विवाह पंचमी का क्या महत्व है Vivah panchami relation with Bhagwan Ram
विवाह पंचमी का क्या महत्व है Why Vivah panchami relate with Bhagwan Ram ?
आज इस पोस्ट मे हम जानेंगे विवाह पंचमी का क्या महत्व है? वैसेभारतीय संस्कृति में अनेक ऐसे पर्व और तिथियाँ हैं जो केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि जीवन की गहरी प्रेरणाएँ भी देती हैं और उन सभी का अपना एक महत्व है , इन्हीं में से एक अत्यंत शुभ तिथि है विवाह पंचमी।

यह तिथि हर वर्ष कार्तिक या मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है और इसे भगवान श्रीराम एवं माता सीता के पावन विवाह दिवस के रूप में माना गया है। यही कारण है कि लोग अक्सर जानना चाहते हैं कि विवाह पंचमी का क्या महत्व है?
इस तिथि पर होने वाले अनुष्ठान, व्रत और पूजन मन को आनंद से भर देते हैं और व्यक्ति को यह अनुभव कराते हैं कि विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का पवित्र मिलन है।
विवाह पंचमी पर जब श्रीराम और सीता के विवाह की कथा को मन से सुना या पढ़ा जाता है, तो लगता है जैसे अयोध्या और जनकपुर की पवित्र स्मृतियाँ आज भी जीवित हों। उस समय का वातावरण, राजमहलों की कान्ति, जनकपुर का उत्साह और प्रभु राम के आगमन की दिव्यता सब कुछ मानो सामने उपस्थित हो जाता है।
विवाह पंचमी वह पवित्र दिन है जब धरती पर मर्यादा, त्याग, संयम और प्रेम के सर्वोच्च आदर्शों का मिलन हुआ। इस विवाह को इसलिए आदर्श विवाह कहा जाता है क्योंकि इसमें कोई स्वार्थ, दिखावा, अभिमान या सामाजिक भेद नहीं था, बल्कि केवल धर्म, प्रेम और समर्पण की भावना थी।
विवाह पंचमी का क्या महत्व है?
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इस दिन माता सीता ने स्वयं भगवान राम का वरण किया था। माना जाता है कि माता सीता ने अनेक जन्मों का तप किया था ताकि उन्हें भगवान राम जैसे पति मिलें, और भगवान राम ने भी अपनी मर्यादा और गुणों से सिद्ध किया कि वे संसार के सर्वोत्तम पुरुष हैं।
यह दिन उन लोगों के लिए वरदान माना जाता है जो अच्छे जीवनसाथी की कामना करते हैं या जिनके विवाह में बाधाएँ आ रही हों। इस दिन व्रत, पूजा या संकल्प करने से विवाह योग मजबूत होता है और अड़चनें दूर होने लगती हैं।
विवाह पंचमी को माता सीता का जन्मस्थान जनकपुर (नेपाल) विशेष रूप से सजाया जाता है। वहाँ का पूरा वातावरण मानों स्वर्ग जैसा बन जाता है। सैकड़ों वर्षों से यह परंपरा है कि जनकपुर में इस दिन राम-सीता विवाह की झांकी, बारात और स्वयंवर की कथा का अद्भुत आयोजन होता है।
इसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह आयोजन धार्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक प्रेम का जीवित उदाहरण है। जब कोई व्यक्ति इस आयोजन को देखता है, तो उसे सहज ही समझ में आ जाता है कि वास्तव में विवाह पंचमी का क्या महत्व है और क्यों इसे अनगिनत लोग इतना पवित्र मानते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी विवाह पंचमी अत्यंत शुभ संयोग बनाती है। कहते हैं कि इस दिन जो भी व्यक्ति विवाह या संबंध से जुड़े संकल्प लेता है, उन्हें देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिन युवतियों का विवाह देर से हो रहा हो या जिनके संबंध बार-बार टूट जाते हों, उन्हें इस दिन माता सीता और भगवान राम की पूजा विशेष रूप से शुभ फल देती है।
यह तिथि व्यक्ति के कुंडली में उपस्थित विवाह बाधाओं को दूर करती है और शुभ ग्रहों को सुदृढ़ करती है। यही कारण है कि अनेक ज्योतिषी भी कहते हैं कि विवाह पंचमी का क्या महत्व है, इसका उत्तर केवल धार्मिक नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली है।
विवाह पंचमी के दिन जो दंपतियाँ पहले से विवाह कर चुके हैं, वे भी अपने वैवाहिक जीवन को मजबूत करने के लिए पूजा करते हैं। अनेक परिवार इस दिन दंपतियों का सम्मान करते हैं, उन्हें आरती उतारते हैं और वर-वधू का प्रतीकात्मक मिलन करवाते हैं। इससे घर में सौहार्द, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
यह दिन दांपत्य जीवन में मौजूद तनाव, गलतफहमी और ऱिष्तों की कठोरता को दूर करता है और व्यक्ति को यह याद दिलाता है कि विवाह केवल साथ रहने का नाम नहीं बल्कि एक-दूसरे की भावनाओं को समझने का पवित्र व्रत है।
आधुनिक समय में भी विवाह पंचमी का महत्व कम नहीं हुआ है। बल्कि आज के रिश्तों में बढ़ते तनाव और मतभेदों के बीच, राम-सीता का विवाह एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है कि संबंधों को निभाने के लिए प्रेम के साथ-साथ धैर्य, त्याग और मर्यादा की भी आवश्यकता होती है।
यही कारण है कि लोग इंटरनेट पर अक्सर खोजते हैं—विवाह पंचमी का क्या महत्व है—क्योंकि यह दिन जीवन में प्रेम, संतुलन और पवित्रता की अनमोल सीख देता है।
अंततः, विवाह पंचमी केवल एक तिथि नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का वह अध्याय है जो जीवन को प्रेम, सत्य, धर्म और मर्यादा से जोड़ता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संबंध तभी सफल होते हैं जब उनमें समझदारी, आदर और समर्पण की भावना हो। यही कारण है कि विवाह पंचमी आज भी लाखों लोगों के लिए उतनी ही पवित्र है जितनी हजारों वर्षों पहले थी।
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