
अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...
Table of Contents
vindhyanchal temple : माँ विंध्यवासिनी यशोदा जी के गर्भ से उत्पन्न कन्या योगमाया की A 2 Z information
vindhyanchal temple : भारत के उत्तरी राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज जनपद से 85 किमी,वाराणसी जनपद से 70 किमी और मिर्ज़ापुर से 8 किमी दूर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के मध्य पवित्र गंगा नदी के किनारे आदिशक्ति भगवती का विन्ध्याचल धाम ( vindhyanchal temple ) मे विराजित है जहाँ आदिशक्ति, माता विंध्यवासिनी के रूप में विराजमान है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आदिशक्ति भगवती अपने पूर्णरूप में कहीं भी विराजित नहीं हैं किन्तु विंध्याचल में माता के पूरे विग्रह विराजित है। जबकि माता के अन्य शक्तिपीठों में आदिशक्ति देवी के अलग-अलग अंगों का पूजन किया जाता है|
माता के भक्त दूर दूर से यहां सिद्धि प्राप्त करने के लिए आते है और यहाँ साधना करते है|
माता सती के जितने भी शक्तिपीठ है, उनमे माता विंध्यवासिनी का ये शक्तिपीठ एक मात्र शक्तिपीठ है जो गंगा नदी के तट पर स्थित है , माता विंध्यवासिनी के मंदिर से कुछ (लगभग 3 किमी) दूर अष्टभुजा पहाड़ी पर अष्टभुजी देवी और कालीखोह पहाड़ी पर महाकाली माता का मंदिर स्थित है |
माता विंध्यवासिनी त्रिकोण यन्त्र पर स्थित है और आदिशक्ति भगवती के तीनों रूपों अर्थात महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के रूप में विराजमान हैं।
विंध्याचल मंदिर का इतिहास || vindhyanchal temple history
श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार जब मथुरा में कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से आठवी संतान के रूप में भगवान् श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो श्री कृष्ण को कंस के हाथों से बचाने के लिए श्री कृष्ण के पिता वसुदेवजी ने आधी रात में ही यमुना नदी को पार करते हुए गोकुल में अपने चचेरे भाई नन्दजी के घर पहुंचा दिया था तथा वहां से माता यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्म लेने वाली योगमाया को लेकर मथुरा के कारागार में आ गये ।
जब श्री कृष्ण के मामा कंस को अपनी बहन देवकी की आठवीं संतान के जन्म लेने का समाचार मिला तो कंस, श्री कृष्ण को मारने के लिए कारागार में पहुंच गया। उसने जैसे ही यशोदा के गर्भ से उत्पन्न उस नवजात कन्या को हाथ में उठाकर पत्थर पर पटकना चाहा तो वो कन्या, कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुंच गई और अपने वास्तविक दिव्य रूप में आते हुए कंस को बताया कि तेरा वध करने वाला इस धरती पर जन्म ले चुका है “ और इतना बताकर वो कन्या अंतर्ध्यान हो गयी |
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार माता यशोदा के गर्भ से उत्पन्न ये कन्या ही देवी योगमाया है | शिवपुराण में इन्हें माता सती का अंश बताया गया है।
माना जाता है कि संसार में सती माता के जितने भी शक्तिपीठ हैं वहाँ पर सती माता के शरीर के अंग गिरे थे किन्तु विंध्याचल धाम वो स्थान है जिसे आदि शक्ती ने पृथ्वी पर अपने जन्म के बाद निवास करने के लिए चुना था।
आदिशक्ति भगवती के भक्तों का ये मानना है कि विंध्यवासिनी,विंध्यांचल पर्वत पर सदैव विराजमान रहती है, ऐसा ही धर्मराज युधिष्ठिर ने भी कहा था |
महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर आदि शक्ति देवी की स्तुति करते हुए कहते हैं- विन्ध्येचैवनग- श्रेष्ठे तवस्थानंहि शाश्वतम्। अर्थात हे माता! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचल पर आप सदैव विराजमान रहती हैं।
पद्मपुराण में भी माता विंध्यवासिनी का उल्लेख मिलता है।
चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां देश भर से माता के भक्त , माता के दर्शन करने आते हैं |
मां विंध्यवासिनी मंदिर ( vindhyanchal temple )के शीर्ष पर लहराते ध्वज का महत्व
ऐसा माना जाता है कि शरद ऋतु और बसन्त ऋतु में पड़ने वाले नवरात्र के दिनों में आदिशक्ति मां भगवती नौ दिनों तक मंदिर की छत के ऊपर ध्वजा के रूप में ही विराजमान रहती हैं।
यदि नवरात्री के दिनों में भींड अधिक होने से माता का कोई भक्त माता के दर्शन न कर पा रहा हो तो वो यदि ध्वजा के दर्शन भी कर ले तो उसे मां विंध्यवासिनी के दर्शन के समान ही माना जाता है |
विन्ध्याचल धाम जाने का सबसे अच्छा समय
Best time to visit Vindhyachal temple :
विन्ध्याचल जाने का सबसे अच्छा समय होता है , August से March माह के मध्य और नवरात्री के दिनों में होता है |
आरती का समय – Aarti timing of Maa Vindhyavasini Temple
मंगला आरती प्रातः 4:00 बजे से प्रातः 5:00 तक
(Mangla Aarti – 4:00 am to 5:00 am in the morning )
भोग आरती दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक
(Bhog Aarti – 12:00 pm to 1:30 pm in the afternoon )
छोटी आरती सांय 7:15 बजे से 8:15 बजे तक
( Chotti Aarti – 7:15 pm to 8:15 pm in the evening )
बड़ी आरती रात्रि 9:30 बजे से 10:30 बजे तक
(Badi Aarti – 9:30 pm to 10:30 pm in the night )
vindhyachal temple darshan timings
( मां विंध्यवासिनी के दर्शन का समय || maa vindhyavasini ka darshan )
सामान्य दिनों में :-
प्रातः5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (5:00 AM to 12:00 PM)
दोपहर 1:30 बजे से सांय 7:15 बजे तक ( 1:30 PM to 7:15 PM)
रात्रि 8:15 बजे से रात्रि 9:30 तक ( 8:15 PM to 9:30 PM)
रात्रि 10:30 बजे से मध्यरात्री तक ( 10:30 PM to Midnight )
नवरात्री के दिनों में ( Temple Timing during Navratri ) :-
प्रातः4:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (4:00 AM to 12:00 PM)
दोपहर 1:00 बजे से सांय 7:30 बजे तक (1:00 PM to 7:30 PM)
रात्रि 8:30 बजे से रात्रि 9:30 तक (8:30 PM to 9:30 PM)
रात्रि 10:30 बजे से मध्यरात्री के बाद 3:00 बजे तक (10:30 PM to 3:00 AM)
कैसे जाएँ विंध्याचल ?
how to reach vindhyanchal temple
वायुयान से विंध्याचल कैसे पहुंचे | how to reach vindhyavasini temple by flight
विंध्याचल का निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (IATA: VNS, ICAO: VEBN) है जो वाराणसी में लगभग 68 किमी दूर और बमरौली हवाई अड्डा-IXD (इलाहाबाद हवाई अड्डा- प्रयागराज) लगभग 102 किमी दूर स्थित है।
भारत के प्रमुख नगरों जैसे कोलकाता, बैंगलोर, दिल्ली, मुंबई आदि से वाराणसी के लिए निरंतर घरेलू उड़ानें हैं। एक बार जब आप हवाई अड्डे पर पहुंच जाते हैं, तो आप मंदिर जाने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
रेलगाड़ी से विंध्याचल कैसे पहुंचे | how to reach vindhyavasini temple by train
विंध्याचल रेलवे स्टेशन (Station Code -BDL), ,मिर्जापुर के केंद्र और विंध्यवासिनी माता के मंदिर से मात्र 1 किमी दूर स्थित है | इसके अतिरिक्त मिर्जापुर जंक्शन रेलवे स्टेशन विंध्यवासिनी मंदिर से 7 किमी दूर स्थित है । ये दोनों ही स्टेशन भारत के सभी प्रमुख नगरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज, पटना , मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, कोचीन, चेन्नई आदि से भलीभांति जुड़े हुए हैं।
IRCTC website पर जाकर रेलगाड़ी मे रिज़र्वेशन करवाने के लिए यहाँ
click करे : – IRCTC
सड़क मार्ग से विंध्याचल कैसे पहुंचे | how to reach vindhyavasini temple by road
विंध्याचल देश के सभी प्रमुख नगरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है विंध्याचल जाने के लिए आप उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC)अथवा निजी बसों के माध्यम अथवा अपने निजी वाहन से सुगमता से जा सकते हैं | वाराणसी,प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ नगरों से यहाँ निरंतर बसें आती रहती हैं ।
ये भी पढे : माँ दुर्गा जी की आरती
ये भी पढे : Vrindavan a 2 z||वृंदावन धाम-प्रभु श्री कृष्ण की नगरी
ये भी पढे : विंध्यवासिनी चालीसा Vindhyeshvari Chalisa in hindi & english- easy 2 learn