कुंडली में संतान योग - kundli me santan yog

कुंडली में संतान योग – kundli me santan yog se jaane kab hogi santan A 2 Z detailed Information

कुंडली में संतान योग – kundli me santan yog se jaane kab hogi santan A 2 Z detailed Information

kundli me santan yog : कुंडली में संतान योग एक ऐसा विषय है जिसे हर वह दंपति जानना चाहता है जिसकी संतान नहीं हुई है या संतान पर कोई कष्ट है या संतान से ही कोई कष्ट है । 

हम आज अपनी इस पोस्ट में कुंडली में संतान योग ( kundli me santan yog ) पर विस्तार से चर्चा करेंगे क्योंकि संतान ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हमारा वंश बढ़ता है और हर व्यक्ति यह चाहता है उसके वंश में वृद्धि हो और उसकी संतान उसका नाम रोशन करें तो आइए हम सब यह जानने का प्रयास करते हैं कि हमें कुंडली में संतान योग कैसे देखना चाहिए . . . 

कुंडली में संतान योग - kundli me santan yog

kundli me santan yog (कुंडली में संतान योग)

मित्रों जब भी हम संतान की प्राप्ति करना चाहते हैं या संतान कैसी होगी यह जानना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें सप्तमांश कुंडली देखनी होती है । 

1. जब किसी व्यक्ति की सप्तमांश कुंडली में लग्न में पड़ी हुई राशि पुरुष ग्रह से जुड़ी होती है तो ऐसे व्यक्ति को पुरुष संतान होती है ।

2.  जब किसी व्यक्ति की सप्तमांश कुंडली में लग्न में पड़ी हुई राशि स्त्री ग्रह से जुड़ी होती है तो ऐसे व्यक्ति को स्त्री संतान होती है । 

इसी के साथ हमें यह भी देखना चाहिए की सप्तमांश कुंडली के लग्न मे कौन सी राशि है जैसे सप्तमांश कुंडली में लग्नेश शुभ राशि हो या  शुभ भाव में हो , केंद्र स्थान या त्रिकोण में हो तो हम यह कह सकते हैं कि ऐसे व्यक्ति की संतान बहुत अच्छी होगी । इसके साथ ही हमें यह भी देखना होता है की सप्तमांश कुंडली में लग्नेश , अपने मित्र की राशि में बैठे हैं अथवा शत्रु की राशि में बैठे हैं 

3. यदि सप्तमांश कुंडली में लग्नेश ,  मित्र राशि में बैठे हो , लग्नेश पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति की संतान उच्च कोटि की होती है ।4. यदि लग्न में कोई शुभ ग्रह बैठा हो और वह बलवान हो तो भी व्यक्ति की संतान उच्च कोटि की प्राप्त होती है लेकिन इसके साथ-साथ हमें यह भी देखना होता है कि d7 यानी सप्तमांश कुंडली के पंचम भाव में कौन सी राशि है और कौन से ग्रह बैठे हैं 

5. यदि पंचम भाव शुभ स्थिति में है , वहां शुभ ग्रह बैठे हैं और शुभ ग्रहों की दृष्टि है तो ऐसी स्थिति में भी अच्छी संतान प्राप्त होती है । यदि सप्तमांश कुंडली में पंचम भाव के स्वामी पुरुष राशि में बैठे हो या पुरुष ग्रह उन्हें देख रहे हो अर्थात पंचमेश को पुरुष ग्रह देख रहे हों या  पंचम भाव को पुरुष ग्रह देख रहे हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की संतान पुरुष होती है  । 

6.  यदि सप्तमांश कुंडली में कुंडली के पंचम भाव के स्वामी स्त्री ग्रह की राशि में बैठे हो या उनपर स्त्री ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की संतान स्त्री होती है । 

7.  यदि सप्तमांश कुंडली में कुंडली के पंचम भाव पर पापी और क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो तो संतान प्राप्ति में विलंब हो सकता है । 

8. यदि पंचम भाव पर राहु केतु की उपस्थिति हो और राहु या केतु की स्थिति शुभ हो तो यह विलक्षण संतान प्राप्त होने का संकेत है 

9. यदि वहां बैठे राहु और केतु अशुभ हो तो व्यक्ति की संतान बिगड़ी हुई हो सकती है या बहुत ही प्रयासों के बाद प्राप्त होती है । 

10. यदि लग्न पर या पंचम भाव पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि ना हो तो ऐसी स्थिति में संतान नहीं भी होती है । 

11. जब पंचमेश की महादशा हो या गोचर मे पंचम भाव या भवापति पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो संतान होती है ।

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