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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग Kedarnath temple-Kedarnath jyotirlinga A 2 Z Complete & Easy Guide
Kedarnath temple-Kedarnath jyotirlinga : उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में हिमालय पर्वत श्रृखला केदार नामक पर्वत पर समुद्रतल से लगभग 3584 मीटर की ऊंचाई पर विराजित है प्रभु केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ( kedarnath jyotirling) |
हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और चारों धाम में से एक धाम है केदारनाथ मन्दिर (kedarnath temple) और साथ ही साथ पंच केदार में से भी एक है केदारनाथ मन्दिर (kedarnath temple) |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के एक ओर लगभग 22 हजार फुट ऊँचाई पर केदार पर्वत , दूसरी ओर 21 हजार 600 फुट ऊँचाई पर खर्चकुंड और तीसरी ओर लगभग 22 हजार 700 फुट ऊँचाई पर भरतकुंड स्थित है ।
इसके साथ ही यहाँ पांच पवित्र नदियाँ स्थित है जिनका नाम है क्षीरगंगा, मधुगंगा, सरस्वती,स्वर्णगौरी, और अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी | यह स्थान हिमालय पर्वत श्रृखला के बीच स्थित है इसलिए यहाँ सर्दियों के मौसम में भारी बर्फ पड़ती है और साथ ही भारी बारिश की भी सम्भावना रहती है और भारी बारिश से भूस्खलन की भी सम्भावना रहती और और इसीलिए केदारनाथ मन्दिर (kedarnath temple) के कपाट सर्दियों में दर्शन के लिए बंद रहते है ।
केदारनाथ धाम के बारे में ये कहा जाता है की जो तीर्थयात्री केदारनाथ मन्दिर (kedarnath temple) के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है , उसकी तीर्थयात्रा पूर्ण नही मानी जाती है|
साथ ही यदि आपने केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ( kedarnath jyotirling) के साथ साथ प्रभु बदरीनाथ के भी दर्शन कर लिए हों तो जीवन के समस्त पापों का नाश होता है और अंत समय में जीवन मरण के चक्र से मुक्ति की प्राप्ति होती है|
केदारनाथ मन्दिर के दर्शन का समय / केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कब जाये
best time to visit Kedarnath Temple
सामान्यतः बाबा केदारनाथ के दर्शन यहाँ अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही होते है ।
वैसे May माह से June माह और September से October माह तक के समय को केदारनाथ जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है
वर्ष 2020 में दर्शन के लिए बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने का समय 28 अप्रैल और कपाट बंद होने का समय 16 नवम्बर संभावित है |
केदारनाथ दर्शन समय – Kedarnath jyotirling darshan timming
तीर्थयात्री बाबा केदारनाथ के दर्शन प्रात: 6:00 बजे से कर सकते है। दोपहर के 3 से 5 बजे तक बाबा की विशेष पूजा होती है और उसके बाद बाबा केदारनाथ के विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
संध्या के समय 5 बजे से तीर्थयात्री बाबा के दर्शन पुनः कर सकते है,भगवान केदारनाथ का श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक आरती होती है।रात्रि 8:30 बजे मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
केदारनाथ मंदिर का वास्तुशिल्प Architecture of Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में पत्थरों हुआ है | मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चबूतरे जोकि चौकोर आकार का है ,पर बना हुआ है।
मन्दिर के मुख्य भाग में एक मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा ( प्रदक्षिणा अर्थात अपने भगवान्,प्रभु,देवता या इष्टदेव के चारों ओर वृत्ताकार रूप इस प्रकार घूमना जिसमें देव या मंदिर अपने दक्षिण भाग में रहे, प्रदक्षिणा कहलाता है ) पथ है। मुख्य मंदिर के बाहर नन्दी बाबा ( भोले बाबा के वाहन –वृष वाहन के रूप में) विराजित हैं।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण Kedarnath temple construction
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा Story of Kedarnath Jyotirlinga
बाबा केदारनाथ का इतिहास किसी को ज्ञात नही है लेकिन ये कहा जाता है की हिमालय के केदार पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि घोर तपस्या और आराधना से प्रसन्न होकर प्रभु शिव यहाँ प्रकट हुए और उनकी प्राथना के अनुसार यहाँ ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।
केदारनाथ मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है की इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।
मंदिर के निर्माण कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं प्राप्त हो पाया है लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य से भी पूर्व पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था और आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था |
केदारनाथ मंदिर का इतिहास History of Kedarnath Temple
ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में जब पांडवो ने कौरवों का वध करके युद्ध समाप्त कर दिया तब पांडवो को इस बात की ग्लानि हुई की उनके हाथों भ्रातृहत्या का पाप हो गया और वो इस पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। उन्हे पता था कि भगवान शिव ही उन्हे इस पाप से मुक्ति दिला सकते हैं
किन्तु भगवान शिव पांडवों के इस कृत्य से क्रोधित थे और वो पांडवो से नही मिलना चाहते थे , जब पांडव काशी मे उनसे मिलने गए तो वहाँ वो उन्हे नही मिले तब पांडव उन्हे खोजते हुए हिमालय पहुँच गए , हिमालय मे पांडव भगवान शिव को ढूंढते हुए केदार घाटी आ गए तब भगवान शिव बैल बन गए और अन्य बैलों के बीच जा मिले।
पांडवों को पता चल गया था कि भगवान शिव इन पशुओ के झुण्ड में ही हैं , ये सभी पशु 2 पहाड़ों के बीच बने एक मार्ग से जा रहे थे तब भीम ने अपने विराट रूप मे एक पहाड़ी पर एक और दूसरी पहाड़ी पर एक पैर रख दिया , अब जो पशु थे वो भीम के दोनों पैरो के नीचे से निकलने लगे लेकिन बैल रूपी भगवान शिव भीम के पैरो के नीचे से नही निकले और पांडव भगवान शिव को पहचान गए और उनके पकड़ लिया
तब पांडवो के हठ से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और पांडवो को दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। कहा जाता है उसी समय से भगवान शिव बैल की पीठ की आकृति के रूप मे पिंड के रूप में श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग बन उसी स्थान पर स्थापित हो गए ।
केदारनाथ मंदिर में पूजा कैसे करें How to worship at Kedarnath Temple
प्रात:काल में बाबा केदारनाथ का स्नान कराकर उनपर घी-लेपन किया जाता है। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर आरती उतारी जाती है। इस समय तक तीर्थयात्री मंदिर में प्रवेश करके पूजन कर सकते हैं, संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है।
बाबा केदारनाथ का श्रृगार भिन्न भिन्न प्रकार से अत्यधिक आकर्षक रूप किया जाता है । श्रृगार के पश्चात भक्तगण दूर से केवल प्रभु के दर्शन कर सकते हैं। केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण होते हैं।
केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे How to reach Kedarnath Temple
बाबा केदारनाथ kedarnath jyotirling हिन्दू धर्म में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और छोटा चार धाम में से एक धाम के रूप प्रसिद्ध है। केदारनाथ धाम तीर्थयात्रा एक कठिन तीर्थयात्रा मानी जाती है क्यूंकि यहाँ आने जाने का रास्ता उतना सुगम नही है जितना मैदानी क्षेत्रों की तीर्थयात्रा है | केदारनाथ मंदिर में पूजा करने के लिए लोग गौरीकुंड (मोटरेबल क्षेत्र) से केदारनाथ तक 14 किमी की पैदल यात्रा करते हैं।
How to reach Kedarnath Jyotirlinga by flight
(वायुमार्ग से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे)
केदारनाथ से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एअरपोर्ट,देहरादून ( Jolly Grant Airport (IATA: DED, ICAO: VIDN) है जो 238 किमी की दूरी पर देहरादून में स्थित है।ये हवाई अड्डा दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, बैंगलोर और तिरुवनंतपुरम जैसे महानगरों से जुड़ा है।
यहाँ से आप बस या टैक्सी के माध्यम से गौरीकुंड तक आ सकते है ,इसके बाद गौरीकुंड से केदारनाथ तक 14 किलोमीटर की यात्रा आपको पैदल चल कर करनी होगी |
How to reach Kedarnath Jyotirlinga by train
(रेलगाड़ी से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे)
केदारनाथ धाम kedarnath jyotirling से लगभग 216 किमी की दूरी पर ऋषिकेश स्थित है जहाँ का ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (Rishikesh railway station code –RKSH ) केदारनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख नगरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है।
ऋषिकेश से गौरीकुंड पहुँचने के लिए आप निकटतम बस स्टैंड से बस या टैक्सी के द्वारा गौरीकुंड पहुँच सकते हैं।इसके बाद गौरीकुंड से केदारनाथ kedarnath jyotirling तक 14 किलोमीटर की यात्रा आपको पैदल चल कर करनी होगी |
रेलगाड़ी ( train ) में reservation देखने के लिए यहाँ click करें : IRCTC Seat Availability
How to reach Kedarnath Jyotirlinga by bus
(सड़क मार्ग से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे)
केदारनाथ जाने के लिए आपको सर्वप्रथम गौरीकुंड जाना होगा और गौरीकुंड जाने के लिए आप सड़क मार्ग से बस या टैक्सी या अपने निजी वाहन से सरलता से पहुँच सकते है | यहाँ राज्य सरकार के वाहन और राज्य से बाहर के वाहन दोनों ही नियमित चलते रहते है |
गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग ( national highway –109 ) पर स्थित है और चमोली, श्रीनगर, टिहरी, पौड़ी, ऋषिकेश, हरिद्वार ,उत्तरकाशी, देहरादून, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और अन्य प्रमुख स्थानों से भलीभांति जुड़े हुए हैं।
उत्तराखंड की यात्रा मे आप सरकारी बस सेवा ( उत्तराखंड परिवहन निगम ) और प्राइवेट बस ,टैक्सी इतियादी का प्रयोग कर सकते हैं |
ये वाहन आपको दिल्ली,ऋषिकेश,हरिद्वार,चंडीगढ़,देहरादून,पंजाब,हरयाणा इतियादी से सरलता से मिल जायेंगे | सरकारी बस सेवा में online ticket बुक करने के लिए
यहाँ click करें : – उत्तराखंड परिवहन निगम
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