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jagannath temple:श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर ध्वज वायु के विपरीत दिशा में ही लहराता है jagannath puri char dham A 2 Z Complete & Easy Guide
(jagannath story)
jagannath temple : जगन्नाथपुरी उड़ीसा राज्य के पुरी नगर में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित वो तीर्थ है जहाँ समस्त सृष्टि के स्वामी श्री जगन्नाथ विराजित है| हिन्दू धर्म में अति पवित्र चार धाम (char dham) में से एक धाम है जगन्नाथ पुरी (jagannath puri) , अन्य तीन धाम है – बद्रीनाथ,द्वारिका और रामेश्वरम| हिन्दू धर्म में कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि 4 धामों में बद्रीनाथ,केदारनाथ,यमनोत्री और गंगोत्री आते है|
जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) एक वैष्णव मंदिर है जो अपनी बेहतरीन नक्काशी व भव्यता लिए प्रसिद्ध है जहाँ भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण हीं प्रभु जगन्नाथ कहलाते है| श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा विराजित हैं। गर्भ गृह में इनकी मूर्तियां एक रत्न जड़ित पाषाण चबूतरे पर विराजित हैं।
जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) से जुड़े हुए अनेक ऐसे चमत्कार है जोकि हिन्दू धर्म की सत्यता,वास्तविकता और सृष्टि के रचयिता के हम सब के बीच होने का प्रमाण है और यहाँ बहुत कुछ ऐसा होता है जिसका कारण वैज्ञानिक भी नही बता पाते है जैसे:-
जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) के रहस्य
jagannath puri temple facts
- श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता रहता है और ये लाल ध्वज ये बताता है की मंदिर के भीतर भगवन उपस्थित है |
- श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर मंदिर के शीर्ष पर अष्टधातु से निर्मित एक सुदर्शन चक्र लगा है जिसे नीलचक्र भी कहते हैं और ये भगवान विष्णु का ही सुदर्शन चक्र माना जाता है ,ये एक ऐसा चमत्कारिक सुदर्शन चक्र है जिसे आप पुरी में किसी भी स्थान देखेंगे तो ये सुदर्शन चक्र आपको सदैव अपने सामने दिखेगा।
- श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य गुंबद की कभी छाया नहीं बनती जबकि ये मंदिर अत्यधिक भव्य और ऊंचा मंदिर है। श्री जगन्नाथ मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर भी इसका गुंबद देख पाना दिन के किसी भी समय संभव नही है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर आप कभी भी पक्षी उड़ते हुए नही देख सकते यहाँ तक कि मंदिर के ऊपर विमान भी नहीं उड़ायें जाते है जबकि सामान्यतः मंदिरों के गुंबद के ऊपर पक्षी बैठते ही है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर की रसोई संसार की सबसे बड़ी रसोई है जहाँ 500 रसोइए और उनके 300 सहयोगी प्रभु जगन्नाथ के लाखों भक्तों के लिए एक साथ भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद (भोजन) बनाते है और यहाँ लगभग 20 लाख भक्त एक साथ भोजन कर सकते हैं और प्रसाद भले ही कुछ हजार लोगों के लिए ही बना हो लेकिन इससे सभी भक्तों चाहे उनकी संख्या लाखों में हो ,का पेट भर सकता है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर भोजन लकड़ी पर ही पकाया जाता है और सभी बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रख कर भोजन बनाया जाता है और प्रभु जगन्नाथ का चमत्कार है की सबसे ऊपर वाले बर्तन का भोजन सबसे पहले और सबसे नीचे वाले बर्तन का भोजन सबसे बाद में पकता है |
ऐसे ही अनेक चमत्कार है जोकि प्रभु श्री हरि विष्णु जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) में होने के साक्षात प्रमाण है |
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श्री जगन्नाथ मंदिर में मात्र हिन्दुओ को ही प्रवेश की अनुमति है यहाँ तक की पर्यटकों का भी प्रवेश प्रतिबंधित है। मंदिर में पर्यटक निकट ही स्थित रघुनंदन पुस्तकालय की छत से अहाते और अन्य आयोजनों का दृश्य देख सकते हैं| बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म के लोग भारतीय वंशावली का प्रमाण देकर मंदिर के प्रांगण में आ सकते हैं|
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प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा
jagannath puri rath yatra
संसार के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है जगन्नाथपुरी रथयात्रा महोत्सव जिसे देखने के लिए सभी धर्मों के लोगों के साथ साथ विदेशी पर्यटक भी आते है | श्री जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के अवतार) की रथयात्रा में जो लोग भाग लेते है उन्हें भाग लेने या देखने मात्र से सौ यज्ञों पुण्य मिलता है|
प्रभु जगन्नाथ रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
5 किलोमीटर लम्बी चलने वाली प्रभु जगन्नाथ की विशाल रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) से आरम्भ होती है और इस दस दिवसीय महोत्सव का आरम्भ अक्षय तृतीया के दिन से प्रभु जगन्नाथ ,ज्येष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा के लिए रथ के निर्माण से ही हो जाता है|
प्रतिवर्ष होने वाली इस रथयात्रा का आयोजन माता सुभद्रा की नगर भ्रमण की स्मृति में किया जाता है जिसमे श्रीकृष्ण व बलराम ने माता सुभद्रा को रथ पर बैठा कर पुरी द्वारिका नगर का भ्रमण करवाया था |
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जगन्नाथ पुरी में दर्शन का समय
jagannath puri temple darshan timings
जगन्नाथ पुरी में आप प्रातः 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक दर्शन कर सकते है |
जगन्नाथ पुरी कैसे जाये how to reach jagannath puri
वायु मार्ग से जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचे
how to reach jagannath puri by flight
जगन्नाथ पुरी का निकटम हवाई अड्डा भुवनेश्वर (Bhubaneswar Airport (BBI) है जोकि जगन्नाथ पुरी से 60 किमी दूर है और विशाखापत्तनम हवाई अड्डा (Visakhapatnam Airport (VTZ))जोकि आंद्रप्रदेशमें स्थित है ,372 किमी दूर है |
जहा आप भारत के लगभग सभी प्रमुख नगरों से वायुयान से यात्रा के लिए जा सकते है |
रेलमार्ग मार्ग से जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचे
how to reach jagannath puri by train
पुरी भारत में East Coast Railway का अंतिम स्टेशन है जहाँ एक्सप्रेस और सुपरफ़ास्ट सभी प्रकार की रेलगाड़ी आती है| पुरी स्टेशन दिल्ली,कोलकाता,चेन्नई,मुम्बई,वाराणसी,पटना,अहमदाबाद,तिरुपाति जैसे अनेक प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है |
Click here to book tickets online: https://www.irctc.co.in/
सड़कमार्ग मार्ग से जगन्नाथ पुरी कैसे पहुंचे
how to reach jagannath puri by road
सड़कमार्ग से तो पुरी भारत के सभी नगरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है | आप जगन्नाथ पुरी जाने के लिए सरकारी बस सेवा /प्राइवेट बस या टैक्सी का प्रयोग कर सकते है , सरकारी बस सेवा में online ticket book करने के लिए आप
यहाँ click कर सकते है : – Orissa State Road Transport Corporation
दोनों से पहुँच सकते है जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) से निकटतम बस स्टैंड गुंडिचा मंदिर के निकट स्थित है जहाँ भुवनेश्वर और कटक से निरंतर वाहन आते रहते हैं और इस बस स्टैंड से मात्र 10 से 15 मिनट में जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) पहुंचा जा सकता है। जगन्नाथ पुरी (jagannath temple ) भुवनेश्वर नगर से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है, जबकि जमशेदपुर से 333.9 किमी, विशाखापत्तनम से 355.1 किमी, रांची से 396.3 किमी और कलकत्ता से 403.7 किमी की दूरी पर स्थित है ।
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