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करवा चौथ 2020 ||karwa chauth 2020
करवा चौथ हिन्दू धर्म का एक अति पवित्र और अत्यधिक महवपूर्ण पर्व है जिसे मुख्यतः सुहागिन स्त्रियाँ मनाती है , किन्तु आज के समय में इस पर्व के महत्व को देखते हुए अच्छे वर की अभिलाषा में कुवारीं कन्याएं भी इस पर्व पर व्रत रखती है | प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में नवरात्रि और शरद पूर्णिमा के बाद आने वालों में पर्वों में करवा चौथ सुहागिन स्त्रियों के पर्व के रूप में ही जाना जाता है ,करवा चौथ को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूरे देश विदेश में मनाया जाता है| वर्ष 2020 में करवाचौथ का व्रत 4 नवंबर को मनाया जाएगा ।
करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपनी पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले प्रारम्भ हो जाता है और शाम को चंद्रदेव के दर्शन और उनका पूजन होने पर सम्पूर्ण होता है, करवा चौथ के व्रत में गणेश जी ,शिव जी, पार्वती जी, कार्तिकेय जी और भगवान् शिव के वाहन स्वरुप नंदी जी की पूजा की जाती है|
करवाचौथ पर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के पश्चात सुहागिन स्त्रियाँ शाम के समय चंद्रोदय की प्रतीक्षा करती है जिससे वो चंद्र देव को अर्घ्य देकर अपने व्रत सम्पूर्ण कर सके । करवाचौथ पर्व भारतीय सनातन संस्कृति के मुख्य पर्वो में से एक है और सदियों से मनाया जाता है ।
करवा चौथ व्रत का इतिहास – करवा चौथ कथा
हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार करवाचौथ का व्रत सर्वप्रथम माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में एक बार देवों और दानवों में एक अत्यंत भीषण युद्ध हुआ तब देवताओं की पत्नियाँ अपने अपने पतियों के लिए चिंतित हो गयी तब ब्रह्मदेव ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवाचौथ का व्रत रखने को कहा और इसके महत्व को समझाया । करवाचौथ व्रत के महत्व को जान सभी देवताओं की पत्नियों ने कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को व्रत रखा जिससे युद्ध में असुर पराजित हुए देवताओं को विजय प्राप्त हुई। ऐसा माना जाता की तभी से करवा चौथ पर्व को मनाने की परंपरा प्रारम्भ हुई।
द्रोपदी ने किया था करवा चौथ व्रत
(करवा चौथ कथा)
ऐसा कहा जाता है कि जब अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर गए तब पांडवों पर अनेक प्रकार के संकट आने लगे। ये देखकर द्रोपदी ने अपने पतियों के संकटो को दूर करने के लिए यशोदा नंदन भगवान कृष्ण से उपाय पूछ तब भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को कार्तिक मास की चतुर्थी को इसी व्रत करने को कहा और द्रोपदी ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विशवास के साथ किया जिसके फलस्वरूप पांडवों के कष्ट दूर होने लगे और उन्हें कष्टों से मुक्ति प्राप्त हुई।
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है:-
चंद्रदेव यानी चन्द्रमा भगवान् शिव के शीश पर सर्वदा विराजित रहते है , चंद्रमा को आयु प्रदायक,जीवन की शीतलता और मानसिक शान्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए चंद्रमा की पूजा करने से सुहागिन स्त्रियों के पतियों की आयु में, , यश-कीर्ति और सौभाग्य वृद्धि में वृद्धि होती है और व्रत करने वाली स्त्रियों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
करवा चौथ का शुभ मुहर्त 2020 || karwa chauth 2020 subh muhurt
4 नवंबर को शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त है।
चंद्रोदय भिन्न जनपदों में भिन्न हो सकता है :- चंद्रोदय रात्रि के 7:50 से 8:०० बजे के आसपास होने की सम्भावना है |
(karwa chauth subh muhurt 2020)