वास्तु अनुसार देवता का चित्र

वास्तु अनुसार देवता का चित्र कहाँ और कैसे लगाएं 2025 पूरी जानकारी

वास्तु अनुसार देवता का चित्र कहाँ और कैसे लगाएं 2025 पूरी जानकारी

मित्रों हम जब भी अपना घर सजाते हैं तो जानना चाहते हैं कि वास्तु अनुसार देवता का चित्र कहाँ और कैसे लगाएं जिससे हमारा जीवन सुखमय और समृद्ध बने । वास्तु न केवल भवन की संरचना और दिशा निर्धारण पर केंद्रित है, बल्कि घर की आंतरिक सजावट, विशेष रूप से दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र लगाने के नियम भी बताता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि घर की प्रत्येक दिशा में किस देवी-देवता का चित्र लगाना शुभ होता है। इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा और धन, स्वास्थ्य, सुख-शांति व समृद्धि भी बनी रहेगी।

वास्तु अनुसार देवता का चित्र

Photo by Vika Glitter: 

वास्तु अनुसार देवता का चित्र कहाँ और कैसे लगाएं

1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) – भगवान शिव / जल तत्व

देवता का स्थान:
आप यदि वास्तु अनुसार देवता का चित्र ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) के लिए जानना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि यह दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है। यह भगवान शिव का प्रमुख स्थान है। इस दिशा में भगवान शिव का चित्र, शिव परिवार (शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय), या शिवलिंग का चित्र लगाना अत्यंत शुभ होता है।

क्यों?
यह दिशा जल तत्व से जुड़ी होती है और शांति, ज्ञान व आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। यहां शिव का चित्र लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति व सौहार्द बना रहता है।

अन्य विकल्प:
गंगा अवतरण, रूद्राभिषेक, ध्यानमग्न शिव की मूर्ति/चित्र।

2. उत्तर दिशा – कुबेर देवता / धन की दिशा

देवता का स्थान:
उत्तर दिशा को धन की दिशा कहा गया है और इसके स्वामी कुबेर माने जाते हैं।

चित्र लगाने की सलाह:

  • कुबेर देवता का चित्र या मूर्ति।
  • लक्ष्मी-कुबेर की संयुक्त पूजा का चित्र।

लाभ:
इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक पक्ष मजबूत रहता है।

वर्जित:
यहाँ टॉयलेट या भारी सामान रखने से बचें, नहीं तो धन का ह्रास होता है।

3. उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा – वायु देवता / चंद्रमा

देवता का स्थान:
यह वायु देवता एवं चंद्रमा की दिशा है। यह संचार, मित्रता, विवाह और दाम्पत्य जीवन से संबंधित है।

चित्र लगाने की सलाह:

  • चंद्रदेव का शीतल व सुंदर चित्र।
  • श्रीकृष्ण रासलीला चित्र या श्रीकृष्ण के बांसुरी वादन का चित्र।

लाभ:
मित्रता में वृद्धि, वैवाहिक जीवन में संतुलन और मानसिक शांति।

4. पश्चिम दिशा – वरुण देव / जल

देवता का स्थान:
आप यदि वास्तु अनुसार देवता का चित्र पश्चिम के लिए जानना चाहते हैं तो जान लीजिए कि ये दिशा वरुण देव की है जो जल के देवता हैं। यह दिशा पश्चिमोन्मुखी लक्ष्मीजी के लिए भी उपयुक्त है।

चित्र लगाने की सलाह:

  • वरुण देव का चित्र या गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों का सुंदर चित्र।
  • भगवान विष्णु का चित्र, विशेष रूप से अनंतशय्या पर लेटे हुए।

लाभ:
धन व वैभव की प्राप्ति, पारिवारिक समृद्धि।

5. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा – पितृ / स्थिरता की दिशा

देवता का स्थान:
यह दिशा पितृदोष व वंश की रक्षा से संबंधित होती है। यहां पितरों या ऋषि-मुनियों का चित्र लगाना उचित माना जाता है।

चित्र लगाने की सलाह:

  • पूर्वजों (पितरों) का तस्वीर (ध्यान दें कि पूजा नहीं करनी चाहिए)।
  • भगवान हनुमानजी का गंभीर रूप में चित्र – जैसे पर्वत उठाते हुए।

लाभ:
वंश की उन्नति, स्थिरता, सुरक्षा।

वर्जित:
यहाँ जल स्रोत या मंदिर नहीं बनवाना चाहिए।

6. दक्षिण दिशा – यम देवता / शक्ति की दिशा

देवता का स्थान:
आप यदि वास्तु अनुसार देवता का चित्र दक्षिण के लिए जानना चाहते हैं तो जान लीजिए कि ये दिशा यमराज की दिशा है, जो जीवन के नियंत्रण और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

चित्र लगाने की सलाह:

  • काली माता, महाकाल, या हनुमानजी का उग्र रूप।
  • दक्षिणमुखी हनुमानजी का चित्र, जो बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।

लाभ:
नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा, आत्मबल में वृद्धि।

7. दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा – अग्निदेव / ऊर्जा की दिशा

देवता का स्थान:
यह अग्निदेव की दिशा है। यह खाना पकाने, ऊर्जा, और स्वास्थ्य से संबंधित है।

चित्र लगाने की सलाह:

  • माँ दुर्गा या माँ काली का शक्तिशाली रूप।
  • महालक्ष्मी या महागौरी का चित्र।

लाभ:
घर की ऊर्जा संतुलित रहती है, अग्नि से संबंधित दुर्घटनाओं से बचाव होता है।

वर्जित:
यहां जल का अधिक प्रयोग वर्जित है।

8. पूर्व दिशा – इंद्र देव / सूर्य देव

देवता का स्थान:
यह सूर्य की दिशा है, और इसका स्वामी इंद्र तथा सूर्य देव हैं।

चित्र लगाने की सलाह:

  • उगते सूर्य का चित्र।
  • सूर्य देव रथ पर सवार चित्र।

लाभ:
नौकरी, मान-सम्मान, पिता से संबंध अच्छे रहते हैं।

सुझाव:
यहां दरवाज़ा व खिड़की होना शुभ माना जाता है।

9. मध्य भाग (ब्रह्मस्थान) – कोई चित्र नहीं

क्या रखें?

  • यह घर का सबसे पवित्र स्थान होता है।
  • यहाँ खुलापन होना चाहिए।
  • किसी भी देवी-देवता का चित्र, भारी फर्नीचर या मंदिर यहां नहीं होना चाहिए।

लाभ:
ऊर्जा का संतुलन बना रहता है।

MaiHindu.Com का सुझाव

  1. चित्र का आकार – बहुत बड़ा चित्र न लगाएं, यह ऊर्जाओं के प्रवाह को रोक सकता है। मध्यम आकार उपयुक्त है।
  2. चेहरे की दिशा – चित्र इस प्रकार लगाएं कि देवी-देवता घर की ओर देख रहे हों।
  3. फ्रेम और रंग – साफ-सुथरे फ्रेम, और शांत, चमकदार रंग का चयन करें।
  4. टूटे या पुराने चित्र – फटे, धुंधले या टूटे हुए चित्र कभी न रखें।

निष्कर्ष

हर दिशा की अपनी एक विशेष ऊर्जा होती है, और वास्तु शास्त्र उस ऊर्जा को संतुलित करने का विज्ञान है। यदि आप देवी-देवताओं के चित्र सही दिशा में लगाते हैं, तो यह आपके घर में सकारात्मकता, स्वास्थ्य, धन, और सुख-शांति को आकर्षित करता है।

इस लेख के अनुसार आप यदि अपनी दीवारों पर उचित चित्रों का चयन करें तो निश्चय ही जीवन में उन्नति, सौभाग्य और संतुलन प्राप्त करेंगे।

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