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कैला देवी मंदिर करौली Kaila Devi Temple History,fair,Accomodation,Darshan Timming,How 2 Reach
Kaila Devi Temple कैला देवी मंदिर करौली: राजस्थान के करौली जनपद से लगभग 25 किमी दूर कालिसिल नदी के किनारे त्रिकुट पर्वत पर कैला गाँव में कैला देवी मंदिर स्थापित है। कैला देवी मंदिर संतान अपने भक्तों की संतान प्राप्ति की आस या पति की चिरायु होने की कामना या अन्य कोई कामना सभी पूरी करती है. इसी कारण यहाँ प्रतिदिन सैकड़ों भक्त अपने माँ के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं . मंदिर के गर्भग्रह में कैला देवी मंदिर की मुख्य प्रतिमा के साथ मां चामुण्डा अति प्राचीन विग्रह रूप मे विराजित हैं , देखने मे ये जुड़वाँ सी प्रतीत होती हैं।
कैला देवी मंदिर का इतिहास | Kaila Devi Temple History In Hindi
करौली के यदुवंश राजवंश की कुलदेवी कैला देवी पूर्वी राजस्थान की मुख्य आराध्य देवी है, ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में यह त्रिकुट का क्षेत्र घने वन से घिरा हुआ था, यहाँ एक नरकासुर नाम का राक्षस रहा करता था। उसके अत्याचार से जनता बहुत त्रस्त थी, इस अत्याचारी से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने माँ दुर्गा की उपासना की और कैला देवी मंदिर के रूप में माँ दुर्गा ने अवतार लेकर उस अत्याचारी राक्षस का अंत कर दिया
जबकि दूसरी मान्यता ये भी है कि कंस ने देवकी व वासुदेव को जिस काराग्रह बंद किया था उसी में देवकी व वासुदेव की संतान के रूप मे एक कन्या ने जन्म लिया था. ये कन्या योगमाया थी , जिस कन्या योगमाया का वध कंस ने करना चाहा था, एक ऋषि के आग्रह पर वह त्रिकुट पर्वत पर आई और तभी से उनका यहाँ से नाता जुड़ गया. वह योगमाया कैला देवी के रूप में इस मंदिर में विराजमान है।
कैला देवी मंदिर का निर्माण
ऐसा कहा जाता है कि स्थानीय शासक रघुदास जी ने लाल पत्थरों से इस मन्दिर का निर्माण करवाया था.खींची राजा मुकन्ददास ने सन् 1116 में मंदिर की सेवा, सुरक्षा का दायित्व राज कोष से करवाते हुए माता के नियमित भोग-प्रसाद और नित्य पूजा अर्चना का प्रबंध किया था इसके बाद यह मन्दिर करौली के यादव राज वंश के अधिकार क्षेत्र में आ गया. बाद मे त्रिकूट मंदिर की मनोरम पहाड़ियों की तलहटी में स्थित इस मंदिर का निर्माण करौली के यदुवंश राजवंश निर्माण राजा भोमपाल जोकि त्रिकूट पर्वत पर रहते थे, ने 1600 ई. में करवाया था।
इस मन्दिर की चौकी चांदी की व इसकें सोने की छतरी के नीचे दो मूर्तियाँ स्थापित है. इन दोनों मूर्तियों में पहली कैला माता की व दूसरी चामुंडा देवी की प्रतिमा है.
कैला देवी का मंदिर सफ़ेद संगमरमर और लाल पत्थरों से निर्मित है, इस मंदिर की शैली नागर है। जब आप इस मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आपको मंदिर के गर्भ गृह में जाने पर माता कैला देवी की मूर्ति दिखाई देती है।
इस मंदिर में निर्माण करने के लिए लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है इसीलिए इसलिए यह मंदिर हल्के लाल रंग का दिखाई देता है , लाल पत्थर राजस्थान के करौली जनपद में भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
त्रिकूट मंदिर की मनोरम पहाड़ियों की तलहटी में स्थित देवी का मुख्य मंदिर संगमरमर के पत्थर पर बनाया गया है.
कैला देवी माता का मेला Kaila Devi Temple
कैला देवी मंदिर मन्दिर करौली में मार्च अप्रैल महीने में विशाल मेला लगता है. जिसमे लाखों की देशी विदेशी माता के भक्त और पर्यटक माँ के दर्शन करने के लिए आते है. कैला देवी मंदिर के मेले में लांगुरिया से जुड़े गीत गाये जाते है. सिंह की सवारी करते हुए माता की मुख्य प्रतिमा स्थापित है.
करौली से 24 किमी तथा कैला गाँव से 2 किमी की दूरी पर कालीसिल नाम की नदी के तट पर माँ कैला देवी मंदिर का धाम हैं. कैला देवी करौली के यादव वंश की कुलदेवी मानी जाती हैं. भक्त लांगुरिया गीत गाकर माँ को प्रसन्न करते हैं.
चैत्र माह के नवरात्र में कैला देवी माता का मेला 15 दिनों तक चलता है जो अंग्रेजी माह के अनुसार अप्रैल के महीने में आयोजित होता हैं यहाँ राजस्थान के अलावा यूपी दिल्ली, हरियाणा पंजाब तथा गुजरात से बड़ी मात्रा में माता के भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर माँ के द्वार में आते हैं.
नवरात्र के दौरान करौली के सभी सड़क मार्गों पर हाथ में ध्वजा लिए लांगुरियां गीत गाते भक्तों के अपार भीड़ दिखाई देते हैं. इस दिन कालीसिल नदी में स्नान करना पुण्यदायक माना जाता हैं. इस मेले में महिला श्रद्धालु हरे रंग की चूड़ियाँ तथा सिंदूर अवश्य खरीदती हैं
हिन्दू मान्यता के अनुसार इसे सुहाग का प्रतीक माना गया हैं. चैत्रा कृष्ण पक्ष द्वादशी से पडवा ( प्रथम दिवस ) तक मेले में 5 दिन तक पद यात्रियों का अपार भीड़ यहाँ आती है
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पवित्र कालीसिल नदी
कैला देवी मन्दिर के पास ही एक कालीसिल नदी है और जो भक्त माता कैला देवी के दर्शन करने के लिए यहां पर आता है वो पहले इस नदी में स्नान कर अपने आप को शुद्ध करता है और उसके बाद ही वह माता कैला देवी के दर्शन करता है, ऐसे करने से उसका दर्शन संपूर्ण माना जाता है।
कैला देवी मन्दिर में दर्शन का समय
Kaila Devi Temple Darshan Timming
कैला देवी मंदिर में दर्शन का समय : प्रातः 4:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक
प्रातः 4:00 बजे के आसपास इस मंदिर के द्वार को खोल दिया जाता है, ताकि भक्त लोग माता कैला देवी के दर्शन कर सकें।
कैला देवी मे दर्शन के बाद ठहरने की व्यवस्था
भक्तों के लिए मंदिर के आस-पास में ही ठहरने की व्यवस्था मिल जाएगी , यहां पर कई धर्मशाला और छोटे-मोटे होटल ठहरने के लिए मिल जाएंगे।
कैसे पहुंचे कैला देवी मंदिर करौली
(How to reach Kaila Devi Temple Karauli)
कैला देवी मंदिर, करौली वायु , रेल और सड़क मार्ग से इस प्रकार जाया जा सकता है
वायु मार्ग से कैसे पहुंचे कैला देवी मंदिर करौली
(How to reach Kaila Devi Temple Karauli by flight )
कैला देवी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा Jaipur International Airport (IATA: JAI, ICAO: VIJP) है जोकि यहाँ से 160 किमी दूर स्थित है यहाँ दिल्ली, मुंबई से नियमित घरेलू उड़ानों से आती हैं ।
रेल मार्ग से कैसे पहुंचे कैला देवी मंदिर करौली
(How to reach Kaila Devi Temple Karauli by Train )
रेल द्वारा: कैला देवी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन Gangapur City railway station ( station code : GGC ) है जो मंदिर से 35 किमी दूर है, इस station पर दिल्ली, आगरा, मुंबई, चेन्नई, अजमेर, पाली, जयपुर, अहमदाबाद जैसे प्रमुख नगरों से रेलगाड़ी आती हैं ।
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सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे कैला देवी मंदिर करौली
(How to reach Kaila Devi Temple Karauli by Road )
कैला देवी मंदिर करौली नगर से 23 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यहां स्थानीय बस या स्थानीय टैक्सी द्वारा सरलता से पहुंचा जा सकता है। करौली जनपद का यह उपनगर पूर्ण रूप से सड़क परिवहन से जुड़ा हुआ है. जयपुर आगरा नेशनल हाइवे पर स्थित महुआ नामक स्थान से यहाँ की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है. महुआ से कैला देवी के लिए राज्य राजमार्ग 22 जाता है. राजस्थान रोडवेज अथवा निजी टैक्सी वाहन के जरिये इस मन्दिर तक पंहुचा जा सकता है.
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