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स्त्री की कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव stri ki kundli me chandrama- 13 moon effects in female horoscope
आज हम स्त्री की कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव (moon effects in female horoscope) के विषय में जानने का प्रयास करेंगे ,हमने अपने पिछले लेख में स्त्री कुंडली में ग्रह फल के विषय में जाना था,यदि किसी पुरुष की कुंडली में किसी ग्रह विशेष की स्थिति से उस पुरुष को लाभ मिलता है तो ठीक इसके विपरीत उस ग्रह की वही स्थिति किसी स्त्री की कुंडली में अलग प्रभाव देने वाली हो सकती है
चंद्रमा से स्त्री का स्वभाव,अन्य लोगों के प्रति व्यवहार , गुण -अवगुण आदि पता चल जाते हैं । स्त्री की कुंडली में चंद्रमा- स्त्री के मासिक धर्म ,गर्भाधान, प्रजनन के साथ ही मन, मस्तिष्क, स्वभाव, जननेन्द्रियाँ, गर्भाशय अंडाशय, वक्षस्थल आदि के विषय में बताते हैं
चंद्रमा स्त्री का व्यवहार , स्वाभाव, सौम्यता तय करते हैं क्योंकि जहाँ एक ओर पुरुष की कठोरता उसका एक गुण हो सकती है किन्तु वही कठोर स्वभाव एक स्त्री के लिए अवगुण बन सकता है क्योंकि स्त्री का मुख्य गुण उसकी सौम्यता है और सौम्यता स्त्री की दुर्बलता नही बल्कि स्त्री का विशेष गुण हैं और ये स्त्री की कुंडली में चंद्रमा से पता चलता है ,
तो आइए जानते हैं
स्त्री की कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव क्या होता है
moon effects in female horoscope
- यदि चंद्रमा नवमांश में अपनी उच्च या स्वराशि में हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है
- यदि किसी भी स्त्री की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति उस स्त्री के स्वभाव और मानसिक बल का निर्धारण करती है , जब किसी स्त्री की कुंडली में केंद्र स्थानों या त्रिकोण स्थानों में शुभ ग्रह जैसे चंद्रमा और शुक्र बैठे होते हैं तो यह उस स्त्री के सौम्य व्यवहार और स्वभाव को प्रदर्शित करते हैं और साथ ही साथ उसके जीवन में कितने सुख है और वो सुख कैसे प्राप्त होंगे , वो सुख कौन प्रदान करेगा ये सब भी पता चल जाता है
- यदि किसी स्त्री की कुंडली में केंद्र स्थानों में और त्रिकोण स्थानों में सौम्य ग्रह और क्रूर / पापी ग्रह दोनों ही हो तो उस स्त्री का मिश्रित स्वभाव – व्यवहार होता है अर्थात वह स्त्री सामान्य स्वाभाव की होगी किन्तु स्थितियां विपरीत होती देख कर समय के साथ वो क्रूर भी हो सकती है , उसके जीवन में सुख दुःख सामान रूप से आएगा किन्तु वो स्त्री सुखी होगी या दुखी ये इस बात पर निर्भर होगा कि उस स्त्री की कुंडली चंद्रमा ( या शुक्र ) बलवान हैं या निर्बल और चंद्रमा ( या शुक्र ) किस राशि में बैठे हैं ।
- यदि किसी स्त्री की कुंडली में क्रूर या पापी ग्रह केंद्र या त्रिकोण में बैठे हों और लग्न के शत्रु हों और 6 , 8 , 12 में हों या चंद्रमा पर इन्ही क्रूर / पापी ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री के जीवन में दुःख अधिक होता है , ऐसे में लग्न निर्बल हो तो वो अवसाद में चली जाती है और यदि लग्न बलवान हो तो ऐसी स्त्री अन्य लोगों के प्रति क्रूर हो सकती है , उस स्त्री के स्वभाव में पुरुषों जैसा गुण आ जाएगा।
- यदि किसी स्त्री की कुंडली में क्रूर या पापी ग्रह केंद्र या त्रिकोण में बैठे हों और लग्न के मित्र हों और चंद्रमा 3 या 9 (या 11 वे भाव में ) बैठे हों और इन पर किसी भी क्रूर / पापी ग्रहों की दृष्टि न हो तो ऐसी स्त्री के जीवन में सुख अधिक होता है , ऐसे में लग्न निर्बल हो तो भी उसे लोग पसंद करने वाले होते है और यदि लग्न और पंचम भाव बलवान हो तो ऐसी स्त्री सबकी प्रिय और समाज में प्रसिद्द और मजबूत स्त्री के रूप में स्थापित होती है।
- यदि चंद्रमा की शुभ स्थिति 1, 3,5,9,10 ,11 वे भाव में हो और चंद्रमा पर किसी भी क्रूर / पापी ग्रहों की दृष्टि न हो तो वो स्त्री प्रसन्न स्वाभाव की होगी और सबको प्रसन्न रखने वाली होगी ।
स्त्री की कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव त्रिशांश के अनुसार
moon effects in female horoscope as per trishansh
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा मेष या वृश्चिक राशि में स्थित हो और मंगल के त्रिंशांश में भी बैठे हों तो ऐसी स्त्री दूसरो को कष्ट देने में सुखी रहती है और यदि गुरू के त्रिंशांश में बैठे हों तो वो स्त्री सुशील और धनी होती है और शुक्र के त्रिंशांश में स्थित हों तो चरित्र निर्बल हो सकता है किन्तु इसमें लग्नेश और बृहस्पति की स्थिति भी देखनी चाहिए ।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा वृष या तुला राशि में स्थित हो और साथ ही मंगल के त्रिंशांश में स्थित हो तो ऐसी स्त्री छल कपट में विशवास रखने वाली होती है, शुक्र के त्रिंशांश में स्थित हो तो बांझ होती है, गुरू के त्रिंशांश में स्थित हो तो स्त्री साध्वी प्रवृत्ति की होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित हो तो स्त्री गुणवान होती है, शुक्र के त्रिंशांश में स्थित हो तो भोग विलास के लिए व्याकुल रहती है।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा कर्क राशि में स्थित हो और मंगल के त्रिंशांश में हो तो ऐसी स्त्री किसी बंधन में नही रहना चाहती है, शनि के त्रिंशांश में स्थित हो तो पति के लिए हानिकारक , गुरू के त्रिंशांश में हो तो धर्म परायण , बुध के त्रिंशांश में स्थित हो शिल्पकला में प्रवीण , शुक्र के त्रिंशांश में स्थित हो तो उत्तम आचरण वाली होती है।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा सिंह राशि में स्थित हो और मंगल के त्रिंशांश में हो तो ऐसी स्त्री दुष्ट स्वाभाव की , शनि के त्रिंशांश में हो बुरे स्वाभाव वाली , गुरू के त्रिंशांश में हो धनवान की पत्नी होती है,बुध के त्रिंशांश में हो पुरषों जैसे आचरण करने वाली, और शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर पति के अतिरिक्त अन्य पुरूष से भी यौन सम्बन्ध रखने वाली होती है।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा धनु या मीन राशि में हो और मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो ऐसी स्त्री अत्यंत गुणवान होती है, शनि के त्रिंशांश में काम भावना रहित यानि कम इच्छा रखने वाली होती है, गुरु के त्रिंशांश में विभिन्न गुणों से युक्त होती है और शुक्र के त्रिंशांश में हो चरित्र की धनि होती है।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा मकर या कुंभ राशि में स्थित हो और शनि के त्रिंशांश में हो तो अन्य पुरुष से आकर्षित होने वाली ,गुरु के त्रिंशांश में हो तो पति को अपने अधीन रखने वाली,और शुक्र के त्रिंशांश में स्थित हो तो निःसंतान होती है।
- यदि स्त्री की कुण्डली में चंद्रमा नीच का हो जाये या किसी पापी ग्रह के साथ बैठा हो या पापी ग्रह से दृष्ट हो तो भ्रमित या डरपोक होती है , उसे भूत -प्रेत का डर लगा रहता है। वो एकांतवासी होती है । उसे अनहोनी की आशंका लगी रहती है। वो बहुत चुप या बहुत अधिक बोलने वाली बन जाती है। अपने घर परिवार के साथ साथ आस पास का माहौल भी खराब कर देती है।
निष्कर्ष :
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