजी वाहन या टैक्सी से भी घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगा जा सकते है |
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