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moti ke labh-मोती पहनने से मिलेगा अच्छा स्वास्थ्य,धन,संपत्ति और माँ का प्यार:pearl benefits
moti ke labh मोती रत्न का स्वामी चन्द्रमा है। अतः इसे पहनने से चन्द्रमा सम्बंधी दोष नष्ट हो जाते हैं। विभिन्न भाषाओं में इसका भिन्न-भिन्न नाम है। संस्कृत में इसे मुक्ता, शक्तिज, इन्द्ररत्न; हिन्दी में मोती उर्दू-फारसी में सुखारीद और अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से मोती का रासायनिक तत्व कैल्शियम कार्बोनेट है। इसकी कठोरता 3.9 से 4.0, आपेक्षिक घनत्व 2.65 से 2.69 या 2.84 से 2.89 तक होता है। मोती के अंदर परतों की स्थिति लगभग समकेन्द्रिक एवं समानान्तर होती है। यह अपारदर्शक होता है।
मोती के प्रकार – types of pearls
moti ke labh-pearl benefits
भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मोतियों के बारे में (moti ke labh-pearl benefits) विस्तार से बताया गया है जिसके अनुसार मोती moti इतने प्रकार के होते है
गज मुक्ता मोती – Gaj Mukta Moti
इस श्रेणी का मोती सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह दुर्लभ रत्न है तथा बड़ी कठिनता से प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि जिन हाथियों का जन्म पुष्य या श्रवण नक्षत्र में रविवार या सोमवार को उत्तरायणगत सूर्यकाल में होता है, अधिकांशतः उनके मस्तक में इस प्रकार का मोती पाया जाता है।
इसके अतिरिक्त हाथियों के दंत कोष या कुम्भ स्थलों में भी यह मोती मिलता है। यह सुडौल, स्निग्ध एवं तेजमय होता है। इसे देखते ही नेत्रों में शीतलता का आभास होता है। यदि इसे शुभ मुहूर्त में पहना जाए तो समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। सारे घर में सुख-शांति और प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है।
सर्प मुक्ता मोती – Sarp Mukta Moti
ऐसा कहा जाता है कि यह मोती श्रेष्ठ वासुकि जाति के सर्प के सिर में पाया जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि जैसे-जैसे इन सांपों की आयु बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह मोती भी बढ़ता जाता है। यह हल्के नीले रंग का, तेजयुक्त और अत्यंत प्रभावकारी होता है। यह भी एक दुर्लभ रत्न है, अतः बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता है। इसे पहनने से हर प्रकार की बाधाओं और दुःखों का अंत होता है तथा विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
मीन मुक्ता मोती – Meen Mukta Moti
यह रत्न मछली के पेट से मिलता है। इसका आकार चने की प्रकार, रंग पीला और चमकदार होता है। इससे जल में प्रकाश-सा उत्पन्न हो जाता है। यदि इसे पहनकर नदी में डुबकी लगाई जाए तो इसके प्रकाश से जल के अंदर की वस्तुएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। यह क्षय रोग में रामबाण की प्रकार काम करता है।
बंश मुक्ता मोती- Bansh Mukta Moti
यह मोती बांसों में पाया जाता है। स्वाति, पुष्य या श्रवण नक्षत्र से एक दिन पहले से बंश मुक्ता की ध्वनि उभरने लगती है। सम्बंधित नक्षत्र के समाप्तिकाल तक यह वेद-ध्वनि के समान गूंजता रहता है। ऐसे समय में जिस बांस में यह मोती होता है, उसे बीच से काटकर उसके गर्भस्थल से निकाल लिया जाता है।
इसका रंग हरा और आकार गोल होता है। बंश मुक्ता प्राप्त करने वाले भाग्यशाली ही होते हैं। इसे धारण करने से भाग्य का उदय होता है। इसे बींधा नही जा सकता है एवं घर में भरपूर संपत्ति आती है। धारक सरलता से राजपक्ष व सामाजिक पक्ष में उच्च पद पर पहुंच जाता है।
आकाश मुक्ता मोती – Akash Mukta Moti
ऐसा कहा गया है कि पुष्य नक्षत्र में आकाश मे छाए मेघों से कभी-कभार ऐसे मोती की वर्षा होती है। इस सम्पूर्ण वर्षा के समय मात्र एक या दो मोती ही नीचे गिरते हैं। यह विद्युत के समान तेजपूर्ण एवं गोलाकार होता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति परम तेजस्वी व भाग्यशाली बनता है। जीवन में उसे कई बार खजाना या गड़ा-दबा धन प्राप्त होता है।
शंख मुक्ता मोती – Shankh Mukta Moti
शंख मुक्ता सामान्यतः समुद्र में स्थित ‘पांचजन्य’ नामक शंख में पाया जाता है। ज्वार-भाटे के समय यह अधिकांशतः मिल जाता है। ऐसा मोती शंख की नाभि में स्थित रहता है। इसका रंग हल्का नीला, सुडौल व सुंदर होता है। इस पर तीन लकीरें यज्ञोपवीत की प्रकार खिंची होती हैं। इसे भी नहीं बींधा जा सकता। इसमें चमक नहीं होती। यह रोगहारक तथा प्रत्येक अभाव दूर करने में सहायक होता है।
मेघ मुक्ता मोती – Megh Mukta Moti
यदि रविवार को पुष्य अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो उस दिन की वर्षा में इस श्रेणी का मोती एकाध कहीं गिरता है। इसका रंग मेघ के समान अक्षुण्ण चमक युक्त होता है। इसे पहनने से जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं होता।
शूकर मुक्ता वाराह श्रेणी में उत्पन्न शूकर के यौवनकाल में यह मोती उसके मस्तिष्क से प्राप्त होता है। यह पीले रंग का गोल, सुन्दर एवं चमकदार होता है। वाक्सिद्धि के लिए शूकर मोती अत्यंत लाभदायक है। यह स्मरण शक्ति तेज करता है। गर्भिणी स्त्री को शूकर मोती पहनाने पर पुत्र लाभ होता है।
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सीप मुक्ता मोती – Seep Mukta Moti
ऊपर जिन मोतियों की चर्चा कर चुके हैं, वे दुर्लभ हैं और बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं। अधिकांशतः मोती सीपों से ही प्राप्त होते हैं। संसार में सबसे अधिक मोती जापान में ही मिलते हैं। वहां सीपों से कृत्रिम मोती भी तैयार किया जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार-स्वाति नक्षत्र में गिरी जल की बूंद जब सीप ग्रहण करते हैं तो मोती का जन्म होता है। इस पर चन्द्रमा का पूर्ण प्रभाव होता है। इसकी आकृति कई प्रकार की होती है। ये गोल, बेडौल, लम्बे, सुडौल, तीखे व चपटे सभी प्रकार के होते हैं।
यूं तो ऐसे मोती विश्व के सभी समुद्र में मिल जाते हैं, लेकिन श्याम और बसरे की खाड़ी में पाया जाने वाला मोती उत्तम श्रेणी का कहा जाता है। बसरे के मोतियों का आकार गोल होता है और ये सबसे अच्छा माना जाता है। इसका रंग हल्का पीला होता है। इसे धारण करने से धन, सम्पत्ति एवं आनन्द की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहता है।
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निष्कर्ष :
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