दीपावली 2020: धनतेरस से भाई दूज (deepawali 2020)

दीपावली: धनतेरस से भाई दूज तक (deepawali muhrat)

दीपावली महापर्व जिसे कुछ लोग दिवाली भी कहते है का आरम्भ धनतेरस पर्व के साथ ही हो जाता  है और निरंतर 5 दिन चलने वाला ये पर्व भाई दूज पर्व को मनाने के साथ ही सम्पूर्ण होता है| आज के डिजिटल संसार में दीपावली पर्व की धूम पूरे संसार में ही देखने को मिल जाती है| दीपावली पर्व भगवान धन्वंतरि का पर्व है, यम देव की पूजा का पर्व है , माता महालक्ष्मी की पूजा के रूप में धन के आगमन का पर्व है और इसके बाद गोवर्धन पर्वत को पूजा का और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई बहन के अटूट प्रेम के रूप में मनाये जाने वाले भाई दूज का पर्व है , भाई दूज पर्व पर यमुनाजी में भाई बहन के स्नान कर पृथ्वी पर जन्म मरण के बंधन से मुक्त भी होते है|

वर्ष 2020 में दीपावली पर्व 13 नवम्बर 2020 को धनतेरस पर्व के साथ प्रारम्भ ही शुरू हो जाएगी और ये पर्व 16 नवम्बर 2020 को भाई दूज मनाकर संपन हो जायेगा |

आइये जानते है प्रथम दिन से अंतिम दिन तक दीपवाली पर्व में क्या क्या है :-

धनतेरस 2020 (dhanteras 2020)

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाये जाने वाले धनतेरस पर्व के साथ ही दीपावली महापर्व की शुरुआत हो जाती है । धनतेरस के दिन भगवान् धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस वर्ष धनतेरस पर्व 13 नवंबर को पड़ रहा है। धनतेरस के दिन व्यापारियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि इस दिन गहने , वाहन , इलेक्ट्रॉनिक सामान ,भूमि ,मकान और अपनी सामर्थ्य से घर की आवश्यकताओं का समान पूरा देश खरीदता है यहाँ तक कि कुछ व्यापारी तो पूरे वर्ष में जितनी बिक्री करते है उतनी बिक्री धनतेरस के दिन ही हो जाती है | ऐसा माना गया है कि धनतेरस के दिन जो कुछ ख़रीदा जाता है उसमे उसमें 13 गुने की वृद्धि हो जाती है इसीलिए धनतेरस पर्व के दिन लोग अपनी आवश्यकता का सामान अवश्य ही खरीदते है । 

धनतेरस का मुहर्त (dhanteras 2020 muhrat)

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि का आरम्भ 12 नवंबर को रात 9 बजकर 30 मिनट पर हो जायेगा और ये तिथि 13 नवंबर की संध्या के 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी, अब चूँकि उदया तिथि 13 नवंबर को पड़ रही है इसलिए धनतेरस पर्व भी 13 नवंबर 2020 को ही मनाया जाएगा|

धनतेरस पर्व का शुभ मुहूर्त :- 13 नवम्बर 2020 को संध्या 5 बजकर 34 मिनट से लेकर संध्या 6 बजकर 1 मिनट तक है। संध्या 5 बजकर 28 मिनट से लेकर रात्रि के 8 बजकर 7 मिनट तक इस दिन प्रदोष काल भी है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है । जबकि वृषभ काल मुहूर्त संध्या के  5 बजकर 34 मिनट से लेकर संध्या के 7 बजकर 29 मिनट तक है।

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2020)

धनतेरस के ठीक दूसरे दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर नरक चतुर्दशी पर्व को मनाया जाता है जिसेको रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दीपावली भी कहते हैं 

इस दिन अपने शरीर पर उबटन लगाये जाने की भी परम्परा है जिससे रूप में निखार आता है

नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली

नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा भी की जाती है जिसमे रात में भगवान् यमराज के नाम से दीपक निकाला जाता है |

भगवान् यमराज के नाम से निकलने वाले इस दीपक का बहुत ही महत्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यमदेव के नाम से निकाला गया दीपक परिवार के सभी लोगों की रक्षा करता है और किसी भी व्यक्ति की आकाल मृत्यु नही होती है |

ये दीपक घर के द्वार से बहार निकालना चाहिए|

इसके साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन माँ काली की भी पूजा की जाती है, जिसमे प्रातः सरसों का तेल से जल में डालकर स्नान करना चाहिए और उसके बाद माँ काली की पूजा करनी चाहिए , इस पूजा से माँ काली प्रसन्न होती है और हमारे जीवन में आने वाले दुखो का नाश करती है |

नरक चतुर्दशी का मुहर्त (Narak Chaturdashi 2020 Muhrat)

(When is Narak Chaturdashi 2020):

धनतेरस के दूसरे दिन छोटी दिवाली (जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते है ) मनाई जाएगी , वर्ष 2020 में नरक चतुर्दशी 14 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी|

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि 13 नवंबर को संध्याकाल 5 बजकर 59 मिनट से लग जाएगी और ये दूसरे दिन यानि  14 नवंबर को दिन में 2 बजकर 18 मिनट तक रहेगी अब चूँकि हिन्दू धर्मानुसार सूर्योदय के समय जो तिथि पड़ती है उस दिन वो ही तिथि मानी जाती है इसलिए ऐसे में उदया तिथि 14 नवंबर को ही है | अतः 14 नवंबर 2020 को ही नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी|

नरक चतुर्दशी को ही नरक चौदस या रूप चौदस भी कहा जाता है। इस दिन अभयदान यानि दीवाली स्नान अनुष्ठान का शुभ मुहर्त समय प्रातः 5 बजकर 23 मिनट से प्रारम्भ होकर 6 बजकर 43 मिनट तक का है।

दीपावली 2020 – deepawali 2020 / दिवाली 2020 – divali 2020

दीपावली के दिन मुख्य रूप से विघ्न नाशक गणपति और माता महालक्ष्मी की पूजा के जाती है ,

प्रयास करे की इस दिन घर में कही भी अन्धकार न रहे क्योंकि दीपावली महापर्व हमारे जीवन में से अन्धकार दूरकर प्रकाश लाने का ही पर्व है |ये पूजा देश के सभी व्यापारी ,नौकरी करने वाले ,किसान आदि बड़े ही मन से करते है और भगवान् गणपति से जीवन के विघ्न दूर करने की प्रार्थना और माता महालक्ष्मी से परिवार की दरिद्रता दूर कर धन देने की प्रार्थना करते है |

ये पूजा स्थिर लग्न में करनी चाहिए जिससे घर में माता महालक्ष्मी का सदा वास बना रहे |  

दीपावली का मुहर्त ( deepawali 2020 muhrat )

(When is divali 2020)( When is deepawali 2020 ) 

दीपावली  सन 2020 में 14 नवंबर को ही मनाया जायेगी क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार, अमावस्या दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 14 नवंबर को ही प्रारम्भ हो रही है जोकि दूसरे दिन 15 नवंबर को प्रातः 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी |

अब चूँकि अधिकतर लोग दीपावली का पूजन अमावस्या की रात में ही करना पसंद करते है अमावस्या तिथि की रात्रि 14 नवम्बर 2020 को ही है इसलिए लक्ष्मी पूजन अमावस्या की संध्या यानि 14 नवम्बर 2020 को ही होगा |  मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त संध्या 5 बजे से 7 बजे तक है|

दिवाली 2020 शुभ मुहूर्त :- माता महालक्ष्मी पूजा का मुहूर्त संध्या 5 बजकर 30 मिनट से लेकर संध्या 7 बजकर 25 मिनट तक का है। दिवाली के दिन प्रदोष काल मुहूर्त संध्या 5 बजकर 27 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा और साथ ही  वृषभ काल मुहूर्त संध्या 5 बजकर 30 मिनट से लेकर संध्या 7 बजकर 25 मिनट तक है ।

गोवर्धन पूजा 2020 ( Govardhan Pooja 2020)

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है , इस वर्ष ये 16 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन अन्नकूट आदि उत्सव भी मनाएं जाते हैं। गोवर्धन पूजा में गोवर्धन महाराज की पूजा मुख्य रूप से की जाती है ,साथ ही गोधन अर्थात गाय की पूजा की जाती है।

गोवर्धन पूजा का मुहर्त ( Govardhan Pooja 2020 Muharat )

(When is Govardhan Pooja 2020 )

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त :- वर्ष 2020 में गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 15 नवम्बर 2020 की संध्याकाल 3 बजकर 18 मिनट से लेकर संध्या के 5 बजकर 27 मिनट तक है। गोवर्धन पूजा में विशेष रूप से गोवर्धन महाराज और गाय माता की  पूजा की जाती है|

इस दिन ही द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बृज क्षेत्र की रक्षा की थी और भगवान इंद्र को हरा कर बृज को इन्द्रदेव के कोप से बचाया था इसीलिए आजतक हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। 

भाई दूज 2020 ( Bhai Dooj 2020)

भाई दूज का मुहर्त ( Bhai Dooj 2020 Muharat )

(When is Bhai Dooj 2020) 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पूरा देश भाई दूज पर्व को मनाता है जिसे भैया दूज भाई टीका या यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है।

वर्ष 2020 में भाई दूज 16 नवंबर 2020 को पड़ रहा है।

भाई दूज 2020 का शुभ मुहूर्त :-  भाई दूज को भाई को लगाये जाने वाला तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

इस दिन मथुरा में यमुना जी में स्नान करने देश के कोने कोने से भाई बहन आते है | ऐसी मान्यता है की इस जो भाई बहन यमुना जी में स्नान करते है ,उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है | इस दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर भगवान् से अपने भाई के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। भाई दूज पर भाई भी अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार देते है।

भाई दूज या भैया दूज को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि भी कहा जाता है। इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। 

भाई दूज जिसे यम द्वितीय भी कहते है के बारे में ऐसी मान्यता है कि एक बार भगवान्य यमराज ने अपनी बहन यमुना के प्रेम से प्रसन्न होकर यमुना जी से कोई वरदान मांगने को कहा। तब यमुना जी ने भगवान्उ यमराज से कहा ” दीपावली के बाद यम व्दितीया के दिन जो भाई बहन एक दूसरे का हाथ पकड़ कर यमुना जी  में स्नान करेंगे उन्हें यमलोक नही जाना पड़ेगा” ।

यमुना जी को दिए वरदान को स्वीकार करते हुए भगवान् यमराज ने कहा “तथास्तु” 

उसी समय से मथुरा नगर में यमुना के विश्राम घाट पर प्रतिवर्ष यम द्वितीय के दिन भाई बहन एक दूसरे का हाथ पकड़ स्नान करते आ रहे जिससे उन्हें यमलोक न जाना पड़े । भाई दूज के दिन मथुरा में देश विदेश से असंख्य भाई बहन एक दूसरे का हाथ पकड़ कर यमुना जी में स्नान करते हैं और अपने मोक्ष की कामना करते है ।

मथुरा में देश का एकमात्र यमराज मंदिर भी है।

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