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स्त्री कुंडली में ग्रह फल stri kundli me grah fal- planets 11 effects in females horoscope
साथियों इस पोस्ट में हम स्त्री कुंडली में ग्रह फल(stri kundli me grah fal- planets 11 effects in females horoscope) के विषय में पढने जा रहे हैं क्योंकि किसी पुरुष की कुंडली में किसी ग्रह विशेष की स्थिति से जहाँ उस पुरुष को लाभ मिलता है तो ठीक इसके विपरीत उस ग्रह की वही स्थिति किसी स्त्री की कुंडली में अलग प्रभाव देने वाली हो सकती है तो स्त्री कुंडली में ग्रह फल कैसे कैसे होते हैं और कौन सा ग्रह क्या प्रभाव देता है ये जानने के लिए आइये पढ़ते हैं
स्त्री कुंडली में ग्रह फल-stri kundli me grah fal
planets 11 effects in females horoscope
- जिस स्त्री की कुंडली (kundli) में उच्च का बुद्ध लग्न में हो और 11 वे भाव का स्वामी चन्द्र 11 वे में ही हो साथ में सम्त्मेश बृहस्पति भी 11 वे भाव में ही हो तो ये एक प्रबल राजयोग है |ऐसी स्त्री यदि स्वंम कुछ नही करती है तो उसको विवाह के बाद अत्यधिक सफलता मिलती है| ऐसी स्त्री राज भोगती है |
- जिस स्त्री की कुंडली (kundli) में सप्तम भाव में चन्द्र,दसम में शुक्र और लग्न में गुरु बृहस्पति बैठे हो तो वो साधारण परिवार में जन्म लेकर भी आगे चलकर राजसी जीवन जीती है|
- यदि किसी स्त्री के लग्न भाव और चन्द्र राशि दोनों ही सम राशि जैसे – 2,4,6,8,10,12 में हो तो वो बहुत ही अच्छे स्वाभाव की होती है, यदि कोई एक विषम राशि जैसे 1,3,5,7,9,11 में हो मध्यम स्वाभाव कि और दोनों ही विषम राशि में हो तो पुरुष जैसी साहसी और निडर स्वाभाव की होती है |
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(स्त्री कुंडली में ग्रह फल stri kundli me grah fal)
- यदि किसी स्त्री की कुंडली (kundli) में किसी एक भाव में 4 या 4 से अधिक ग्रह बैठे हो तो और इन ग्रहों में कोई ग्रह अस्त हो तो वो गृहस्त जीवन में भी सन्यासी समान होती है|
- जिस स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में शनि व बुद्ध दोनों ही ग्रह हो तो उसके पति के नपुंसक होने की सम्भावना होती है|
- जिस स्त्री के अष्टम भाव में मंगल हो तो उसके नेत्र सुंदर होते है किन्तु वो स्वाभाव की कुटिल (चतुर) होती है|
- जिस स्त्री के लग्न में शुक्र और बुद्ध बैठे हो तो वो अत्यधिक सौन्दर्यवान होती, चेहरे पर लावण्य होता है, मात्र बुद्ध बैठे हो तो थोड़ी सांवली लेकिन आकर्षक होती है और साथ में हंसमुख होती है|
- जिस स्त्री के लग्न या तृतीये भाव में, सप्तम या नवम भाव में राहु-केतु बैठे होते है, वो स्त्री सर्वदा दूसरी जाति या धर्म के पुरुष से आकर्षित होती है और उससे ही विवाह करना चाहती है|
- जिस स्त्री के अष्टम भाव में शनि और सूर्य हों तो उनके बाँझ होने की सम्भावना होती है|
- जिस स्त्री के सप्तम और नवम दोनों ही भाव में क्रूर ग्रह बैठे हो उसका संसार से मोह भंग होता है|
- जिस स्त्री के अष्टम भाव में शुक्र और बृहस्पति दोनों ही बैठे हो तो उसे मृत संतान होती है , यदि पंचमेश की दृष्टि हो और पंचमेश बलवान हो तो ये नही फलित होगा |
Remark – किसी भी कुंडली का फलित मात्र एक – दो योगो को देखने से नही किया जा सकता है,कुंडली में अन्य मित्र ग्रह भी होते है जो हमारी सहायता करते है , साथ ही महादशा , अंतर और प्रत्यंतर दशा भी देखनी होती है क्योंकि मित्र ग्रह की दशा में हानि की सम्भावना कम हो जाती है ,
ये ठीक उसी प्रकार है जैसे हम कहते है की उस स्थान पर हमारा मित्र कार्यरत है तो हमारा काम बन जायेगा| जैसे यदि सरकार में हमारे मित्र है तो हमारा ये काम बन जायेगा ठीक उसी प्रकार किस ग्रह की दशा है , वो हमारा मित्र है या शत्रु -ये सब देखने पर ही कुंडली का मिलने वाला फल बताया जा सकता है|
लोकेन्द्र पाठक
8533087800
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