भालू और लालची किसान की कहानी The story of the bear and the greedy farmer in Hindi-panchantra story
भालू और लालची किसान की कहानी The story of the bear and the greedy farmer in Hindi : एक समय की बात है , एक गाँव में एक किसान रहता था, वो किसान बहुत लालची था और उसके लालच के गाँव के लोग किसान से दूरी ही रहते थे और उसको भला बुरा कहते थे ।
किसान को सभी बोलते थे कि वो अपना लालच छोड़ दे लेकिन वो नही मानता था , किसान की पत्नी और बच्चों ने भी किसान को बहुत समझाया की लालच बुरी बला है और आपको कभी भी लालच नहीं करना चाहिए
लेकिन किसान ने अपनी पत्नी और बच्चों की बात बिलकुल भी नही सुनता था , इसिलए धीरे धीरे गाँव के लोगो ने किसान से बातचीत करना भी बंद कर दिया था ।
जब किसान नही सुधरा तब कुछ समय बाद किसान के लालच से दुखी होकर किसान के पत्नी और बच्चे ने किसान का साथ छोड़ दिया और वहाँ से चले गये,
लेकिन किसान तब भी नही माना, अब किसान खेत में अकेला खेती करता लेकिन किसान से अकेले इतना परिश्रम नहीं हो पाता था कि उसकी खेती लाभ दे सके
किसान को अपनी खेती से जब फसल कम होने लगी तब लाभ भी कम होने लगा ।
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चूँकि किसान बहुत लालची था उसे खेत में काम करने के लिए किसी की आवश्यकता थी लेकिन कोई भी उसके साथ काम करने के लिए तैयार नही था क्योंकि क्या पता वो लालची किसान काम भी करा ले और वेतन भी न दे ।
किसान भी किसी को काम पर नही लगाना चाहता था क्योंकि उसे वेतन देना पड़ेगा तब लालची किसान ने एक उपाय सोचा कि क्यूँ न वो किसी जानवर को अपने साथ काम पर लगा ले जिससे उसे वेतन भी नही देना पड़ेगा और उसकी खेती भी अच्छी हो जायेगी
किसान पास के जंगल में गया उसको वहां एक भालू दिख गया , किसान ने भालू से कहा की तुम मेरे खेत में काम करो मै तुम्हे भर पेट खाना दूंगा इस पर भालू ने किसान से कहा कि मै तुम्हारे खेत में काम कर लूँगा लेकिन उसके बदले में तुम्हे मुझे अपनी आधी फसल देनी पड़ेगी ।
किसान बहुत धोखेबाज और लालची था , उसने कुछ सोचा और भालू से कहा की ठीक है जो भी फसल होगी उसके ऊपर का हिस्सा तुम ले लेना और जड़े में रख लूँगा, इस पर भालू तेयार हो गया और किसान के खेत में काम करने लगा ।
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किसान ने खेत में शलजम की फसल बो दी , भालू ने दिन रात परिश्रम किया, गाँव के सभी लोग भालू की परिश्रम को देखकर आश्चर्यचकित थे और भालू के परिश्रम के कारण इस बार फसल बहुत ही अच्छी हुई।
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अब फसल काटने का समय आ गया था किसान ने भालू से कहा की ऊपर की सारी फसल तुम ले जाओ और किसान ने सारे शलजम ले लिए ।
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भालू किसान की धोखेबाजी से बहुत दुखी हुआ उसने किसान को कहा कि तुमने मेरे साथ धोखा किया है मैं अब तुम्हारे साथ काम नहीं करूँगा और भालू वापस जंगल को जाने लगा ।
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इस पर धोखेबाज किसान ने सोचा की यदि भालू चला गया तो मेरे खेत में काम कौन करेगा और किसान ने मन ही मन कुछ सोच कर भालू से कहा कि , ‘जंगल में न जाओ मित्र , क्यों दुखी हो , इस बार तुम सारी जड़े रख लेना और ऊपर का भाग दे देना, भालू इस बात पर तैयार हो गया ।
अबकी बार लालची किसान ने खेत में गेहू बो दिए, भालू ने दिन रात परिश्रम किया और इस बार भी फसल बहुत अच्छी हुई , एक दिन फसल काटने का समय आ गया और तब किसान ने भालू से कहा की सारी जड़े तुम ले जाओ और किसान ने सारे गेंहू रख लिए ।
भालू किसान की धोखेबाजी से बहुत दुखी हुआ और किसान को कहा की तुमने मुझे जानबूझकर दो बार धोखा दिया है, अब तो मै तुम्हारे साथ बिलकुल भी काम नहीं करूँगा और भालू वापस जंगल चला गया ।
गाँव के लोगो ने भालू के परिश्रम को देखा था इस इसलिए गाँव के दूसरे किसान भालू को जंगल से वापस ले आये और अब भालू उनके खेत पर परिश्रम करने लगा , दूसरे किसान लालची नही थे और उन्होंने भालू को उसकी परिश्रम का पूरा भाग देते थे , अब गाँव के किसान और भालू दोनों ही बहुत खुश थे और वो
किसान फिर से अकेला हो चूका था उससे खेत में अकेले काम नहीं होता था अब उसके खेत में अधिक फसल भी नहीं हो रही थी धीरे धीरे उसे खेती में हानि होने लगी , अब तो पैसे देने पर भी कोई भी उसके साथ काम करने को तैयार नही था ।
लालची किसान दुखी था क्योंकि एक बार फिरसे परिश्रम की कमी के कारण उसकी खेती खराब हो गयी थी, किसान को अब समझ चुका था की उसके लालच और धोखेबाजी के कारण आज उसकी ये दुर्गति हुई है
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कहानी की शिक्षा
लालच बुरी बला होती है, लालच कभी नही करना चाहिए , लालच के कारण सभी दूर हो जाते है और संबंध टूट जाते है और दूसरी ओर परिश्रमी लोगो के पास काम की कोई कमी नहीं होती है ।
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