अशुभ ग्रह कैसे पहचानें? अशुभ ग्रह को शुभ बनाने के सरल ज्योतिषीय उपाय A 2 Z Information in detail
अशुभ ग्रह कैसे पहचानें? अशुभ ग्रह को शुभ बनाने के सरल ज्योतिषीय उपाय A 2 Z Information in detail
मित्रों इस पोस्ट मे आज हम जानेंगे अशुभ ग्रह कैसे पहचानें? और कुंडली मे अशुभ ग्रह को शुभ बनाने के सरल ज्योतिषीय उपाय क्या होते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर ग्रह अपने साथ विशिष्ट ऊर्जा लेकर आता है। यदि ग्रह अनुकूल स्थिति में है तो जीवन में सफलता, स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा और स्थिरता मिलती है,
लेकिन जब यही ग्रह अशुभ स्थानों में बैठ जाएं या पाप ग्रहों के प्रभाव में आ जाएं, तब जीवन में अनचाहे संकट और रुकावटें बढ़ने लगती हैं। बहुत से लोग यह समझ नहीं पाते कि बार-बार असफलता, आर्थिक हानि, वैवाहिक तनाव या नौकरी की समस्या क्यों हो रही है। इसका मुख्य कारण अक्सर अशुभ ग्रह ही होते हैं।

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आइए जानते हैं
अशुभ ग्रह कैसे पहचानें, अशुभ ग्रह को शुभ बनाने के उपाय
कुंडली में अशुभ ग्रहों को पहचानने के लिए केवल राशि या भाव देखना पर्याप्त नहीं होता। ग्रह की दृषियाँ, उसके साथ बैठे ग्रह, उसकी अवस्था, नक्षत्र स्वामी और दशा–अन्तर्दशा बहुत मायने रखते हैं। कई बार एक ग्रह दिखने में शुभ लगता है लेकिन जिस नक्षत्र में वह बैठा है, वह नक्षत्र उससे विरोध रखता हो तो भी परिणाम अशुभ मिलते हैं। इसी प्रकार debilitated (नीच) ग्रह, पाप कर्तरी में फँसा हुआ ग्रह या शत्रु राशि में बैठे ग्रह भी जीवन को प्रभावित करते हैं।
अशुभ ग्रहों की पहचान अक्सर जीवन में आने वाले व्यवहारिक संकेतों से भी हो जाती है। उदाहरण के लिए जब मंगल अशुभ हो जाता है तो व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा, क्रोधी और असहिष्णु हो जाता है, साथ ही वाहन दुर्घटनाएँ, चोटें और रक्त संबंधी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
शुक्र अशुभ होने पर संबंध बिगड़ते हैं, प्रेम-प्रसंग असफल हो जाते हैं और आर्थिक अस्थिरता बढ़ती है। शनि के अशुभ प्रभाव से मेहनत का फल देर से मिलता है, कर्ज, अवसाद और लंबे समय तक चलने वाली समस्याएँ परेशान करती हैं। बुध खराब होने से निर्णय क्षमता कम हो जाती है, बार-बार गलत फैसले होते हैं और नौकरी में ग़लतफहमी या विवाद बढ़ते हैं।
कुंडली में कोई ग्रह अशुभ है या नहीं, इसका पता भाव परिणामों से भी लगाया जाता है। यदि ग्रह 6, 8 और 12 भाव में बैठ जाए तो उसका शुभ प्रभाव कम हो जाता है और वह अपने मुख्य कारक फल कम देने लगता है। इसी प्रकार सूर्य और शनि यदि एक साथ बैठे हों यानि उनकी युति हो तो व्यक्ति स्वाभिमानी नहीं अभिमानी बन जाता है , उसे अपने करिअर मे भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है ,
राहु और केतु यदि अपनी दिशा में अत्यधिक प्रभावी हो जाएं तो व्यक्ति कभी स्थिर नहीं रह पाता। यह सब संकेत बताते हैं कि ग्रहों का संतुलन कितना आवश्यक है।
अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है लेकिन इसके लिए सही उपाय अपनाने होते हैं। सबसे पहले ग्रहों को शांत करने के लिए उनसे जुड़े दान करना अत्यंत प्रभावी माना गया है। जैसे मंगल अशुभ हो तो लाल मसूर, लाल कपड़ा या रक्तदान श्रेष्ठ माना जाता है।
शनि अशुभ हो तो काला तिल, उड़द, चमड़ा या लोहे का दान किया जाता है। राहु और केतु के लिए धूप-दीप, तिल के तेल का दीपक और मंत्र जाप अत्यंत कारगर माने गए हैं। दान हमेशा योग्य व्यक्तियों को और सुबह के समय देना चाहिए, क्योंकि यह ग्रहों की नकारात्मक शक्ति को काफी हद तक कम कर देता है।
अशुभ ग्रह को शुभ बनाने में मंत्र शक्ति भी महत्वपूर्ण है। प्रत्येक ग्रह का बीज मंत्र उसके कम्पन (vibration) को संतुलित करता है। उदाहरण के लिए “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंगल के क्रोध को शांत करता है और साहस बढ़ाता है। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” शनि की विलंबकारी प्रवृत्ति को कम करता है और जीवन में स्थिरता लाता है।
प्रतिदिन दस मिनट का मंत्र जाप भी ग्रहों को सकारात्मक दिशा में ले जाता है। यदि व्यक्ति रोज सूर्य देव को अर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे और पूर्णिमा-अमावस्या पर नियम का पालन करे, तो ग्रह काफी हद तक संतुलित रहते हैं।
अशुभ ग्रहों को शुभ बनाने का एक सबसे सरल उपाय है अपनी आदतों और व्यवहार को सुधारना। ग्रह हमारे कर्मों से सक्रिय होते हैं। जब व्यक्ति अनुशासन, संयम, ईमानदारी और विनम्रता अपनाता है तो ग्रह का क्रोध शांत हो जाता है। उदाहरण के लिए शनि उन लोगों पर प्रसन्न होते हैं जो बुजुर्गों का सम्मान करते हैं और आलस से दूर रहते हैं। बुध उन व्यक्तियों पर कृपा करता है जो साफ-सुथरा बोलते हैं, लेखन और संवाद में सत्यता रखते हैं। शुक्र उन पर प्रसन्न होता है जो स्वच्छता, सौंदर्य और मधुर व्यवहार अपनाते हैं। इसलिए हर ग्रह को कर्मों से सुधारा जा सकता है।
ग्रह कितने ही अशुभ क्यों न हों, यदि व्यक्ति सही दिशा में प्रयास करे तो ज्योतिष समाधानों से उनका प्रभाव कम कर सकता है। ज्योतिष में उपाय केवल टूना-टोटका नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और व्यवहारिक सुधार की राह दिखाते हैं। ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव हमेशा स्थायी नहीं होता; सही समय, सही उपाय और सही कर्म उन्हें अनुकूल बना सकते हैं। इसलिए किसी भी समस्या के लिए घबराने की आवश्यकता नहीं, बल्कि ग्रहों को समझना और उनके अनुसार जीवन को संतुलित करना सबसे बुद्धिमानी का काम है।
FAQ Section
क्या हर व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह हमेशा अशुभ होते हैं?
जरूरी नहीं। ग्रह परिस्थितियों और दशा के अनुसार शुभ या अशुभ फल देते हैं। बदलती दशाएँ उनके प्रभाव को बदल सकती हैं।
क्या अशुभ ग्रह को शुभ बनाना संभव है?
हाँ, दान, मंत्र, पूजा, अनुशासन और सही कर्म से ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सकता है।
क्या नीच या पाप ग्रह हमेशा बुरा फल देते हैं?
हर बार नहीं। यदि नीच भंग राजयोग बन रहा हो या ग्रह शुभ दृष्टि में हों तो परिणाम सकारात्मक भी हो जाते हैं।
क्या अशुभ ग्रह के उपाय रोज करने चाहिए?
कम से कम 40 दिन नियमित उपाय करने से प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। कई उपाय जीवनभर पालन करने योग्य होते हैं।
Remark :
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