चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी clever rabbit and lion funny panchtantra story no.1

चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी clever rabbit and lion funny panchtantra story no.1

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चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी clever rabbit and lion funny panchtantra story no.1

चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी clever rabbit and lion : किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह प्रतिदिन शिकार पर निकलता और एक साथ अनेक जानवरों को मार देता था । वन के सभी जानवर डरने लगे कि यदि ये शेर इसी प्रकार शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि वन में कोई भी जानवर ही नहीं बचेगा।

सारे वन में खलबली मच गई। सभी शेर को रोकने के लिये कोई न कोई उपाय सोचने लगे । एक दिन वन के सारे जानवर एकत्रित हुए और इस प्रश्न पर विचार करने लगे कि शेर को कैसे काबू में करें । अन्त में उन्होंने तय किया कि वे सब शेर के पास जाकर उनसे इस विषय में बात करेंगे .।
दूसरे दिन जानवरों के एक झुंड शेर के पास पहुंचा। जानवरों के झुंड को अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और वो गरजकर बोला , ‘‘क्या बात है ? तुम सब यहां क्यों आये हो ?’’

जानवर दल के नेता ने शेर से कहा ‘‘शेर महाराज, हम आपके पास निवेदन करने आये हैं। आप राजा हैं और हम आपकी प्रजा। जब आप शिकार करने निकलते हैं तो बहुत जानवर मार डालते हैं। आप सबको खा भी नहीं पाते। इस प्रकार से हमारी संख्या तेजी से कम होती जा रही है।
यदि ऐसा ही होता रहा तो कुछ ही दिनों में वन में आपके अतिरिक्त और कोई भी नहीं बचेगा। जब प्रजा ही नही रहेगी तो आप राजा कैसे रहेंगे ? क्योंकि जब हम सभी मर जायेंगे तो आप किसके राजा कहलायेंगे ।
हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। इसलिए हमारी विनती है कि आप अपने घर पर ही रहा करें। हम सब प्रतिदिन स्वयं आपके भोजन के लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे।इस प्रकार से आप राजा और हम प्रजा दोनो ही शांति से रह सकेंगे।’’ शेर को लगा कि जानवरों की बात में सच्चाई है, ये लोग सही बात कह रहें हैं ।

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चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी clever rabbit and lion funny panchtantra story no.1

कहानी जारी ….

उसने थोडा सोचा और सोचकर बोला कि ठीक है , आप लोगों की बात अच्छी है। मैं आप लोगों के सुझाव को मान लेता हूं। लेकिन याद रखना, यदि किसी भी दिन तुमने मेरे भोजन के लिये जानवर नहीं भेजा तो मैं जितने जानवर मार डालूंगा, मुझे नही पता ।’’
जानवरों के पास इस समस्या का कोई हल नहीं था । इसलिये उन्होंने शेर की बात मान ली और अपने-अपने घर चले गये।

उस दिन से प्रतिदिन शेर के भोजन के लिये एक जानवर भेजा जाने लगा। इसके लिये वन में रहने वाले सब जानवरों में से एक एक जानवर बारी-बारी से चुना जाता था और शेर के पास भेजा जाता था ।
कुछ दिन बाद भोजन के लिये खरगोशों की बारी भी आ गई। तब सबने शेर के भोजन के लिये एक नन्हें से खरगोश को चुना । वह खरगोश था तो छोटा लेकिन एक नंबर का चतुर था।
उसने सोचा कि अब मरना तो है ही तो क्यों न कोई उपाय अपनाया जाए , बिना प्रयास के शेर के हाथों मरना मूर्खता है। अपनी जान बचाने का कोई न कोई उपाय अवश्य करना चाहिये और हो सके तो कोई ऐसी उपाय सोचना चाहिये जिससे सभी को इस समस्या से सदा के लिए छुटकारा मिल जाये। अंत उसने एक उपाय सोच ही निकाला ।

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खरगोश धीरे-धीरे बड़े आराम से शेर के घर की ओर चल पड़ा। जब वह शेर के पास पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी और भूख के मारे शेर का बुरा हाल हो गया था। जब उसने मात्र एक छोटे से खरगोश को अपनी ओर आते देखा तो क्रोध से बौखला उठा और गरजकर खरगोश से बोला, ‘‘किसने तुम्हें भेजा है ? एक तो पिद्दी हो और दूसरे इतनी देर से आये हो।
वन में रहने वाले जिन मूर्खों ने तुम्हें भेजा है मैं उन सबको देख लूँगा । एक एक को मार कर ख़त्म न किया तो मै वन का शेर नहीं।’’

नन्हे खरगोश ने आदर से धरती तक झुककर, ‘‘महाराज, यदि आप कृपा करके मेरी बात सुन लें तो मुझे या और वन के जानवरों को दोष नहीं देंगे।
वन के जानवरों तो जानते थे कि एक छोटा सा खरगोश आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, ‘इसलिए उन्होंने 6 खरगोश भेजे थे। लेकिन रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया। उसने 5 खरगोशों को मारकर खा लिया। मै किसी प्रकार बच कर आपके पास आया हूँ ’’

यह सुनते ही शेर दहाड़कर बोला, ‘‘क्या कहा ? वन में दूसरा शेर भी है ? कौन है वह ? तुमने उसे कहां देखा ?’’

‘‘महाराज, वह तो बहुत ही बड़ा शेर है’’, खरगोश ने कहा, ‘‘वह धरती के अन्दर बनी एक बड़ी गुफा में से निकला था। वह तो मुझे ही मारने जा रहा था। पर मैंने उससे कहा, ‘सरकार, आपको पता नहीं कि आपने कितनी बड़ी गलती कर दी है। हम सब अपने शेर महाराज के भोजन के लिये जा रहे थे, लेकिन आपने उनका सारा खाना खा लिया है। हमारे शेर महाराज ऐसी बातें सहन नहीं करेंगे। वे अवश्य ही यहाँ आकर आपको मार डालेंगे।’

‘‘इस पर वो शेर बोला, ‘कौन है तुम्हारा राजा ?’ मैंने जवाब दिया, ‘हमारा राजा वन का सबसे बड़ा शेर है।’

‘‘महाराज, ‘मेरे ऐसा कहते ही वह क्रोध से आग बबूला होकर बोला मूर्ख इस वन का राजा मात्र मैं हूं। यहां सब जानवर मेरी प्रजा हैं। मैं उनके साथ जैसा चाहूं वैसा कर सकता हूं। जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो उस चोर को मेरे सामने उपस्थित करो। मैं उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन है।’
महाराज इतना कहकर उस शेर ने आपको लाने के लिए मुझे यहां भेज दिया।’’
खरगोश की बात सुनकर शेर को बड़ा क्रोध आया और वह बार-बार गरजने लगा। उसकी भयानक गरज से सारा वन दहलने लगा।
शेर ने दहाड़कर कहा, ‘‘‘‘मुझे तुरंत उस मूर्ख का पता बताओ’’, जब तक मैं उसे जान से न मार दूँगा मुझे चैन नहीं मिलेगा।’’ ‘‘बहुत अच्छा महाराज,’’ खरगोश ने कहा ‘‘मृत्यु ही उस दुष्ट की सज़ा है। यदि मैं और बड़ा और बलवान होता तो मैं स्वंम ही उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता।’’

शेर ने कहा, ‘‘‘‘चलो, ‘मार्ग दिखाओ,’’ तुरंत बताओ किधर चलना है ?’’

खरगोश बोला ‘‘इधर आइये महाराज” और मार्ग दिखाते हुआ शेर को एक कुएँ के पास ले गया और बोला, ‘‘महाराज, वह दुष्ट शेर धरती के नीचे किले में रहता है। तनिक सावधान रहियेगा। किले में छुपा शत्रु खतरनाक होता है।’’
शेर ने कहा, ‘‘मैं उससे निपट लूँगा, तुम यह बताओ कि वह है कहाँ ?’’

खरगोश बोला ‘‘पहले जब मैंने उसे देखा था तब तो वह यहीं बाहर खड़ा था। लगता है आपको आता देखकर वह किले में घुस गया। आइये मैं आपको दिखाता हूँ।’’

खरगोश ने कुएं के निकट आकर शेर से अन्दर झांकने के लिये कहा। शेर ने कुएं के अन्दर झांका तो उसे कुएं के पानी में अपनी परछाईं दिखाई दी।

परछाईं को देखकर शेर ज़ोर से दहाड़ा। कुएं के अन्दर से आती हुई अपने ही दहाड़ने की गूंज सुनकर उसने समझा कि दूसरा शेर भी दहाड़ रहा है। शत्रु को तुरंत मार डालने के इच्छा से वह तुरंत कुएं में कूद पड़ा।

कूदते ही पहले तो वह कुएं की दीवार से टकराया फिर धड़ाम से पानी में गिरा और डूबकर मर गया।
इस प्रकार चतुराई से शेर से छुट्टी पाकर नन्हा खरगोश घर लौटा। उसने वन के जानवरों को शेर के मारे जाने की कहानी सुनाई। शत्रु के मारे जाने की सूचना से सारे वन में प्रसन्नता फैल गई। वन के सभी जानवर खरगोश की जय-जयकार करने लगे।

सीख : घोर संकट की परिस्थितियों में भी हमें सूझ बूझ और चतुराई से काम लेना चाहिए और अंतिम दम तक प्रयास करना चाहिए। सूझ बूझ और चतुराई से काम लेकर हम भयंकर संकट से उबर सकते हैं और बड़े से बड़े शक्तिशाली शत्रु को भी पराजित कर सकते हैं।

पंचतंत्र की कहानी :- चतुर खरगोश और शेर-पंचतंत्र की कहानी से मिलने वाली सीख 

संकट की परिस्थितियों में भी हमें धैर्य सूझ बूझ और चतुराई से काम लेना चाहिए और प्रयास करते रहना चाहिए।

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