शेर और भालू - पंचतंत्र की कहानी Sher Aur Bhalu Ki Kahani- Panchtantra Story

शेर और भालू – पंचतंत्र की कहानी Sher Aur Bhalu Ki Kahani- Panchtantra Story

शेर और भालू – पंचतंत्र की कहानी Sher Aur Bhalu Ki Kahani- Panchtantra Story

Sher Aur Bhalu Ki Kahani-शेर और भालू  : एक समय की बात है, विचित्र नाम के वन में वर्षों पहले एक भूरा नाम का शेर रहता था। वह भूरा शेर काफ़ी चतुर था और अपनी चतुराई से हर एक जानवर से मित्रता करके उसका लाभ उठाने में खूब मज़ा आता था। शेर सबसे अपना काम करवाने के बाद दूसरों को आवश्यकता पड़ने पर किसी के काम नही आता था ।

वन में सभी जानवर ये जानते थे कि भूरा शेर सबसे मित्रता करके अपना स्वार्थ निकालता है और जब स्वार्थ निकल जाता है तो फिर दूसरों की सहायता नहीं करता। अब सभी लोग उस शेर से दूर रहने लगे।

शेर को वन में मित्रों की खोज में घूमते-घूमते बहुत समय बीत गया लेकिन कोई नहीं मिला क्योंकि चतुर शेर की चतुराई से सभी परिचित थे

एक दिन भूरा शेर जब शाम को अपनी गुफ़ा में सोने जा रहा था, तो उसने देखा कि एक बूढ़ा भालू भी उसकी गुफ़ा के पास घर बनाकर रह रहा था।

शेर और भालू - पंचतंत्र की कहानी Sher Aur Bhalu Ki Kahani- Panchtantra Story

Sher Aur Bhalu Ki Kahani-शेर और भालू

उसके मन में हुआ कि इस बार इस बूढ़े भालू से मित्रता करके इसको मूर्ख बनाते तब बड़ा मज़ा आएगा।

प्रतिदिन भूरा शेर यही सोचता था कि किसी प्रकार भालू से बात हो जाए। 5- 6  दिन बीत गए, लेकिन उसे भालू से बात करने का कोई भी बहाना नहीं मिला।

एक दिन उसने सोचा कि भालू तो बूढ़ा है और ये बूढ़ा भालू मेरे क्या काम आएगा। इससे मित्रता करने का कोई लाभ नहीं है।

लेकिन तभी एक दिन भूरा शेर ने भालू को ची ची चिड़िया से बात करते हुए सुना। ची ची चिड़िया भालू से पूछ रही थी, “आप तो इतने बूढ़े हो गए हो तो इस आयु में अपने लिए खाना कैसे जुटाते हो?”

तब उस भालू ने ची ची चिड़िया को बताया, “ जब मै युवा था तब मैं मछली पकड़कर खा लेता था, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर पाता। इसका अर्थ ये कि मैं भूखा रहता हूँ। मैं अब शहद खाता हूँ। उसका स्वाद बहुत अच्छा है।

इसके लिए मै घने वन के अन्दर जाता हूँ और मधुमक्खियों से शहद लेकर खाता हूँ , वो बहुत स्वादिष्ट होता है।”

यह सारी बातें सुनने के बाद शेर के मन में हुआ कि मैंने भी कभी शहद नहीं चखा है। अब इस भालू से मित्रता करके मैं शहद का स्वाद चख सकता हूँ।

इसी सोच के साथ भूरा शेर ने एक योजना बनाई। उस योजना के अनुसार भूरा शेर भालू के पास गया और कहने लगा, “are भालू जी क्या आप मुझे पहचान रहें है ? आप जब युवा थे, तो आपने मुझे एक दिन कुछ मछलियाँ तालाब से निकाल कर आपको खिलाई थीं क्योंकि आप मुझे उस समय बहुत पसंद करते थे और आपने मेरी इस बहुत बार सहायता भी की थी । मैं हर बार खो जाता था लेकिन आप मिल ही जाते थे ।”

भालू को कुछ याद नहीं आ रहा था। उसने सोचा कि इतने वर्षों पुरानी बात है ये ऐसे कह रहा है तो हो सकता है कि कभी मैंने इसकी सहायता की हो। भालू सोच ही रहा था कि तब तक शेर ने कहा, “अच्छा, मैं चलता हूँ। कभी कोई आवश्यकता हो  तो आप मुझे याद कर लेना । मेरे को भी तो आपके काम आना चाहिए ” इतना कहकर भूरा शेर मंद मंद मुस्काता अपनी गुफ़ा की ओर चला गया।

 

Sher Aur Bhalu Ki Kahani-शेर और भालू

भालू भी अपने घर चला गया, लेकिन उसके दिमाग में अब शेर की बातें घूमने लगी । उसने सोचा, चलो अच्छी बात है कोई पुराना मित्र मिल गया।

अगले दिन शेर और भालू एक दूसरे से बातचीत करने लगी और इसी प्रकार शेर धीरे धीरे भालू से मित्रता करने लगा। एक दिन भूरा शेर ने भालू को अपने घर खाने का निमंत्रण दिया ।

भालू तो खाने का शौक़ीन था ही इसलिए उसने झट से भूरा शेर का निमंत्रण स्वीकार कर लिया , भालू निमंत्रण मिलने से बड़ा प्रसन्न था।

उधर भूरा शेर निमंत्रण देकर पछताने लगा कि  सोच रहा था कि मैं अपना खाना किसी को क्यों खिलायुं , मेरा तो दिमाग ही ख़राब हो गया है ।

अब वो सोच रहा था कि भी प्रकार वो भालू को रात में खाना खाने ही नहीं देगा। मैं रात में उसकी थाली में थोडा सा ही खाना लगाऊँगा और वो दुबारा मांगे इससे पहले ही अपना खाना समाप्त कर दूंगा।

रात के समय जब भालू आया तो चतुर शेर ने ऐसा ही किया। वो एक थाली में खाना लेकर आया। दोनों साथ में खाने के लिए बैठे। भालू बूढ़ा था तो वो आराम से खाना खाने लगा।

तभी शेर ने अपना खानक तेज़ी से खाना शुरू किया और कुछ ही समय में खाना समाप्त कर दिया। शेर ने भालू से कहा मित्र, मैं ऐसे ही खाना खाता हूँ। चतुर शेर की चतुराई से भालू बहुत निराश हुआ ।

दुखी मन से भालू वापस अपने घर आ गया। अगले दिन ची ची चिड़िया ने भालू से पूछा, “ क्या हुआ आपके साथ आप इतने दुखी क्यों हो?”

भालू ने रात को भूरा शेर के घर में हुई सारी बातें ची ची चिड़िया को बता दीं। ची ची चिड़िया ने हँसते हुए पूछा, “आपको नहीं पता शेर कैसा है? वो हमेशा सबसे मित्रता करता है और फिर उनका लाभ उठाकर चला जाता है। वो कभी किसी की सहायता नहीं करता। अब आपको किसी तरकीब से उसे सबक सिखाना चाहिए।”  और ये बात बताकर ची ची चिड़िया अपने घर चली गई।

भालू ने भी ठान ली कि वो अब भूरा शेर को सबक अवश्य सिखाएगा। इसी सोच के साथ भालू एक बार फिर भूरा शेर की गुफ़ा में गया। दोनों बातें करने लगे। भूरा शेर भालू से शहद पर बात करना चाहता था इसलिए बातों ही बातों में भूरा शेर ने भालू से पूछा, “ मित्र तुम अपना प्रतिदिन का खाना कहा से लाते हो?”

Sher Aur Bhalu Ki Kahani-शेर और भालू

भालू ने शेर घने वन में अन्दर जाने और मधुमक्खियों से शहद लेकर खाने की बात बता और ये भी बताया कि शहद बहुत स्वादिष्ट होता है।”

भूरा शेर ने शहद का नाम सुनते ही कहा, “मित्र, तुमने तो आजतक मुझे शहद का स्वाद चखाया ही नहीं।”

यह बात सुनते ही भालू के मन में हुआ कि अब इस चतुर शेर को सबक सिखाने का समय आ गया है। उसने कहा, “ आपको शहद खाना है? इतनी सी बात। रात को मेरे घर खाने पर आ जाना। मैं आपको शहद खिला दूँगा।”

भूरा शेर बड़ा प्रसन्न हुआ। वो रात होने की प्रतीक्षा करने लगा। रात होते ही शेर तेज़ी से भालू की गुफ़ा की ओर जाने लगा । भूरा शेरके आते ही भालू ने उसको बैठने के लिए कहा। उसके बाद भालू ने अपने घर का गेट बंद कर दिया।

ये देख भूरा शेर घबरा गया और भालू से पूछा, “ मित्र तुम इस गेट क्यों बंद कर रहे हो? इसे खुला ही रहने दो ” तब भालू ने कहा, “यदि शहद की सुगंध किसी और जानवर ने सूंघ ली  तो वो भी तो शहद मांगने आ सकता है इसलिए गेट बंद करना बहुत आवश्यक है।”

और भालू ने मधुमक्खी का पूरा एक छत्ता लाकर उस चतुर शेर के सामने रख दिया और कहा, “ लों भाई इसी छत्ते के अंदर शहद है।जितना मन करे खा लों  ”

शेर तो वैसे ही बहुत दिनों से शहद का स्वाद लेना चाह रहा था इसलिए जल्दी से मधुमक्खी के छत्ते के अंदर मुँह डाल दिया और तभी सभी मधुमक्खियों ने उस पर आक्रमण कर दिया और काटना शुरू कर दिया। उसके पूरे चेहरे पर सूजन हो गई और वो दर्द से बिलबिलाने लगा ।

लालची शेर जिस दिशा में भागता, मधुमक्खियाँ उसका उधर ही पीछा करने लगती।

अंत में क्रोध में भूरा शेर ने भालू से पूछा, “तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि शहद कैसे खाया जाता है?”

भालू ने भूरा शेर को तत्काल जवाब दिया कि मैं तो शहद ऐसे ही खाता हूँ। मुझे तो कोई मधुमक्खी नही काटती है और मंद मंद मुस्काने लगा ये देख भूरा शेर समझ गया कि भालू ने उससे बदला लिया है, इसलिए वो वहाँ से चुपचाप चला गया।

Sher Aur Bhalu Ki Kahani-शेर और भालू की कहानी से सीख

शेर और भालू की कहानी से यह सीख मिलती है कि अत्यधिक लालची नही बनना चाहिए और यदि किसी से सहायता लों  तो उसकी भी सहायता समय पर अवश्य करनी चाहिए ।

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