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गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter

गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter

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गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Guru ki Mahadasha me Vibhinn 12 Grahon ki Antardasha ka fal-remedies of malefic Jupiter Guru ki Mahadasha: गुरु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल जानने से पहले हमें गुरु ग्रह को समझना होगा । हमने इस पोस्ट मे गुरु के उपाय (remedies of malefic Jupiter) मित्रों गुरु बृहस्पति को धर्म का प्रतीक माना गया है,  गुरु बृहस्पति भगवान ब्रह्मा का ही एक रूप है यहाँ तक कि आप इन्हे भगवान श्री हरि विष्णु का प्रतिनिधि मान सकते हैं । जहां संस्कार ,धर्म , सत्य और संस्कृति है वहाँ गुरु बृहस्पति है , हमारे कार्यों और व्यवसाय का विस्तार गुरु बृहस्पति की कृपा से ही होता है । गुरु बृहस्पति हमारे जीवन के भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही पक्षों को नियंत्रित करते हैं । गुरु कुंडली मे 9 th एवं 12 th भाव के स्वामी होते है । आइये अब जानते हैं गुरु की महा...
Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses

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Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 8th lord in 12 different houses Kundli me Ashtmesh: कुंडली में अष्टम भाव मृत्यु का भाव कहलाता है। इसके साथ ही ये अकस्मात धन प्राप्ति का भाव भी होता है । अष्टम भाव का लग्न या पंचम भाव से संबंध होने से वो गुप्त विद्या की अच्छी समझ होती है , ऐसा व्यक्ति किसी विशेष कला में दक्ष हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली मे अष्टमेश का संबंध पंचम अथवा लग्न भाव से हो तो ऐसे व्यक्ति मे कोई न कोई कला अवश्य होती है। वहीं पंचमेश और अष्टमेश का संबंध आकस्मिक धन प्रदान करता हैं और जब अष्टम भाव का संबंध त्रिकोण से हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक धैर्यवान होता है । आइये आज समझते हैं कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति Kundli me Ashtmesh: 8th lord in 12 different houses 1. कुंडली में अष्टम...
12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby

12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby

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12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby Manikya se Labh-Benefits of Ruby :सूर्य ग्रह का रत्न है माणिक्य ,यदि आपके सूर्य अच्छे हैं तो आपके जीवन मे माणिक्य का प्रभाव बहुत ही सकरात्मक होता है । जब भी हमारे जीवन में निराशा छाने लगती है, अंधकार दिखना दिखने लगता है तो हमे माणिक्य पहनना चाहिए और साथ ही सूर्य की शरण मे जाना चाहिए  लेकिन माणिक्य पहनने से पहले अपनी कुंडली खोल ये अवश्य देख लें कि माणिक्य आपकी राशि के लिए लाभदायक है या नहीं । यदि आपकी कुंडली अनुसार माणिक्य लाभदायक है तो ये आपको पड़ प्रतिष्ठा ,समाज मे मान सम्मान देता है और साथ ही रोग , निराशा , अवसाद से मुक्ति देता है। आइये जानते है विभिन्न 12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव (Manikya se Labh-Benefits of Ruby) 12 राशियों के अनुसार माणिक्य का प्रभाव Manikya se Labh-Benefits of Ruby मेष लग्न ...
Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses

Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses

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Kundli me Saptmesh: कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 7th lord in 12 different houses Kundli me Saptmesh:  कुंडली में सप्तम भाव केंद्र स्थान और लग्न का पूरक भाव होता है, सप्तम भाव से जीवनसाथी, जननांग , वैवाहिक सुख , व्यापार, व्यापारिक रणनीति , कूटनीतिआदि को देखा जाता है। कुंडली के सातवें भाव से व्यक्ति द्वारा गोद ली गई संतान का भी पता चलता है। सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और जीवन मे नैतिक और अनैतिक संबंधों को भी बताता है। ज्योतिष के अनुसार यदि प्रथम भाव का स्वामी सातवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति अपने मूल स्थान से दूर कहीं और धन संपत्ति को बनाता है। मूलतः सप्तम भाव किसी व्यक्ति की साझेदारी को दर्शाता है जोकि वैवाहिक अथवा व्यापारिक हो सकती है। कुंडली में सप्तम भाव के द्वारा व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में मिलने वाले सुखों और दुःखों को जाना जा सकता है। ...
बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

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बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal बुध की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतरदशा का फल (Budh ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal):  बुध की महादशा 17 वर्ष की होती है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं और कन्या राशि में उच्च के और मीन राशि में नीच के माने जाते हैं । बुध को उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है। बुध से किसी भी व्यक्ति की वाणी यानि बोलने की शैली प्रभावित होती है , ये बुद्धि, संचार, तर्क शक्ति , त्वरित निर्णय लेने की क्षमता , गणितीय क्षमता और व्यापार के ग्रह माने गए हैं ब्रह्मांड मे उपस्थित सभी हरी वस्तुएं बुध के प्रभाव मे होती हैं, बुध दिस्वाभाव वाला ग्रह है। बुध से व्यापार,बहन,बुआ,गणित,ज्योतिष, अकाउंट आदि विषय का भी पता चलता है । बुध आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र के स्वामी है। बुध...
सूर्य की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतर्दशा का फल Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

सूर्य की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतर्दशा का फल Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal

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सूर्य की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतर्दशा का फल Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal Surya ki Mahadasha me Vibhinn Grahon ki Antardasha ka fal : सूर्य ग्रह जब कुंडली मे अच्छी स्थिति मे होते हैं तो सरकारी क्षेत्र में काम या सरकारी नौकरी प्राप्त होती है, हमे लोगों से सम्मान मिलता है, सूर्य व्यक्ति को अनुशासित, प्रभावशाली, प्रशासक, विश्लेषक, आविष्कारक और समय के साथ सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति भी बनाता है। सूर्य देव समस्त ग्रहों का राजा हैं। सूर्य ही सम्पूर्ण संसार में समस्त जीवधारियों की आत्मशक्ति प्रदान करते हैं और हमारी आत्मशक्ति कैसी है , कितनी प्रबल है ये सूर्य देव निर्धारित करते है। कुंडली में सूर्य देव की स्थिति ये निर्धारित करती है कि हम अपने plans को पूरा कर पाएंगे या नही । सूर्य आत्मकारक ग्रह हैं और जब तक आत्मा बलवान नही होगी तब तक मन मे कितने ही विच...
Kundli me Shashtesh: कुंडली मे षष्ठ भाव के स्वामी षष्ठेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 6th lord in 12 different houses

Kundli me Shashtesh: कुंडली मे षष्ठ भाव के स्वामी षष्ठेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 6th lord in 12 different houses

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Kundli me Shashtesh: कुंडली मे षष्ठ भाव के स्वामी षष्ठेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 6th lord in 12 different houses Kundli me Shashtesh: कुंडली मे षष्ठ भाव से रोग, ऋण और शत्रुओं का पता चलता है। जब कुंडली का ये भाव खराब स्थिति मे होता है तो यह भाव रोगों को जन्म देता है लेकिन यदि ये भाव अच्छी स्थिति मे हो तो ये हमे स्वस्थ रहने के लिए भरपूर शक्ति देता है। छठे भाव से परिश्रम, प्रतिस्पर्धा पता चलती है और साथ ही ऋण और ऋण को चुकाने की क्षमता ,रोग , शत्रु, चोर, दुःख,  निराशा,युद्ध आदि को दर्शाता है। कुंडली का छठा भाव पेट और वात रोग से जुड़ी समस्या, मामा, मानसिक चिंता और पीड़ा, नेत्रों मे कठिनाई,सेवा, दान की प्राप्ति बताता है , काल पुरुष के अनुसार कुंडली में छठे भाव की राशि कन्या है और इसका स्वामी बुध है। जबकि ऋषि पराशर के अनुसार छठा भाव स्त्रियों की कुंडली में उनकी सौतेली मां, गर्भपात या अचानक ...
जीवन में सुख समृद्धि धन और वैभव पाने के लिए करें बंदा का उपयोग,तंत्र शास्त्र के उपाय tantra shastra

जीवन में सुख समृद्धि धन और वैभव पाने के लिए करें बंदा का उपयोग,तंत्र शास्त्र के उपाय tantra shastra

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जीवन में सुख समृद्धि धन और वैभव पाने के लिए करें बंदा का उपयोग,तंत्र शास्त्र के उपाय tantra shastra tantra shastra : इस पोस्ट मे हम जानेंगे जीवन में सुख समृद्धि लाने के लिए कैसे करें बंद का उपयोग , वृक्ष-वनस्पतियों के तने मे पड़ने वाली गांठ में से जब कोई दूसरा वृक्ष उत्पन्न होता है तो उस नये वृक्ष को भी पुराने वृक्ष का बंदा कहा जाता है। तंत्र शास्त्र मे बंदा का उपयोग बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हमारे जीवन आने वाली भौतिक आपदाओं के निवारण मे बंदा बहुत ही उपयोगी माना गया है आज हम आपको जीवन में सुख समृद्धि के लिए तंत्र शास्त्र मे बंदा का उपयोग समझा रहे हैं , बंदा के तांत्रिक उपयोग के लिए आपको सही मुहर्त मे गांठदार बंदा अपने घर लाना होगा ।  बंदा अपने घर लाने से एक दिन पूर्व जाकर उस वृक्ष को अक्षत-पुष्प समर्पित कर पूजन करे और उसकी जड़ के पास एक दीपक जलाकर रख दें और आने वाले दूसरे दिन के ए...
कामदा एकादशी 2023 किस दिन मनाए 1 या 2 अप्रैल ? जाने शुुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि (Kamada Ekadashi 2023 Date)

कामदा एकादशी 2023 किस दिन मनाए 1 या 2 अप्रैल ? जाने शुुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि (Kamada Ekadashi 2023 Date)

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कामदा एकादशी 2023 किस दिन मनाए 1 या 2 अप्रैल ? जाने शुुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि (Kamada Ekadashi 2023 Date) Kamada Ekadashi 2023 Date: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी व्रत मनाया जाता है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोग इस वर्ष कामदा एकादशी व्रत को 1 अप्रैल तो कुछ 2 अप्रैल कह रहे हैं । ऐसे में लोगों के मन में भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि किस दिन कामदा एकादशी व्रत रखना चाहिए । कामदा एकादशी व्रत हमारी सभी मनोकामना की पूर्ति करने वाला व्रत माना गया है. ऐसा कहा गया है कि यह व्रत सभी प्रकार की घरेलू यानि पारिवारिक समस्याओं को दूर कर देता है । कामदा एकादशी व्रत के विषय मे विष्णु पुराण में भी वर्णन मिलता है, कामदा एकादशी व्रत रखने से हमे हमारे सभी कार्यों में सफलता मिलती है और जाने अनजाने हुए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्रा...
Kundli me Panchmesh : कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 5th lord in 12 different houses

Kundli me Panchmesh : कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 5th lord in 12 different houses

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Kundli me Panchmesh: कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति 5th lord in 12 different houses Kundli me Panchmesh : कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति से हमारी शिक्षा, संतान , प्रेम संबंध का पता चलता है , कुंडली मे पंचम भाव हमारी बुद्धिमता, पुत्र, धर्म, पेट की चर्बी, दायें गाल, ह्रदय का दायां भाग,दायें घुटने, कला, सृजनात्मकता, रंगमंच प्रस्तुति,मीडिया,आपकी माता का धन आदि को दर्शाता है। जहां पंचम भाव पर शुभ ग्रहों कि दृष्टि पंचम भाव से जुड़े फलों मे वृद्धि कर देती है वहीं पंचम भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो इसके गुणो या फलों में कमी आ जाती है । आइये जानने का प्रयास करते हैं कि कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति से क्या फल प्राप्त होता है कुंडली मे पंचम भाव के स्वामी पंचमेश की विभिन्न भावों मे स्थिति ...
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