वास्तु के प्रमुख नियम 11 important rules of Vaastu

वास्तु के प्रमुख नियम 11 important rules of Vaastu

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वास्तु के प्रमुख नियम 11 important rules of Vaastu

11 important rules of Vaastu : आज हम अपनी इस पोस्ट में वास्तु के प्रमुख को समझने का प्रयास करेंगे जिसे जानकर आप भी अपने घर फैक्ट्री या दुकान के वास्तु दोष दूर कर सकते हैं, वास्तु का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव होता है क्योंकि वास्तु में विभिन्न दिशाओं के स्वामी का हमारे जीवन में पढ़ने वाला प्रभाव हमारी सोच समझ और विचारने की क्षमता को प्रभावित करते हैं और अंतत इनके द्वारा ही हमारे कार्य प्रभावित होते हैं ।

वास्तु के प्रमुख नियम 11 important rules of Vaastu

Photo by Phil Hearing on Unsplash

आइए जानते हैं

वास्तु के प्रमुख नियम Major rules of Vaastu

  1. वास्तु के नियमों के अनुसार फैक्ट्री उद्योग, कारखानें, होटल एवं कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स का ईशान कोण कभी भी अन्य दीवारों से ऊंचा नही होना चाहिय ।
  2. फैक्ट्री के ईशान कोण को छोड़कर अन्य किसी दिशा में कुएं अथवा गड्ढे हों, तो उन्हें साफ सुथरी नई मिट्टी से समतल करा दें, फिर दक्षिण, नैऋत्य कोण एवं पश्चिमी भाग ऊंचा करें ऐसा नहीं करने पर गृह स्वामी को विभिन्न प्रकार की हानि का सामना करना पड़ता है
  3. ईशान कोण में कोई भी त्रुटि, दरार, गड्ढा या टूटा-फूटा होने पर गृह स्वामी उद्योगपति की कोई-न-कोई संतान विकलांग होगी।
  4. ईशान कोण में शौचालय होने से गृह कलह, फैक्ट्री में मजदूर के द्वारा कलह तथा गृह स्वामी, फैक्ट्री स्वामी का चरित्र दूषित होता है या उस पर चरित्र से जुड़ा आरोप लगेगा अथवा दीर्घ व्याधियों एवं रोगों का शिकार होगा।
  5. यदि ईशान कोण में रसोईघर, फैक्ट्री की मजदूर कैंटीन हो, तो धन का नाश तथा फैक्ट्री में कलह, गृह में कलह निरंतर बनी रहेगी।
  6. ईशान दिशा में कूड़े-कचरों का ढेर अथवा पत्थरों का ढेर, अटाला, कबाड़े का सामान भूलकर न रखें, अन्यथा भू-स्वामी के लिए शत्रुता, आयु क्षीणता एवं दुश्चरित्रता उत्पन्न होगी।
  7. कभी भी घर में ईशान कोण अपवित्र नहीं रखना चाहिए। यहां तक कि कमरों के ईशान कोण में कभी झाड़ू तक नहीं रखना चाहिए, अन्यथा वहां स्थाई दरिद्रता का निवास हो जाएगा।
  8. फैक्ट्री, कारखानों, मीलों, विद्यालयों, गृहों के मुख्य द्वार में द्वारवेध नहीं होना चाहिए।
  9. घर, फैक्ट्री के द्वार पर अनुपयोगी एवं वर्जनीय वृक्षों को कभी भी  न लगाएं। चाहे रसोईघर हो या भट्टी, बॉयलर, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर या ऑयल इंजन आदि इन सबकी स्थापना सदैव दक्षिण-पूर्व कोण (आग्नेय दिशा) में होनी चाहिए।
  10. कार पार्किंग, टैक्सी, ट्रक आदि फैक्ट्री, गृह के वायव्य कोण में होने चाहिए। घर में चाहे वर्षा का पानी हो या शुद्ध पीने का पानी, इसका प्रवाह सदैव उत्तर पूर्व में हो, परंतु पानी की टंकी हमेशा वायव्य कोण में या पश्चिम कोण में छत के ऊपर हो।
  11. प्रशासकीय कमरे, बैठक, कंसल्टिंग कमरा या महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के कमरे मकान के या फैक्ट्री के उत्तर या में होने चाहिए और पूजन कक्ष, साधक का मुंह पूर्व या ईशान या उत्तर दिशा में होना चाहिए तथा फैक्ट्री में मंदिर ईशान दिशा में हो। शौचालय, मूत्रालय, मैन हॉल या गंदी नाली वायव्य या आग्नेय कोण में हो।

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निष्कर्ष :

साथियों सभी व्यक्तियों को अपनी कुंडली का पता नहीं होता है , अनेक लोगों को अपनी जन्मतिथि जन्म समय का पता नहीं होता है जिसके कारण उनकी कुंडली नहीं बन पाती है लेकिन वास्तु के अनुसार हम अपनी कुंडली के ग्रहों को ज्योतिष के नियमों के अनुसार सही बना सकते हैं ।

क्योंकि ज्योतिष में सभी ग्रहों की एक निश्चित दिशा है और हमारी कुंडली में विभिन्न दोष , हमारे घर में उपस्थित वास्तु दोष मे भी पाया जाता है तो यदि हम अपने घर यानि निवास स्थान के वास्तु दोष को दूर कर लेते हैं तो उसके बाद हमारी कुंडली में उपस्थित ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं , इसलिए हम सभी व्यक्तियों को वास्तु के नियमों को अवश्य मानना चाहिए

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श्री गणेश ज्योतिष समाधान 

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