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chaitra navratri 2022: माता की सवारी,नवरात्रि तिथि,कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा विधि चैत्र नवरात्रि 2022
chaitra navratri 2022 (चैत्र नवरात्रि 2022): इस वर्ष 2 अप्रैल 2022 शनिवार से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल 2022 सोमवार को समाप्त होगी। रामनवमी 10 अप्रैल 2022 रविवार को मनाई जाएगी
इस बार की नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है जो भक्तों के लिए मां की कृपा पाने का एक अच्छा अवसर है। इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आने वाली हैं जो देवी भागवत पुराण के अनुसार बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में मां के घोड़े पर सवार होने का क्या फल होगा, आइए जानते हैं विस्तार से…
चैत्र नवरात्रि 2022 में घोड़े पर आयेंगी माता
पुराणों के अनुसार मंगलवार या शनिवार को जब नवरात्रि प्रारंभ होती है तो देवी का वाहन घोड़ा होता है। सोमवार और रविवार को जब नवरात्र प्रारंभ होते हैं तो देवी का वाहन हाथी होता है। गुरुवार और शुक्रवार को जब नवरात्रि प्रारंभ होती है तो देवी डोली पर आती हैं, जबकि बुधवार को नवरात्र प्रारंभ होने पर देवी नाव पर आती हैं।
चैत्र नवरात्रि 2022 में भैंस पर वापस जायेंगी माता
देवी जिन वाहनों से आती और जाती है उन सभी वाहनों का अलग-अलग प्रभाव होता है। नवरात्रि समाप्ति के दिन के अनुसार ही माता रानी के वाहन भिन्न भिन्न माने जाते हैं। शनिवार और मंगलवार को नवरात्र के अंत में देवी बिना किसी वाहन के पैदल ही निकल जाती हैं। देवी का पैदल वापस जाना अच्छा नहीं माना जाता है।
यदि नवरात्रि के अंत में बुधवार और शुक्रवार को देवी हाथी से लौटती है तो इसे अच्छी बारिश और अच्छी फसल होने का संकेत माना जाता है। गुरुवार को नवरात्र की समाप्ति पर देवी का वाहन मानव माना गया है। इसमें देवी मनुष्य के कंधे पर सवारी करते हुए लौटती हैं और जब नवरात्र के अंत में रविवार और सोमवार को देवी भैंस वापस जाती हैं तो भैंस पर देवी का लौटना बहुत ही अशुभ माना जाता है।
नवरात्रि वर्ष में 4 बार आती है। चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और वर्ष में 2 बार आने वाली गुप्त नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में सामान्य भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन के व्रत और अनुष्ठान करते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक विद्या सीखने और उसे सिद्ध करने के लिए नौ रातों तक निरंतर महाविद्याओं की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि माता के वाहनों का फल
चैत्र नवरात्रि 2022 पर ऐसे संयोग बना है कि देवी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं और भैंस की सवारी करते हुए जा रही हैं। देवी के आने और जाने वाले वाहनों के अनुसार दोनों का ही फल प्रतिकूल है। ऐसे में अनेक सत्ताधारी लोगों को अपनी सत्ता गंवानी पड़ सकती है और सरकार अपने मंत्रिमंडल में बदलाव कर सकती है। प्राकृतिक आपदाओं और रोगों के कारण जनता के धन की हानि हो सकती है।
चैत्र नवरात्रि के दिन से नया संवत नल प्रारंभ होगा अर्थात हिंदू नववर्ष भी आरंभ होगा। यह संवत संसार के अनेक देशों में उथल-पुथल और युद्ध का योग बना रहा है।
ऐसे में भक्तगण अपने जीवन में सुख शांति और अनुकूलता को बनाए रखने के लिए नवरात्रि में देवी की श्रद्धा भाव से उपासना करें। नियमित कवच, कीलक और अर्गलास्तोत्र का पाठ करते रहें।
ऐसे में अपने जीवन में सुख, शांति और अनुकूलता बनाए रखने के लिए नवरात्रि में श्रद्धा के साथ देवी की पूजा करें. कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का नियमित पाठ करते रहें।
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चैत्र नवरात्रि 2022 शुभ तिथि
Chaitra navratri 2022 shubh tithi
जानें किस दिन मां के किस स्वरूप की पूजा की जाएगी: –
02 अप्रैल 2022– चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा
(मां शैलपुत्री की पूजा और घटस्थापना)
03 अप्रैल 2022 – चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन
( मां ब्रह्मचारिणी की पूजा)
04 अप्रैल 2022–चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन
( मां चंद्रघंटा की पूजा)
05 अप्रैल 2022– चैत्र नवरात्रि चौथा दिन
(मां कुष्मांडा की पूजा)
06 अप्रैल 2022– चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन
(मां स्कंदमाता की पूजा)
07 अप्रैल 2022–चैत्र नवरात्रि छठा दिन
( मां कात्यायनी की पूजा)
08 अप्रैल 2022–चैत्र नवरात्रि सातवां दिन
( मां कालरात्रि की पूजा)
09 अप्रैल 2022– चैत्र नवरात्रि आठवां दिन
(मां महागौरी की पूजा, दुर्गाष्टमी)
10 अप्रैल 2022 – चैत्र नवरात्रि नवां दिन
(रामनवमी)
11 अप्रैल 2022, चैत्र नवरात्रि दसवां दिन
(नवरात्रि व्रत का पारण)
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Chaitra Navratri 2022 Ashtami Date
9 April , 2022 saturday
Ramnavmi 2022 date
नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
Auspicious time for Kalash Sthapna
कलश स्थापना के लिए शुभ समय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानि 2 अप्रैल के दिन प्रातः 06:01 से 08.31 बजे के बीच है , कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12.50 बजे तक है. इस मुहूर्त में भक्तगण घट स्थापना कर सकते हैं।
वैसे पूरे दिन कलश स्थापना हो सकती है किंतु सूर्योदय से लेकर के दिन में 12:28 तक कलश स्थापना कर लिया जाए तो अति उत्तम होगा इसके साथ ही यदि शुभ चौघड़िया देखकर कलश स्थापित करें तो और भी शुभ फल की प्राप्ति होगी । प्रातः 7:30 से लेकर के 9:00 बजे तक और दोपहर में 12:00 बजे से लेकर के 12:28 तक शुभ चौघड़िया प्राप्त हो रही हैं जो कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होगा।
नवरात्रि कलश स्थापना विधि
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर शौचादि से निवृत होकर गंगाजल मिलाकर जल से स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर मंदिर की सफाई करें। माता को स्थान देने के लिए चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर मां की मूर्ति या चित्र रखें .
अब जौ को साफ मिट्टी में बोने के बाद उस पर कलश स्थापित करें माँ से वहां विराजित होने का आग्रह करें और माता के मंत्र या चालीसा का पाठ कर, माता की आरती करें।
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