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Pukhraj: पुखराज से करें बृहस्पति बलवान Make Jupiter strong with Topaz- A 2 Z info
Pukhraj : पुखराज एक कीमती रत्न है। इसे गुरु रत्न भी कहा जाता है यानि इसका स्वामी बृहस्पति है। पुखराज होरा और माणिक्य के बाद सबसे कठोर रत्न है, लेकिन साथ ही साथ यह मुलायम भी होता है। इसलिए इसे तते समय अत्यंत सावधानी बरती जाती है। विभिन्न भाषाओं में इसका भिन्न-भिन्न नाम है। इसे संस्कृत में | पुष्पराग, पीत स्फटिक व पीतमणि, उर्दू-फारसी में जर्द याकूत, हिन्दी में पुखराज और अंग्रेजी में टोपाज के नाम से जाना जाता है।
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार-शुद्ध व श्रेष्ठ पुखराज पीली कांति वाला, हाथ में लेने पर वजनी लगने वाला, धब्बों से रहित, पारदर्शी, चिकना, छिद्ररहित, मुलायम, पीले कनेर, चम्पा या अमलतास के फूल के रंग जैसा चमकदार होता है। यह क्षय रोग नाशक तथा यश कीर्ति, सुख-वैभव व आयु में वृद्धि करने वाला रत्न है। यदि उत्तम पुखराज को कौड़ी पर घिसा जाए तो उसमें और अधिक निखार आने लगता है।
अनेक रंगों में मिलने के बाद भी पुखराज आमतौर पर रंगहीन होता है-जल के जैसे स्वच्छ । वर्तमान में पीली व शेखरी शराब-सी आभा वाले पुखराज का आम प्रचलन है। कभी-कभार हल्के पीले व हल्के हरे पुखराज भी मिल जाते हैं। लेकिन प्राकृतिक रूप से लाल या गुलाबी पुखराज अत्यंत दुर्लभ होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह रत्न एल्यूमीनियम का फ्लूओ सिलिकेट होता है। फ्लोरीन तत्व से बने कुछ थोड़े से रत्नों में पुखराज की गिनती होती है। पुखराज में फ्लोरीन की मात्रा लगभग 15.5 तथा अल्प मात्रा में जल पाया जाता है। इसके अंदर अत्यंत सूक्ष्म तरल या गैसीय पदार्थ खासकर कार्बन डाईऑक्साइड तथा कुछ अन्य अशुद्धियां पाई जाती है।
प्राकृतिक पुखराज के रवे त्रिकोणाकार तथा मीनारी सिरे वाले होते हैं। इसकी आभा कांच के जैसे होती है। इसकी कठोरता 8.0, आपेक्षिक घनत्व 6.53, वर्तनांक 1.61 से 1.62, दुहरावर्तन 0.008 तथा अपकिरणन 0.014 है। पुखराज की द्विवर्णिता तीक्ष्ण नहीं होती। इसे रगड़ने पर बिजली उत्पन्न होती है।
पुखराज रत्न का इतिहास
history of Pukhraj
इसका इतिहास भी अति प्राचीन है। रूस और साइबेरिया में प्रायः नीले रंग के पुखराज ग्रेनाइट की शिलाओं की गुफाओं में मिलते हैं। रोडेशिया में मिलने वाले पुखराज अमूमन रंगहीन या पीले-नीले रंग के होते हैं जो तराशने पर सुंदर लगते हैं।
आचार्य वाराह मिहिर के कहे अनुसार जब दैत्यराज बलि के चर्म हिमालय पर गिरे तो वे पुखराज के रूप में परिवर्तित हो गए। जापान, मैक्सिको, तस्मानिया, कोलोरेडो, न्यू इंग्लैंड व श्रीलंका में अच्छे किस्म के पुखराज मिलते हैं।
भारत में पुखराज मुख्यतः उड़ीसा, बंगाल, ब्रह्मपुत्र के आसपास, हिमालय एवं विन्ध्याचल पर्वत के क्षेत्र में मिलते हैं।
श्रीलंका में मिलने वाले पुखराज पीले, हल्के हरे या रंगहीन होते हैं जिन्हें वहां जाल-नीलम कहते हैं। समझा जाता है कि जो पुखराज माणिक्य के साथ मिलते हैं, वे उत्तम कोटि के होते हैं।
पुखराज के रंग
how many colors of topaz gemstone
मुख्यतः पुखराज पांच रंगों का होता है
1 . केसर के जैसा केसरिया,
2 . नीबू के छिलके के जैसा,
3 . हल्दी के रंग जैसा जर्द,
4. सोने के रंग जैसा और सफेद
पुखराज की पहचान
topaz purity test
पुखराज चिकना होता है। पुखराज चमकदार होता है। पुखराज लगभग पारदर्शी और पानीदार होता है।
पुखराज की शुद्धता की जांच हम इस प्रकार कर सकते हैं कि यदि पुखराज को दूध में 24 घंटे तक रखने के बाद भी इसकी चमक क्षीण न पड़े तो उसे शुद्ध समझना चाहिए। सफेद कपड़े में पुखराज को रखकर धूप में देखने पर कपड़े पीली किरणें निकलती हुई दिखाई देती हैं।
यदि कोई विषैला जानवर काट ले तो वहां पुखराज घिसकर लगाने से विष का प्रभाव तुरंत समाप्त हो जाता है।
निष्कर्ष :
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