लाल किताब मे चन्द्रमा का महत्व Importance of Moon in Lal Kitab with upay चन्द्रमा लग्न मे अशुभ हों तो..

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लाल किताब मे चन्द्रमा का महत्व Importance of Moon in Lal Kitab with upay चन्द्रमा लग्न मे अशुभ हों तो

Importance of Moon in Lal Kitab with upay: लाल किताब मे चन्द्रमा को सभी ग्रहों की माँ माना गया है। बच्चे की कुशलता के लिए सूर्य (पिता), गुरु (दादा) का सानिध्य अनिवार्य होता है इसीलिए चन्द्रमा सूर्य के आसपास घूमता है। वह सूर्य की उष्मा और ऊर्जा को अमृत प्रदान करने वाली शीतल किरणों में बदलता हुआ रात्रि में चमकता है। वह न तो कभी रुकता है और न उल्टा (वक्री), विपरीत (गुरुत्वाकर्षण की सीमा से बाहर होकर) चलता है।

सूर्य  के गन्तव्य कोई नहीं जानता है किंतु चन्द्रमा (मां) का गन्तव्य तो एक ही होता है और वो है अपने बच्चे का भला । चन्द्रमा जीवन, आयु का कारक है। यह हृदय का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि हृदय का धड़कना ही जीवन का प्रमाण है। कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी एवं कारक है और चतुर्थ राशि कर्क (काल पुरुष का चौथा भाग) का स्वामी कहलाता है।

यदि किसी व्यक्ति के कुंडली् में चन्द्रमा के पूर्व भावों में गुरु हो और बाद के भावों में केतु हो तथा बुध अशुभ हो तो चन्द्रमा शुभ फल नहीं देता है। यदि बुध शुभ हो तो चन्द्रमा शुभ फल देता है। यदि चन्द्रमा पर शुक्र की दृष्टि हो तो व्यक्ति को नारी जाति के विरोधी रुख का सामना करना पड़ता है, ऐसा व्यक्ति अतिमानवीय शक्ति बनता है।

ऐसा माना जाता है कि चतुर्थ भाव में जो भी ग्रह होता है, वह शुभ फल देगा, परंतु यदि चतुर्थ भाव में कोई ग्रह न हो तो चतुर्थेश चन्द्रमा ही शुभ फल देगा। ऐसा व्यक्ति अपने से बड़ों के पैर छूकर तथा आशीर्वाद लेकर और अच्छे शुभ फल प्राप्त करता है।

यदि बुध से पहले भावों में चन्द्रमा हो तो वह बुध के फल को प्रभावित करता है। ऐसे व्यक्ति को सामान्यतः पर कोई भी भौतिक लाभ नहीं मिलता, परंतु आवश्यकता पड़ने पर अकस्मात देवी सहायता मिल जाती है।

यदि चन्द्रमा की दृष्टि शनि पर हो तो चन्द्रमा पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, परंतु यदि शनि की तृतीय अथवा दशम दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो चन्द्रमा के फल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उस समय चन्द्रमा में शनि के विष का प्रभाव आ जाएगा । ऐसे मे शनि के द्वारा प्रभावित व्यक्ति को शुक्र से संबंधित वस्तुओं जैसे घी, रुई, कपास, दही, दूध और सुगंधित पदार्थ आदि का व्यापार मे लाभ प्राप्त नहीं होगा ।

यदि सूर्य के साथ मंगल एक ही भाव में हो तो चन्द्रमा प्रायः लाभ का ग्रह नहीं होता और यदि द्वितीय भाव में बुध, पंचम भाव में शुक्र, नवम भाव में राहु तथा द्वादश भाव में शनि हो तथा गुरु पर चन्द्रमा की दृष्टि हो तो भी चन्द्रमा का फल शुभ नहीं होगा।

यदि राहु अथवा केतु के साथ शनि हो तथा शनि की दृष्टि चन्द्रमा पर हो तो व्यक्ति के संबंधी रिश्तेदारों (चाचा, भांजा, साला एवं दामाद आदि) पर अशुभ फलों का प्रभाव पड़ेगा।

यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव एवं अष्टम भाव में कोई ग्रह न हो तो चन्द्रमा के उपाय अवश्य करने चाहिए।

यदि कुंडली में बुध और चन्द्रमा एक साथ चतुर्थ अथवा सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिलते हैं ।

चन्द्रमा के अराध्य शिव हैं। चन्द्रमा की वस्तुएं चांदी, चावल, दूध, जलाशयों का शुद्ध झरने वाला जल एवं सफेद सुच्चा मोती आदि हैं। घोड़ा एवं खरगोश चंद्र के जानवर हैं। काल पुरुष के हृदय एवं बाईं आंख पर चंद्रमा का प्रभाव है तथा माता, मौसी, दादी चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में आने वाले संबंध हैं।

चन्द्रमा की अशुभता एवं दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए व्यक्ति विशेष उपायों के साथ-साथ निम्नलिखित सामान्य उपचार भी करें।

चंद्रमा की आरती- Chandra Aarti in Hindi & English 

लाल किताब मे चन्द्रमा के उपाय 

 Lal Kitab Upay for Moon

  1. यदि चन्द्रमा अपनी नीच राशि में हो तो चांदी, चावल, दूध का दान करें,
  2. यदि उच्च राशि का हो तो चन्द्रमा की वस्तुओं का दान न करें।
  3. सोमवार का व्रत करें, शिव की पूजा करें,
  4. दूध,चावल और चांदी का दान करें, चांदी के आभूषण पहनें तथा सफेद दूधिया मोती (आठ रत्ती का कम-से-कम हो) पहनें,
  5. माता, दादी एवं सास (पत्नी की माता) का आशीर्वाद लें।
  6. अपने पलंग के पायों पर चांदी की मेख लगाएं,
  7. श्मशान घाट पर चांदी या चावल डालें।
  8. गंगाजी या कहीं भी बहते पानी में स्नान करें।
  9. पानी की टंकी पांच या छः महीने में कम-से-कम एक बार साफ करें।
  10. छत के नीचे कुआं या हैण्डपम्प नहीं होना चाहिए।
  11. अमरनाथ या शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग मे से किसी एक या सब की अपनी सामर्थ्य अनुसार यात्रा करें

लाल किताब मे चन्द्रमा का महत्व Importance of Moon in Lal Kitab with upay चन्द्रमा लग्न मे अशुभ हों तो..

image source : unsplash

चन्द्रमा लग्न अशुभ फल दे रहे हों तो

  1. व्यक्ति को चांदी के पात्र में दूध या पानी पीना चाहिए।
  2. 24 वर्ष की आयु से पहले मकान न बनाएं।
  3. यदि 24 वर्ष की आयु से पहले मकान बनाएगा तो मकान हानिकारक रहेगा
  4. 28 वर्ष से पहले विवाह न करें।
  5. व्यक्ति अपनी आयु के चौबीसवें वर्ष में गाय को पाले अथवा अपने घर मैं नौकरानी रखे।
  6. माता का आशीर्वाद प्राप्त करें, उसके दिए हुए चावल और चांदी अपने पास रखें
  7. जब भी बच्चों के साथ कोई नदी पार करे तो बहते पानी में तांबे के सिक्के डालें।

अन्य भावों के लिए यहाँ से पढे :

निष्कर्ष :

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