माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri)और रामनवमी (ram navami 2022) का शुभ मुहूर्त,पूजन विधि

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माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri)और रामनवमी (ram navami 2022) का शुभ मुहूर्त,पूजन विधि

चैत्र नवरात्रि् के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri)और रामनवमी (ram navami 2022) दोनों का ही पूजन होता है,नवरात्री के दिनों में माता जगदम्बा के नौ स्वरूपों की पूरे संसार में पूजा होती है किन्तु इन नवरात्रि् में माता के भक्त कुछ विशेष कष्टों से मुक्ति के लिए विशेष पूजन भी करते है

जैसे सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए माता महालक्ष्मी रूपेण माँ सिद्धिदात्री का पूजन करना आदि ठीक इसी प्रकार विवाह और संतान प्राप्ति के लिए कात्यायनी  माता का पूजन , अदृश्य परालौकिक दुष्ट शक्तियों से रक्षा प्राप्ति हेतु कालरात्रि्रि माता  का पूजन किया जाता है ,

माँ सिद्धिदात्री माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम हैं जोकि सभी सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्रि्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और सच्चे ह्रदय से माता की पूजा करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

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मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है की आठ सिद्धियां होती हैं – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जबकि 

ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में सिद्धियों की यह संख्या अठारह बताई गई है।

इन 18 सिद्धियों का नाम इस प्रकार हैं –

18 सिद्धियाँ 

  1. अणिमा
  2. लघिमा
  3. प्राप्ति
  4. प्राकाम्य 
  5. महिमा
  6. ईशित्व,वाशित्व
  7. सर्वकामावसायिता
  8. सर्वज्ञत्व
  9. दूरश्रवण
  10. परकायप्रवेशन
  11. वाक्‌सिद्धि
  12. कल्पवृक्षत्व
  13. सृष्टि
  14. संहारकरणसामर्थ्य
  15. अमरत्व
  16. सर्वन्यायकत्व
  17. भावना
  18. सिद्धि

और नवरात्रि्री में नौवें दिन माँ दुर्गा का सिद्धिदात्री(siddhidatri) स्वरुप सभी को सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं, भगवान शिव ने भी माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था और इनके आशीर्वाद से भगवान शिव का आधा शरीर देवी रूप में परवर्तित हो गया था जिसे आज पूरा संसार ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से जानता है ।

माता सिद्धिदात्री की आराधना से अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। यदि आप अपनी शक्ति और सामर्थ्य अनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना करें तो माता सिद्धिदात्री  की कृपा प्राप्त करना संभव है।

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माँ सिद्धिदात्री के पूजन में अनेक प्रकार के मंत्रो से जाप किया जाता है किन्तु आप इस सरल मंत्र का जाप करें तो भी माता की कृपा प्राप्त होगी

Chaitra navratri 2022 चैत्र नवरात्रि 2022

माँ सिद्धिदात्री का सरल मंत्र 

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

माँ सिद्धिदात्री की प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri) की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इन मंत्र , प्रार्थना और स्तुति करके आप अपनी सभी इच्छित इच्छाओं को माता दुर्गा के समक्ष प्रकट कर दें माता से प्रार्थना करें की वो आपकी उन सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करें।

माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri) का वाहन सिंह है और ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। , माता चार भुजाओं वाली हैं,  माँ सिद्धिदात्री के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है और ऊपर वाले हाथ में शंख है वहीँ बायीं ओर नीचे वाले हाथ में गदा है और ऊपर वाले हाथ में चक्र है

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माँ सिद्धिदात्री का पूजन 

माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन , पान के पत्ते, घी,पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, कलावा, रोली, सिंदूर, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे आदि प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाते हैं .

माँ सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय मध्य रात्रि् का होता है. माँ सिद्धिदात्री का ऐसा चित्र या मूर्ती लें जिसमे वों गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों क्योंकि माँ सिद्धिदात्री को गुलाबी पुष्प अतिप्रिय है , यदि कहीं से गुलाबी कमल मिल जाए तो इस कमल पुष्प  को चढ़ाना और भी अच्छा होता है.

माँ सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप आप स्फटिक की माला अथवा कमलगट्टे की माला से कर सकते हैं.

माँ सिद्धिदात्री की कृपा से मनुष्य सारे सुखों का भोग करता हुआ मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने के बाद माँ के भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

माँ सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही चैत्र नवरात्रि् के नौवें दिन रामनवमी का पूजन भी होता है 

रामनवमी (Ram Navami 2022)

रामनवमी (ram navami 2022) के दिन माँ के भक्त माँ दुर्गा की पूजा के साथ ही भगवान राम की भी पूजा अराधाना करते हैं  क्योंकि रामनवमी चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ही मनाई जाती है. भगवान विष्णु ने अपना सातवां अवतार राजा दशरथ की ज्येष्ठ पत्नी कौशल्या की कोख से इसी दिन लिया था इसी लिए इस दिन देश विदेश में रामनवमी भी मनाई जाती है.

राम नवमी के दिन प्रभु राम जी के साथ साथ उनके तीन अन्य भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का भी जन्म हुआ था.

वर्ष 2022 में रामनवमी (ram navami 2022)  का पर्व 10 अप्रैल को मनाया जाने वाला है तो जान लेते है राम नवमी का शुभ मुहूर्त और महत्व

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राम नवमी का शुभ मुहूर्त

10 अप्रैल, दिन रविवार,प्रात्रिः 01:23  –> चैत्र शुक्ल नवमी तिथि प्रारंभ 
11 अप्रैल, दिन सोमवार,प्रात्रिः 03:15  –>   चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का अंत 
दिन में 11:06 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक –> राम नवमी का शुभ मुहूर्त

राम नवमी के दिन योग

सुकर्मा योग : दोपहर 12:04 मिनट तक है,

राम नवमी के दिन नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र : पूर्ण रात्रि् तक है.

राम नवमी के दिन मुहूर्त

विजय मुहूर्त :  दोपहर 02:30 बजे – दोपहर 03:21 बजे तक

राम नवमी के दिन काल

अमृत काल : रात्रि 11:50 बजे से – रात्रि 01:35 बजे तक

राम नवमी के दिन राहुकाल

संध्या 05 बजकर 09 मिनट – संध्या 06 बजकर 44 मिनट तक

राम नवमी की पूजा विधि

रामनवमी (ram navami 2022) के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें सूर्य भगवान को जल चढ़ाया जाए और इसके बाद हाथ में चावल ( अक्षत ) लेकर व्रत का संकल्प लें और प्रभु श्री राम का पुष्प,माला, धुप , दीप आदि से पूजन कर गंगाजल,  फल, मिठाई आदि का भोग लगायें

प्रभु राम भगवान् विष्णु के अवतार है इसलिए प्रभु राम को तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं और 

इसके  बाद रामचरितमानस / रामायण आदि का पाठ करें. 

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