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क्या है आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग 21 foreign travel yoga in horoscope
साथियों आज के समय में यदि आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग है तो आपकी कुंडली एक भाग्यशाली कुंडली मानी जायेगी क्योंकि आज के समय में विदेश यात्रा हमारे जीवन में नए अवसर और उन्नति लाती है।
हममें से अधिकांश की इच्छा होती है कि कम से कम एक बार तो विदेश यात्रा हो जाती ।कई लोग विदेश यात्रा या विदेश में बसने का स्वप्न देखते हैं. वैसे भाग्य वालों को ही विदेश यात्रा का सुख मिलता है. जिसकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग होता है उसे कभी न कभी किसी कारण से विदेश जाने का अवसर मिल ही जाता है.
वैसे विदेश यात्रा या विदेश में बसना हमारे हाथ में नहीं होता है। क्योंकि जब तक आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग नहीं होंगे तब तक आप विदेश यात्रा नही कर पायेंगे ।
आइए जानते हैं कि आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग है या नही
कुंडली में विदेश यात्रा का योग
— > 1.जन्म कुंडली में विदेश यात्रा के योग हैं या नही इसके लिए आप अपनी कुंडली का 12th भाव देंखे क्योंकि कुंडली का 12th भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है। चंद्रमा को किसी भी यात्रा और विदेश यात्रा का नैसर्गिक कारक माना गया है और कुंडली के 10th भाव से आजीविका का पता चलता है।
— >2. कुंडली के 12th भाव में चंद्रमा हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। ऐसी स्थिति में जातक विदेश से आजीविका पाता है। कुंडली के 6th भाव में चंद्रमा हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
— >3. कुंडली के 7वें भाव या लग्न में यदि चंद्रमा स्थित हो तो ऐसे में जातक विदेश में व्यापार करता है.
— >4. कुंडली के 12वें भाव में यदि चंद्रमा हो तो जातक को विदेश यात्रा का सुख प्राप्त होता है. साथ ही ऐसे लोग विदेश में आजीविका की भी खोज कर लेते हैं.
— >5. यदि कुंडली के 10वें भाव में चंद्रमा हो या इस भाव में चंद्रमा की दृष्टि पड़ रही होती है तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं.
— >6. 7th भाव का स्वामी 12th भाव में हो या 12th भाव का स्वामी 7th भाव में बैठा हो यानि 7th भाव का स्वामी और 12th भाव का स्वामी में राशि परिवर्तन हो तो विदेश यात्रा की संभावना बढ़ जाती है और जातक विदेश से व्यापार करता है।
— >7. शनि ग्रह आजीविका के नैसर्गिक कारक होते हैं। विदेश यात्रा के लिए कुंडली में 12th भाव, 10th भाव,चंद्रमा और शनि की स्थिति का आंकलन किया जाता है।
— >8. शनि देव को आजीविका का कारक माना जाता है. ऐसे में शनि और चंद्रमा की युति भी विदेश यात्रा करवाती है . शनि और चंद्रमा की युति विषयोग कहलाती है और अपना घर छोड़ विदेश जाना भी एक समय में बहुत बुरा माना जाता था लेकिन आज के समय में ये योग विदेश यात्रा के अवसर का निर्माण करता हैं
— >9. 10th भाव में चंद्रमा हो या इस घर पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
— >10.. यदि 9th भाव में राहु बैठा है तो भी विदेश यात्रा के योग का निर्माण होता है।
— >11. यदि जन्मकुंडली में 10th भाव के स्वामी 12th भाव में बैठा हो और 12th भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं और जातक को विदेश से आजीविका कमाने का अवसर मिलता है।
— >12. यदि भाग्य भाव का स्वामी 12th भाव में है या 12th भाव का स्वामी भाग्य भाव में बैठा है तो जातक के विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
–>13. जब लग्नेश 12th भाव में भूमि तत्त्व राशि में बैठें हों तो व्यक्ति विदेश जा स्थायी रूप से वहीँ बस जाता है .
–>14. वृष लग्न हो और सूर्य तथा चंद्रमा 12th भाव में हो तो जातक विदेश यात्रा तो करता ही है बल्कि विदेश में ही व्यापार-व्यसाय में सफल होता है।
–>15. 5 th भाव का स्वामी जब 12 th बैठ जाए तो विदेश यात्रा का योग बनता है
–>16. वृष लग्न हो और शुक्र केंद्र में हो और 9th भाव का स्वामी 9th भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग होता है।
–>17. मिथुन लग्न में लग्नेश तथा 9th भाव के स्वामी का स्थान परिवर्तन योग हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
–>18. मिथुन लग्न में यदि शनि वक्री होकर लग्न में बैठा हो तो अनेक बार विदेश यात्राएं के योग बनते हैं।
–>19. लग्न में राहु अथवा केतु अनुकूल स्थिति में हों और 9th भाव तथा 12th स्थान पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
–>20 . 12th भाव का स्वामी जब 9th बैठ जाए तो विदेश यात्रा का योग बनता है
–>21. 9 th भाव का स्वामी जब 12 th बैठ जाए तो विदेश यात्रा का योग बनता है
image source : flickr
विदेश यात्रा के उपाय
–> यदि आप भी विदेश यात्रा करना चाहते है तो ऐसे में प्रतिदिन प्रातः उठकर स्नान के तांबे के लोटे में लाल मिर्च के दाने मिलाकर सूर्य को जल दें अथवा रोली डालकर भी जल दे सकते हैं . इस उपाय को नियमित को करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और विदेश यात्रा का योग बनता है.
–> इसके अतिरिक्त उड़ते हुए हनुमान जी की उपासना करने से भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं और साथ ही जीवन की अनेक कठिनाईयां भी समाप्त होती है.
–> विदेश जाने के लिए ‘राहु स्तोत्र’ का एक माला यानि कि 108 बार जप करें। आप चाहे तो राहु बीज मंत्र का जप भी कर सकते हैं। इस मंत्र का 40 दिन के भीतर 18000 बार और उसके दशांश का जप करना लाभदायक सिद्ध होता है।
–> निर्धन और विकलांगो को उड़द दाल एवं नारियल दान करने से भी राहु ग्रह प्रसन्न होता है।
निष्कर्ष : साथियों हम आशा करते है कि इस पोस्ट “क्या है आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग 21 foreign travel yoga in horoscope ” को पढ़ा ,
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