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kamakhya temple कामख्या मंदिर-यहाँ होता है black magic a2z info

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kamakhya temple कामख्या मंदिर-यहाँ होता है black magic a 2 z info

kamakhya temple : हिन्दू धर्म में जितने भी तीर्थस्थल है उनमे जगतजननी माता जगदम्बा के 52 मंदिरों का विशेष महत्व है, ये 52 मंदिर ही माता जगदम्बा के 52 शक्तिपीठ कहलाते है | ये तो हम सभी जानते ही है की भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 टुकड़े हो गये और ये पूरी धरती पर अलग अलग स्थानों पर गिर गए और ये अंग जहाँ जहाँ भी गिरे वो स्थान सदा के लिए तीर्थ बन गए जहाँ आज लाखों करोड़ों भक्त तीर्थयात्रा पर जाते है और जो भी भक्त सही मंशा से जो भी मनोकामना करते है उनकी मनोआमना पूरी होती है|

इस लेख में हम आपको माता के सिद्ध पीठकामख्या मंदिर( kamakhya temple ) के विषय में बता रहे है जिसे कामरूप कामख्या मंदिर भी कहा जाता है | इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था | इस मंदिर की प्राचीनता का इस बात से पता चलता है की ये मंदिर सतयुग से यहाँ विराजमान है और तंत्र मंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है।

माता सती को ही हम सब माता दुर्गा के नाम से जानते है और इन्ही जगत जननी माँ जगदम्बा का सिद्धपीठ है कामरूप कामख्या मंदिर जोकि असम राज्य की राजधानी दिसपुर के निकट ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे गुवाहाटी नगर से मात्र 8 किमी दूर स्थित है |

 

कौमारी तीर्थ कामाख्या

कामरूप कामख्या तीर्थ को संसार का सबसे बड़ा कौमारी तीर्थ भी माना जाता है इसीलिए इस तीर्थ पर बिना किसी जाती भेद के सभी जातियों की कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है और ये माना जाता है कि जगतजननी माँ जगदम्बे इस क्षेत्र में कौमारी रूप में सदैव उपस्थित रहती है कि जो साधक- भक्त इस मंदिर में जाति भेद पर ध्यान देते हुए कन्यायों का पूजन करते है उनकी साधना कभी सफल नही होती है और उन्हें इस तीर्थ पर आने का फल प्राप्त नही होता है और उनकी पद प्रतिस्ठा भी धूमिल होती है

अम्बूबाची पर्व ambubachi festival kamakhya temple

अम्बूवाची पर्व कामख्या तीर्थ क्षेत्र में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्व है और इसका महत्व ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार होली और दीपावली पर्व का महत्व है | इस पर्व पर संसार भर से तंत्र मंत्र साधक यहाँ तंत्र मंत्र साधना करने आते है और विभिन्न परालौकिक सिद्धियाँ प्राप्त करते है |

इस क्षेत्र में तंत्र मंत्र साधना का क्या महत्व है ये बात से ही समझा जा सकता है की तिब्बत में स्थित संसार के सबसे पुराने तंत्र साधना केंद्र आगम मठ से भी कुछ तांत्रिक यहाँ सिद्धि प्राप्त करने अम्बूवाची पर्व पर आते है और तंत्र साधना करते है | अम्बुबाची पर्व (मेले) के समय यहाँ हजारों तांत्रिक मंदिर आते हैं।

गोरखनाथ जैसे तंत्र साधक ने भी अपनी तंत्र साधना इस स्थान पर की थी |

कामख्या मंदिर में तंत्र मंत्र साधना

(कामख्या मंदिर में होने वाला काला जादू )

kamakhya temple black magic 

कामाख्या मंदिर दशकों से तंत्र मंत्र और काले जादू के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ अनेक ऐसे लोग आते है जिन्हें ऐसा लगता है की उन पर या उनके किसी सगे सम्बन्धी पर तंत्र मंत्र या काले जादू का प्रभाव है  तो यहाँ रहने वाले तंत्र मंत्र साधक विशेष पूजा अनुष्ठान से उस प्रभाव को हटा देते है| कामख्या मंदिर में भूत प्रेतों के प्रभाव को भी नष्ट किया जाता है और इसके लिए आपको यहाँ अनेक साधु अघोड़ी मिल जायेंगे जो विशेष पूजा अनुष्ठान से या फिर जीव बलि जैसे बकरा कबूतर जैसे जीवों की बलि देकर आपको अनचाहे कष्टों जैसे संतान न होना,धनहीनता,विवाह में विलम्ब इतियादी कष्टों से मुक्ति दिलाते है |

कामख्या मंदिर का इतिहास

kamakhya temple history in hindi

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं जिनका विवाह भगवान् शिव से हुआ था राजा दक्ष प्रजापति शिव जी को पसंद नही करते थे | माता सती के पिता राजा दक्ष एक यज्ञ करवा रहे थे जिसमें उन्होंने माता सती के पति प्रभु शिव को नहीं बुलाया | यह बात माता सती को बहुत बुरी लगी क्योंकि ये एक प्रकार से माता सती के पति भगवान् शिव का अपमान था और वो अपने पति का अपमान सह न सकीं और वो  क्रोधित हो राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ स्थान पर पहुँच गयीं और यज्ञ अग्‍निकुंड में कूदकर आत्‍मदाह कर लिया।

ये सब होने के बाद भगवान् शिव सती का शव उठा कर भयंकर तांडव करने लगे और ऐसा लगने लगा कि उनकी क्रोधाग्नि में पूरी सृष्टि भष्म हो जायेगी| भगवान् शिव का क्रोध तभी शांत हो सकता था जब उनके पास सती का मृत शरीर नही रहता  और ये जान भगवान विष्‍णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के अनीक टुकड़े कर दिए जोकि भिन्न भिन्न स्थानों पर गिरे और ये जहां-जहां गिरे वो जगह माता के शक्‍तिपीठ कहलाने लगे ।

असम में स्थित कामाख्‍या मंदिर में माता सती की योनि भाग और गर्भ गिरा था जिसमे से जून के महीने में रक्त प्रवाह होता है जिससे यहां ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है।

कामख्या मंदिर के रहस्य 

kamakhya temple mystery 

इसी समय अम्बुवाची पर्व (मेला) मनाया जाता है। इस पर्व के समय माता रजस्वला होती हैं रजस्वला होने से पूर्व मंदिर में माता सती की अनुमानित योनि के पास मंदिर के पुजारी जी नया साफ-स्वच्छ सफेद वस्त्र रख देते हैं और मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। चौथे दिन मंदिर के कपाट खुलने पर ये वस्त्र रक्तवर्ण हो जाते हैं।

माता के रज से भीगा हुआ वस्त्र अत्यधिक पवित्र  और शक्तिशाली माना जाता है। मंदिर के पुजारियों द्वारा ये वस्त्र प्रसाद के रूप में तीर्थयात्रियों – माता के भक्तों में बाँट दिए जाते हैं। बहुत ही भाग्यशाली लोगो को ऐसा वस्त्र प्राप्त होता है जोकि सभी प्रकार से उनकी रक्षा करता है और मनोकामना पूरी करता है |

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कामख्या मंदिर कैसे पहुंचे 

How to reach kamakhya temple

वायुमार्ग से कामख्या मंदिर कैसे पहुंचे

How to reach kamakhya temple by flight

कामख्या मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा Lokpriya Gopinath Bordoloi International Airport (IATA: GAU, ICAO: VEGT) है जिसे गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी कहते है जोकि कामाख्या मंदिर से लगभग 20 किमी दूर स्थित है | जहाँ दिल्ली, मुंबई, चेन्नई ,कोलकाता जैसे देश के सभी बड़े नगरों से आप सरलता से आ सकते है|

रेलमार्ग से कामख्या मंदिर कैसे पहुंचे

How to reach kamakhya temple by train

कामख्या मंदिर( kamakhya temple ) के पास ही कामख्या रेलवे स्टेशन kamakhya railway station (station code – KYQ ) है लेकिन ये देश के सभी नगरों से नही जुड़ा है | गुवाहाटी रेलवे स्टेशन Guwahati railway station (Station code-GHY) निकटवर्ती सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है और ये देश के सभी प्रमुख नगरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है |

जहाँ उतरकर आप चाहे तो रेलगाड़ी से कामख्या स्टेशन जा सकते है या फिर या फिर स्टेशन से ही ऑटो या टैक्सी लेकर सीधे मंदिर पहुंच सकते हैं।

IRCTC website पर जाकर रेलगाड़ी मे रिज़र्वेशन करवाने के लिए यहाँ 

click करे : – IRCTC 

सड़कमार्ग से कामख्या मंदिर कैसे पहुंचे|

How to reach kamakhya temple by road

bus

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से कामाख्या मंदिर ( kamakhya temple ) के बीच की दूरी लगभग 8 किमी है। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलें और फुट-ओवर ब्रिज को पार करें। थोड़ा आगे चलें और आपको अनेक ऑटो-रिक्शा, मीटर लगी टैक्सियाँ और बसें मिलेंगी। यदि आप पूरा ऑटो-रिक्शा किराये पर लेंगे तो किराया लगभग रु 100-150 होगा और साझा ऑटो सवारी में मंदिर जाना चाहते है तो 15-20 रूपए प्रति यात्री होगा ।

असम पर्यटन विभाग की बसें भी मंदिर और रेलवे स्टेशन तक जाती हैं। दिन के ट्रैफिक और समय के आधार पर, रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने में लगभग 20 से 25 मिनट लगते हैं। वैकल्पिक रूप से, आप कामाख्या रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं और मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन ले सकते हैं।

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