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ज्योतिष के अनुसार शिक्षा -9 ग्रहों के अनुसार शिक्षा (education in astrology – education as per planets)
ज्योतिष के अनुसार शिक्षा ( education in astrology ) एक ऐसा विषय है जिसमे 9 ग्रहों के अनुसार शिक्षा चयन करने में सहायता मिलती है और आपकी संतान को पढ़ाई कैसी होगी ये चिंता दूर हो जाती है क्योंकि सभी ये चाहते हैं कि उनको बच्चो का उज्जवल भविष्य बने।
आइये 9 ग्रहों के अनुसार शिक्षा के अनुसार शिक्षा को समझने का प्रयास करते हैं
कुंडली में शिक्षा का योग कुंडली के द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम तथा एकादश भावों से निर्धारित होता है।
कुंडली के द्वितीय भाव से primary education का पता चलता है और साथ ही विद्या में निपुणता, प्रवीणता आदि का विचार किया जाता है।
इस भाव का बलवान होना या इसमे शुभ ग्रहों (planets ) का बैठना प्रारम्भिक शिक्षा मे सहायक होता है ,साथ ही ऐसे व्यक्ति की शिक्षा और बुद्धिमत्ता उच्च कोटि की होती है और उसे समाज मान-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष में कुंडली के चतुर्थ और पंचम भाव विद्या और बुद्धि के विषय मे बताते हैं
इसी प्रकार पंचम स्थान का स्वामी लग्न में अथवा लग्न का स्वामी पंचम भाव में हो या बुध लग्नस्थ हो तो ऐसा व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। कुंडली में बुध तथा शुक्र की स्थिति से विद्या और बुद्धि और बृहस्पति से विद्या और बुद्धि के विकास – वृद्धि को देखा जाता है
यदि नवम भाव में बुध, बृहस्पति और शुक्र हो तो ऐसे व्यक्ति की शिक्षा उच्च कोटि की होती है। यदि नवम भाव में बुध और गुरु के साथ शनि भी बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति उच्च कोटि का विद्वान होता है।
द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और नवम भावों का संबंध यदि बुध से हो जाये तो शिक्षा बहुत अच्छी होती है । उच्च शिक्षित होने के लिए नवम भाव और बुध एवं गुरु का बलवान होना आवश्यक है।
कुंडली के नवम भाव के कारक स्वामी बृहस्पति होते है और यहाँ बलवान बृहस्पति या बलवान शुक्र या बलवान कोई भी शुभ गृह का बैठना उच्च शिक्षा तथा उसके स्तर को दर्शाता है। यदि यहाँ मंगल , शनि जैसे ग्रह शुभ स्थिति मे बैठे हों तो तकनीकी उच्च शिक्षा प्राप्त होती है , कुंडली में शनि, राहु, केतु तथा मंगल का सम्बन्ध उच्च तकनीकी शिक्षा से होता है।
यदि नवम भाव का संबंध पंचम भाव से हो तो ऐसे व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त कर लेते है।
जन्म लग्न और चंद्र लग्न से पंचम स्थान के स्वामी की बुध, गुरु या शुक्र के साथ केंद्र, त्रिकोण या एकादश में स्थिति भी व्यक्ति की अच्छी शिक्षा दर्शाती है
इससे उस व्यक्ति की किस प्रकार की शिक्षा मे रुचि होगी ये भी पता चलता है ।
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ज्योतिष के अनुसार शिक्षा -9 ग्रहों के अनुसार शिक्षा
कुंडली में उच्च शिक्षा के कुछ योग इस प्रकार है :-
–> बुध की पंचम में स्थिति अथवा उस पर दृष्टि या गुरु और शुक्र की युति
–> पंचमेश की पंचम भाव में गुरु या शुक्र के साथ युति
–> गुरु, शुक्र या बुध की केंद्र या त्रिकोण में स्थिति
–> द्वितीयेश या गुरु की केंद्र या त्रिकोण में स्थिति।
–> पंचमेश का एकादश मे बैठना
–> पंचम भाव या पंचमेश पर मित्र बृहस्पति की दृष्टि
आपको प्राइमरी education के लिए 2nd , माध्यमिक के लिए 5th और उच्च शिक्षा के लिए 9th , यदि कुंडली मे इन्ही भावो मे बुधादित्य योग, गज केसरी योग, उपाध्याय योग, हंस योग, सरस्वती योग बहुत अच्छी शिक्षा का संकेत है , जबकि ये योग कुंडली मे काही भी हो तो भी अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है
विदेशी भाषा मे उच्च शिक्षा के लिए अच्छे राहू और शनि का याग होना बहुत आवश्यक होता है , यदि पंचमेश, नवमेश तथा चतुर्थेश का सम्बन्ध द्वादश एवं अष्टम भाव से हो तो व्यक्ति विदेश में शिक्षा ग्रहण करता है
image credit : unsplash
education in astrology – education as per planets
जानते है 2nd , 5th , 9th , 11th पर विभिन्न ग्रहो का प्रभाव से शिक्षा
चंद्र – बली चंद्र केंद्र त्रिकोण तथा शुक्ल पक्ष की पंचमी तक का हो तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति बलवान होती है। यदि कुंडली में चंद्र वृश्चिक का हो तो भी स्मरण शक्ति अच्छी होती है।
चंद्र के बलाबल और निर्बलता से व्यक्ति की स्मरण शक्ति की स्थिति पता चलती है ,यदि चंद्र दुर्बल है या पाप ग्रहों के प्रभाव मे हों तो व्यक्ति की स्मरण शक्ति काफी निर्बल होती है। चन्द्र समुद्र अभियंत्रण, मत्स्य पालन, संगीत, नर्स, गृहविज्ञान, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी, खेती, मनोविज्ञान आदि से जुड़ी शिक्षा देते है ।
सूर्य – सूर्य की स्थिति से व्यक्ति की तेजस्विता और सफलता का आंकलन किया जाता है। सूर्य दवा रसायन, प्रशासन राजनीति शास्त्र, आदि से जुड़ी शिक्षा देते है ।
बुध – इन भावों पर बुध का प्रभाव गणितीय क्षमता,सहज बुद्धि, विश्लेषण क्षमता, वाक् शक्ति, अभिव्यक्ति और आंकलन की क्षमता, विश्लेषण क्षमता लेखन क्षमता बताती है। बुध अस्त नही होने चाहिए । बुध वाणिज्य, पत्रकारिता, चार्टेड अकॉउंटेन्सी ,बैंकिंग,गणित आर्किटेक आदि से जुड़ी शिक्षा देते है ।
मंगल : सर्जरी, पदार्थ विज्ञान, दवा,सभी प्रकार का अभियंत्रण विशेषकर मेटलर्जी तथा माइनिंग, युद्ध विद्या आदि से जुड़ी शिक्षा देते है ।
गुरु : मानवशास्त्र, समाज विज्ञान, धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, गृह विज्ञान आदि।
शुक्र: नाट्य, सिनेमा, आर्किटेक्चर, फैशन डिज़ाइनर, सौन्दर्य प्रसाधन आदि।
शनि : आर्किओलॉजी, इतिहास, वनस्पति शास्त्र, कृषि मैकैनिकल इंजीनियरिंग, ज्योतिष।
राहु व केतु : कंप्यूटर विज्ञान,ज्योतिष, तंत्र, लेदर टेक्नोलॉजी, विष विद्या, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्युनिकेशन आदि।
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निष्कर्ष :
साथियों हमने जाना ज्योतिष के अनुसार शिक्षा -9 ग्रहों के अनुसार शिक्षा ( education as per astrology – education as per planets)
अब यदि कोई ग्रह ख़राब फल दे रहा हो , कुपित हो या निर्बल हो तो उस ग्रह के मंत्रों का जाप , रत्न आदि धारण करने चाहिए , यदि कोई उपाय कर रहें हों तो वो निरंतर और लंबे समय तक करने चाहिए
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