Holashtak 2024 होलाष्टक

Holashtak 2024 : होलाष्टक में न करे ये काम, संतान,धन वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अपनाए ये 5 उपाय

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Holashtak 2024: होलाष्टक में न करे ये काम, संतान,धन वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अपनाए ये 5 उपाय

Holashtak 2024 :  होली से ठीक आठ दिन पहले प्रेम भरे रंगों से भरपूर आपसी एकता का पर्व होली से जुड़े होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं और होलिका दहन के दिन तक चलते हैं और होलिका दहन के दूसरे दिन होली खेली जाती है । इस वर्ष होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होकर होली तक चलेंगे , इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च को होगा । होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को ही होलाष्टक कहा जाता है । होलाष्टक से पहले 14 मार्च को ही खरमास भी शुरू हो चुके है इसलिए इस अवधि मे विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं ।

(Holashtak 2024 Start Date)

प्रत्येक वर्ष होलाष्टक आठ दिन का होता है, इस वर्ष ये 17 मार्च 2024 से प्रारंभ होगा और इसका समापन होलिका दहन के दिन यानि 24 मार्च 2024 को होगा।

होलाष्टक के समय के आठ दिनों तक कोई भी मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, गृह प्रवेश , विवाह जैसे कोई भी शुभ और माँगलिक कार्य नहीं करना चाहिए  , होली पर्व से इन कार्यों को पुनः प्रारंभ किया जाता है।  होलाष्टक का आरंभ 17 मार्च से हो रहा है और होलिका दहन के दिन यानि 24 मार्च को होलाष्टक का समापन हो जायेगा ।

पंजाब और उत्तर भारत के राज्यों में  मुख्य रूप से होलाष्टक की मान्यता है। होलाष्टक का समय ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तप – साधना करना अत्यंत शुभदायी होता है। होलाष्टक में व्रत, दान करने का बहुत ही महत्व है और इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है।

होलाष्टक के समय होलिका दहन के लिए लकड़ियां एकत्रित करना अच्छा माना गया है। होली से 8 दिन पहले जहां होलिका दहन किया जायेगा उस स्थान को शुद्ध किया जाता है।

Holashtak 2024 होलाष्टक

क्यों माना जाता है होलाष्टक को अशुभ

(Why holashtak is inauspicious)

होलाष्टक के 8 दिनों में अष्टमी तिथि के दिन चन्द्रमा,नवमी के दिन सूर्य, दशमी के दिन शनि, एकादशी के दिन शुक्र, द्वादशी के दिन गुरु, त्रयोदशी के दिन बुध,चतुर्दशी के दिन मंगल और पूर्णिमा के दिन राहु उग्र अवस्था में रहते हैं। इसीलिए इन दिनों को नकारात्मक माना गया है।

ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक में किए गए मांगलिक कार्यों पर इन सभी उग्र ग्रहों का दुष्प्रभाव पड़ता है, जिस कारण से जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि इन दिनों में कोई शुभ काम किया जाता है तो उसका शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता।

होलाष्टक की पौराणिक कथा

holaashtak ki pauraanik katha

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप जोकि दैत्यों का राजा था , ने पुत्र प्रह्लाद को भगवान श्रीविष्णु की भक्ति करने को मना किया था लेकिन प्रह्लाद ने उनकी बात न मानी । इससे हिरण्यकश्यप ने क्रोध मे प्रह्लाद को अनेक कष्ट दिए और वो कष्टकारक दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक के दिन थे । लेकिन हिरण्यकश्यप के लाख प्रयासों के बाद भी प्रहलाद का कुछ भी बिगढ़ा क्योंकि प्रह्लाद की भक्ति में इतनी प्रबल थी कि श्रीहरि विष्णु प्रहलाद की रक्षा कर लेते थे ।

इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बहन होलिका को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जला कर मार देने का निर्देश दिया। होलिका को ये वरदान मिला था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती है । होलिका फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई किन्तु भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया जबकि होलिका जल गई। सत्य विजयी और असत्य पराजित हुआ और इसीलिए होलिका दहन की परंपरा आरंभ हुई और इससे पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता हैं।

 

होलाष्टक मे कौन कौन से काम नहीं किये जाते हैं 

16 संस्कारों मे से कोई भी संस्कार होलाष्टक में नहीं किया जाता है क्योंकि ऐसा माना गया है कि होलाष्टक में ही शिवजी ने कामदेव को भस्म किया था और इस समय अवधि में  प्रत्येक दिन नव ग्रह उग्र रहते हैं

आइए जानते हैं कि होलाष्टक मे कौन से 16 संस्कार नहीं किये जाते हैं

गर्भाधान

किसी भी स्त्री को होलाष्टक मे गर्भ धारण नहीं करना चाहिए ।

पुंसवन

गर्भ धारण करने के तीन महीने के बाद किया जाने वाला ये संस्कार भी नहीं होता है ।

सीमंतोन्नयन

गर्भ के चौथे, छठे व आठवें महीने में होने वाला संस्कार।

जातकर्म

बच्चे के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए शहद और घी चटाना और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना ।

नामकरण

बच्चे का नाम नहीं रखना चाहिए ।

निष्क्रमण

यह संस्कार बच्चे के जन्म के चौथे महीने में किया जाता है।

अन्नप्राशन

बच्चे के दांत निकलने के समय किया जाने वाला संस्कार

चूड़ाकर्म

मुंडन

विद्यारंभ

शिक्षा की शुरुआत

कर्णवेध

कान को छेदना।
यज्ञोपवीत- गुरु के पास ले जाना या जनेऊ संस्कार।

वेदारंभ

वेदों का ज्ञान देना।

केशांत

विद्यारम्भ से पहले बाल मुंडन।

समावर्तन

शिक्षा प्राप्ति के बाद घर / समाज में लौटना ।

विवाह

विवाह / शादी करना

अन्त्येष्टि

अग्नि परिग्रह संस्कार

होलाष्टक के सरल उपाय 

holaashtak ke saral upaay

1. होलाष्टक के समय भगवान श्रीकृष्ण के बाल्य रूप की गुलाल, धूप-दीप,फल-फूल से पूजा करना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए इससे दांपत्य जीवन में प्रसन्नता मिलती है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।

2. यदि आपके शरीर में कोई असाध्य रोग लगा हो तो रोगी भगवान शिव का पूजन करें ,महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें ,ऐसा करने से उपचार लाभकारी बन जाएगा , शरीर ठीक होने लगेगा ।

3. धन प्राप्ति के लिए श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करवाएं। जिसमे कमल गट्टे,साबूदाने की खीर से हवन करें।

4. यदि आप शत्रु से परेशान हैं तो उससे मुक्ति के लिए सुंदरकांड का पाठ, आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करें।

5. भगवान लड्डू गोपाल का पूजन स्वयं करें या करवाए जिसमे संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ भी  करवाये , प्रसाद मे केले और मक्खन मिश्री का भोग लगाए और पूजन के बाद प्रसाद वितरित कर स्वयं भी लें , ऐसा करने से शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है।

Holashtak 2024 : होलाष्टक

निष्कर्ष :

साथियों हमें आशा है कि आपको ये पोस्ट  “Holashtak 2024 : होलाष्टक में न करे ये काम, संतान,धन वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अपनाए ये 5 उपाय पसंद आई होगी , यदि हाँ तो इसे अपने जानने वालों में share करें। , कुंडली विश्लेषण के लिए हमारे WhatsApp number 8533087800 पर संपर्क कर सकते हैं

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श्री गणेश ज्योतिष समाधान 

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