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somnath temple: सोमनाथ मंदिर जिसे चंद्रमा ने स्वंम बनाया 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग

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somnath temple:सोमनाथ मंदिर जिसे चंद्रमा ने स्वंम बनाया 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग

somnath temple: 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात नामक प्रदेश में समुद्र के किनारे स्थित सोमनाथ मंदिर में विराजित सोमनाथ भगवान् हैं, हिंदू धर्म में सोमनाथ मंदिर का अत्याधिक महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था और इस बात का उल्लेख ऋग्वेद में भी है।

12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का वर्णन महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि में भी किया गया है।चैत्र ( जोकि अंग्रेजी माह मार्च-अप्रैल के आसपास पड़ता है) , भाद्रपद ( जोकि अंग्रेजी माह अगस्त –सितम्बर के आसपास पड़ता है) , कार्तिक माह ( जोकि अंग्रेजी माह अक्टूबर – नवम्बर के आसपास पड़ता है) में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

यहाँ लोग अपने पूर्वजों / घर की मृत आत्माओं की शांति हेतु श्राद्ध करने भी आते है । इसके अतिरिक्त यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम भी है और इस त्रिवेणी संगम पर स्नान का विशेष महत्व है।

भालका तीर्थ स्थल 

सोमनाथ मंदिर मे गुजरात के वेरावल में लगभग 5 किलोमीटर दूर भालका तीर्थ स्थल स्थित है , ये वो ही स्थान है जहां श्री कृष्ण नें अपनी का देह त्याग किया था। ऐसा कहा जाता है की महाभारत युद्ध समाप्त होने के 36 वर्ष बाद तक यदुवंशी आपस में लड़ाई झगड़े करने और इससे दुखी हो श्री कृष्ण सोमनाथ मंदिर से 7 km दूर वैरावल मे इस स्थान पर आकर विश्राम करने लगे,

श्री कृष्ण के बाएं पैर का पदम था जो दूर से चमकता हुआ दिखाई दे रहा था जिसे जरा नामक भील ने किसी मृग के नेत्र समझ लिया और मृग के शिकार हेतु उस ओर तीर छोड़ दिया, जो सीधे कृष्ण के बाएं पैर में जाकर लग गया, बाण लगने से घायल श्रीकृष्ण भालका तीर्थ से थोड़ी दूर , सोमनाथ मंदिर से लगभग 1.5 km दूर की स्थित हिरण नदी के तट पर पहुँचे जहां उन्होने मानव देह त्याग दिया ।

भालका तीर्थ गुजरात के बड़े नगरो से भली भांति जुड़ा हुआ है और आप यहां सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं ।

सोमनाथ मंदिर का रहस्य

Mystery of Somnath Temple 

ऐसा कहा जाता है कि सोमनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग हवा में स्थित थे जिसे देखकर आक्रमणकारी लूटेरा महमूद गजनबी भी चकित रह गया था। ये शिवलिंग की चुम्बकीय शक्ति का परिणाम था।

भारत के गुजरात नामक प्रदेश स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है।

सोमनाथ मंदिर का ‘बाण स्तंभ’ 

‘Arrow Pillar’ of Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे ‘बाण स्तंभ’ है , ये ‘बाण स्तंभ’ एक दिशा बताने वाला स्तंभ है जिसकी चोटी पर एक तीर अर्थात एक बाण बनाया गया है जिसका ‘मुंह’  समुद्र की ओर है। इस बाण स्तंभ पर लिखा है- ‘आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग

अर्थात समुद्र के इस स्थान से दक्षिण ध्रुव तक तक सीधी रेखा में कोई भी अवरोध नहीं है यानि कि इस मार्ग में कोई भूखंड / पर्वत आदि कोई अवरोध नहीं है। इतिहास में छठी शताब्दी से ‘बाण स्तंभ’ का उल्लेख मिलता है जिससे पता चलता है कि ‘बाण स्तंभ’ कितना प्राचीन हैं,

'Arrow Pillar' of Somnath Temple

किन्तु ये कोई नहीं जानता कि ‘बाण स्तंभ’ का निर्माण कब और किसने किया था और कैसे उस समय के लोगों ने इस बात को जान लिया था कि ‘बाण स्तंभ’ से दक्षिण ध्रुव तक तक सीधी रेखा में कोई भी अवरोध नहीं है

सोमनाथ मंदिर को कितनी बार तोडा गया

How many times Somnath Temple was demolished

(सोमनाथ मंदिर को कितनी  बार लूटा गया )

How many times Somnath temple was looted

प्राचीन काल में सोमनाथ मंदिर को अनेक मुस्लिम आक्रमणकारियों तोड़ने का प्रयास किया और इस मंदिर को लूटकर अपनी दरिद्रता दूर की,

इन मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अपनी क्रूरता और अमानवीयता का परिचय देते हुए न केवल यहाँ लूटपाट की बल्कि यहाँ पूजा करने आये भक्तो की हत्या भी कर दी

पहली बार सिन्ध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने इस मंदिर को 725 ईस्वी में तुड़वाया था जिसके बाद में राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।

सोमनाथ मंदिर एक अत्यधिक समृद्ध और प्रसिद्द मंदिर था और इसीलिए एक अरबी अल-बरुनी ने अपनी भारत यात्रा के वृतान्त में इसके बारे में लिखा जिसे पढ़कर लूटरे महमूद गजनवी ने वर्ष 1024 में कुछ 5,000 लूटेरों के साथ सोमनाथ मंदिर  को लूटने और तोड़ने के उद्देश्य से सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर दिया और सोमनाथ मंदिर की सम्पत्ति लूटकर मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया।

जब लूटरे महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था , उस समय इस मंदिर में  50,000 लोग पूजा अर्चना कर रहे थे और लगभग सभी मार दिए गए थे ।

ऐसा कहा जाता है कि बताया जाता है उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा  जनपद में स्थित आगरा किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मन्दिर को तोड़कर निकाले गए थे ।

लूटरे महमूद गजनवी के मंदिर तोड़ने और लूटने के बाद मालवा के राजा भोज  और गुजरात के राजा भीम ने इसका पुनर्निर्माण करवाया ।

वर्ष 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी सोमनाथ मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया।

वर्ष 1168 में सौराष्ट्र के राजा खंगार ने और विजयेश्वर कुमारपाल ने सोमनाथ मंदिर के सौन्दर्यीकरण में सहयोग दिया

वर्ष 1297 में जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने आक्रमण किया और सोमनाथ मंदिर की धन सम्पति को लूटकर एक बार और तोडा गया

इसके बाद मालवा के राजा भोज और गुजरात के राजा भीम ने इसका पुनर्निर्माण करवाया ।

वर्ष 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्‍फरशाह ने सोमनाथ मंदिर को लूटकर एक बार और तोडा

वर्ष 1412 में उसके पुत्र अहमद शाह ने भी सोमनाथ मंदिर को लूटा और तोडा

वर्ष 1702 में क्रूर मुगल औरंगजेब ने सोमनाथ मंदिर को दो बार वर्ष 1665 में और वर्ष 1706 में तोड़ा । जब उसने वर्ष 1665 में सोमनाथ मंदिर तुड़वाया तब भी वहां हिन्दुओं ने पूजा पाठ बंद नही किया जिससे चिढ़कर औरंगजेब ने वहां अपनी सेना भेजकर अनेकों हिन्दुओ की हत्या करवा दी

और उसने एक आदेश दिया कि यदि हिंदू सोमनाथ मंदिर में पूजा करने जायेंगे तो इसे फिर तोड़ दिया जायेगा और उसने वर्ष 1706 में सोमनाथ मंदिर को पूरी तरह से ध्वस्त करने का आदेश दे दिया और वर्ष 1706 में सोमनाथ मंदिर को एक बार फिर तोडा गया

इसके बाद जब भारत का एक बड़ा भू भाग मराठों ने जीत लिया तो वर्ष 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने पुनः सोमनाथ मंदिर बनवाया

जब भारत स्वतंत्र हुआ तो तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया

दिसंबर 1995 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया

वर्तमान सोमनाथ मंदिर चालुक्य शैली में बनाया गया है।

सोमनाथ मंदिर की कहानी 
somnath temple story

प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में पुराणों के अनुसार, दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों से सोम अर्थात् चन्द्रदेव ने विवाह किया था लेकिन वो 27 पुत्रियों में से रोहिणी नामक पत्नी को अधिक प्यार करते
थे, दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याओं को यह देख बहुत दुःख होता था कि चंद्र हमसे प्रेम क्यों नहीं करते हैं,

उन सभी कन्याओं ने अपना दुःख अपने पिता को बताया। इस विषय पर दक्ष प्रजापति ने सोम अर्थात चंद्र को समझाने का प्रयास किया किन्तु चंद्रमा पर दक्ष प्रजापति के समझाने का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा ।

अपनी शेष पुत्रियों के साथ अन्याय होते देख क्रोध में आकर राजा दक्षप्रजापति  ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि अब से प्रत्येक दिन तुम्हारी आभा क्षीण होती जायेगी |

श्राप फलीभूत होने लगा और प्रत्येक दिन चंद्रदेव की आभा कम होने लगी | श्राप से दु:खी चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना आरम्भ कर दी। चंद्रदेव के कठोर तप से अंततः शिव जी प्रसन्न हुए और चंद्रदेव को श्राप का निवारण दिया,

शिव जी ने चंद्रदेव को राजा दक्षप्रजापति के श्राप से मुक्त किया किन्तु राजा दक्ष के श्राप का भी मान रखा चंद्रदेव को बताया की इस श्राप को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है

किन्तु इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है जिससे कृष्ण पक्ष के दिनों में प्रत्येक दिन तुम्हारी एक एक कला घटेगी और शुक्ल कक्ष के दिनों में प्रत्येक दिन तुम्हारी एक एक कला बढ़ेगी और पूर्णिमा आने पर तुम आपना पूर्केण सुंदर और तेज प्राप्त कर लोगो

इसीलिए आज भी कृष्ण पक्ष के 15 दिन चंद्रदेव का सौन्दर्य कम होता है वहीं शुक्लपक्ष के 15 दिन ये सौन्दर्य बढ़ता जाता है

सोम अर्थात चंद्रदेव ने अपने हाथो से इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी इसीलिए यहाँ स्थित शिव ज्योतिर्लिंग “सोमनाथ” कहलाते है ।

सोमनाथ मंदिर का संचालन और व्यवस्था का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट देखता है।

यहाँ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि की पूजा भी होतीहै ।

सोमनाथ मंदिर में दर्शन का समय 

Darshan Timing in Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर में प्रवेश करते समय आपके पास चमड़े की बेल्ट, पर्स, मोबाइल, कैमरा, आई-पैड, लेडीज बैग, खाने-पीने का सामान और जूते नहीं होने चाहिए , ये सभी सामान निशुल्क उपलब्ध लॉकर में बाहर संग्रहीत किया जा सकता है।

सोमनाथ मंदिर में दर्शन का समय: प्रात्रिः  6.00 बजे से रात्रि 9 बजे तक
आरती का समय: प्रातः 7.00 बजे, दोपहर 12.00 बजे और संध्या 7.00 बजे

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सोमवार मंदिर साउंड एंड लाइट शो का समय 

somnath mandir sound and light show timing

“जय सोमनाथ” साउंड एंड लाइट शो: रात्रि 8 बजे से रात्रि 9 बजे तक

“जय सोमनाथ” साउंड एंड लाइट शो देखने के लिए आपको रात्रि निर्धारित समय से आधा घंटा पहले पहुंच जाना चाहिए। यहा कोई बड़ी भीड़ नहीं होती है और आपको सरलता से सीट मिल जाएगी , लाइट एंड साउंड शो मंदिर परिसर के भीतर होता है इसलिए आपके लिए ये ठीक रहेगा कि दर्शन और आरती के बाद लाइट एंड साउंड शो देखने का प्लान बनाए

सोमनाथ मंदिर के लाइट एंड साउंड शो मे सोमनाथ मंदिर के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, इतिहास और पौराणिक कथाओं का वर्णन किया जाता है।

मंदिर के निकट गणेश मंदिर, पार्वती मंदिर,शिव पंचायतन, सूर्य मंदिर, छोटा खंभा, त्रिवेणी संगम और नृत्य मंडपम हैं

सोमनाथ मंदिर का पता 

Adress of Somnath temple 

सोमनाथ मंदिर, प्रभास पाटन, सोमनाथ मंदिर रोड, वेरावल से 7 किमी, गुजरात- 362268

सोमनाथ मंदिर कैसे जाएँ ?

How to reach Somnath Temple gujrat ?

सोमनाथ मंदिर रेलमार्ग , वायुमार्ग और सड़क मार्ग से भलीभांति जुड़ा हुआ है | वेरावल आने के बाद बस,टैक्सी या ऑटो के द्वारा या आपके पास अपना निजी वाहन हो तो उसके द्वारा प्रभु सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने आ सकते है |

वायुमार्ग से सोमनाथ मंदिर कैसे जाएँ ?

How to reach Somnath Temple gujrat by flight ?

सोमनाथ मंदिर का निकटतम airport – केशोद है (Keshod Airport (IATA: IXK, ICAO: VAKS) जो सोमनाथ से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। मुंबई और अन्य स्थानों से केशोद के लिए नियमित उड़ानें हैं।

airport – केशोद गुजरात राज्य के सौराष्ट्र प्राँत में जुनागढ जनपद में स्थित 4500 फीट या 1,372 मीटर लम्बा एक नागरिक हवाई अड्डा है जिसे जुनागढ के नवाब ने बनवाया था

सोमनाथ मंदिर से निकट दूसरा प्रमुख हवाई अड्डा दीव हवाई अड्डा (IATA: DIU  , ICAO: VA1P ) है। दीव हवाई अड्डे से सोमनाथ की दूरी लगभग 90 किमी है।

रेलमार्ग से सोमनाथ मंदिर कैसे जाएँ ?

How to reach Somnath Temple gujrat by train ?

वेरावल रेलवे स्टेशन, सोमनाथ मंदिर से 7 किमी निकटतम रेलवे स्टेशन है। वेरावल रेलवे स्टेशन ( Station code: VRL ) और अहमदाबाद के बीच दैनिक ट्रेन चलती है और जबलपुर, पुणे जैसे अन्य  प्रमुख नगरों के से भी वेरावल रेलवे स्टेशन के लिए निरंतर ट्रेन चलती हैं ।

वेरावल रेलवे स्टेशन Western Railway Zone के Bhavnagar railway division के अंतर्गत आता है

वेरावल रेलवे स्टेशन से सोमनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए प्राइवेट और सरकारी बसे और टैक्सी इतियादी मिल जाती है जोकि सोमनाथ मंदिर बस स्टैंड उतार देतीं है जहाँ से सोमनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग का  बिलकुल ही निकट है |

विभिन्न ट्रेनों का शुल्क और सीट उपलब्द्धता जाने के लिए यहाँ click करे  IRCTC 

सड़कमार्ग से सोमनाथ मंदिर कैसे जाएँ ?

How to reach somnath temple gujrat by road ?

सोमनाथ मंदिर गुजरात के लगभग सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सरकारी और निजी बस सेवा के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह जूनागढ़ से लगभग 82 किलोमीटर, भावनगर से 270 किलोमीटर और पोरबंदर से 120 किलोमीटर दूर है।

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद सोमनाथ मंदिर से मात्र 400 किलोमीटर दूर है। आप सूरत से सोमनाथ की बसें ले सकते हैं और अन्य गंतव्यों से सोमनाथ के लिए अच्छी बस सेवा उपलब्ध है।

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