57 देशो में इस्लाम-मुसलमान का ईमान Muslim vs Hindu A lesson for Hindu

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57 देशो में इस्लाम-मुसलमान का ईमान Muslim vs Hindu A lesson for Hindu

मुसलमान का ईमान (Muslim vs Hindu ) :- मुसलमान का अर्थ है “मुसल्सल है ईमान जिसका”। एक रिपोर्ट के अनुसार आज इस्लाम 57 देशो में फैला है, कुछ देशों में रहने वाले लोगों के अनुसार इस्लाम मानने वाले लोग और मुस्लिम कट्टर होते हैं , मै ये कहना चाहूँगा कि इस्लाम मानने वाले लोग चाहे वो पढे लिखे हों या अनपढ़ अपने अल्लाह ,अपने मजहब से बेइंतहा प्रेम करने वाले होते है, 

साथ ही ये सन्देश भी देना चाहूँगा कि जिस धर्म को भी मानो उसके  प्रति समर्पित रहो किन्तु दूसरे के धर्म का अपमान कदापि न करो 

आज हिन्दुओं की जनसँख्या दिनरात कम हो रही है , क्या कारण हैं ? 

मै अपनी बाल्यावस्था से ही समाचार पढने का , संसार में क्या घटित हुआ था या हो रहा है ये जानने का उत्सुक रहा हूँ ,मैंने एक समाचार पढ़ा था  कि ….

भूतपूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुदीन ने मुस्लिमो से माँगी माफ़ी (Muslim vs Hindu )

मैंने एक बार एक समाचार पढ़ा था कि भूतपूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुदीन ने एक जूते की कंपनी Reebok के जूते के promotional campaign में अपने नाम के हस्ताक्षर जूते पर कर दिए थे, अब चूँकि उनके नाम में पैगम्बर मोहम्मद का नाम आता है,इसलिए एक बड़ी मुस्लिम जनसँख्या मोहम्मद अज़हरुदीन का विरोध करने लगी और मोहम्मद अज़हरुदीन ने अपने कृत्य के लिए क्षमा माँगी

इसके साथ ही उनके पिता ने भी अपने पुत्र के इस कृत्य के लिए क्षमा माँगी, कदाचित वो मुस्लिम थे इसलिए बच गए अन्यथा कोई गैर मुस्लिम से ऐसा हो जाए तो आप समझ सकते हैं कि क्या होगा इससे ये पता चलता है कि मुसलमान का ईमान उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है

उस खबर को आप इस link पर click करके पढ़ सकते हैं

click me to read that article 

उस article की कुछ पंक्तियाँ अंग्रेजी भाषा में इस प्रकार है 

” NEW DELHI, Oct. 17 — U.S.-based Reebok International offended India’s Muslim population with a promotional campaign showing a prominent athlete named for the Prophet Mohammad autographing shoes, a news report said Tuesday. A newspaper photograph of Indian cricket team captain Mohammad Azharuddin signing his name on Reebok footwear offended many Muslims who felt writing the name Mohammad on a shoe was blasphemy, the Pioneer newspaper said.

Shoes are considered unclean in the Islamic tradition, and worshippers are required to remove them before entering a mosque. The cricketer Azharuddin’s father has apologized on his son’s behalf, ” 

अब जिन मुस्लिमो ने मोहम्मद अज़हरुदीन का विरोध किया क्या वो गलत थे ? कदापि नही , वो अपने धर्म,अपने मजहब से प्रेम करने वाले थे जो हिन्दू धर्म में बहुत ही कम देखा जाता है

जो हिन्दू अपने धर्म के प्रति ऐसा प्रेम दिखाता है उसे कट्टर या अंध भक्त की उपाधि दे दी जाती है और उपाधि देने वाले भी हिन्दू ही होते है 

मेरे अनेक मुस्लिम मित्र हैं , एक मित्र से मैंने पूछा कि भाई एक बात बताओ सैकड़ों हिन्दू लोग , हिन्दू महिलायें दरगाह पर जाते हैं आप लोगों कि महिलायें माता या शिव या प्रभु श्री कृष्ण के मंदिर क्यों नही जाती है और यदि कोई साहस करके चली भी जाये तो उसके विरोध में फ़तवा जारी कर दिया जाता है , ऐसा क्यों ?

उसने reply दिया “ भाई आप लोगों का ईमान कमजोर होता है , हम अल्लाह के आलावा किसी को नही मानते हैं “

क्या उसकी बात सुनकर मुझे बुरा लगा , बिलकुल नही क्योंकि वो 100 % सच बोल रहा था ,  

मकबूल फ़िदा हुसैन द्वारा हिन्दू देवी देवताओं और भारत माता का अश्लील चित्रण(Muslim vs Hindu )

हिन्दुओ आप मकबूल फ़िदा हुसैन को सम्मान देते थे जो एक सम्मानित कलाकार को दिया जाता है,  क्यों देते थे ? वो तो हिन्दू देवी देवताओं की अश्लील चित्र बनाया करता था, नग्न युवती को भारत माता के रूप में दिखाया करता था,

जहाँ तक मकबूल फ़िदा हुसैन की बात है तो वो एक मुस्लिम था और एक ईमान वाला मुस्लिम था क्योंकि उसने कभी अपने धर्म के महापुरुषों का अपमान तो नही किया क्योंकि अधिकतर मुस्लिम ईमान वाले होते है , उन्हें अपने मजहब से प्रेम होता है, जो एक हिन्दू मे कभी देखने को नही मिलता है ,ऐसा नही है कि हिन्दू अपने धर्म से बिलकुल भी प्रेम नही करते है , अनेक हिन्दू मुसलमान जैसे ही अपने धर्म से प्रेम करने वाले भी होते है लेकिन उनको RSS और BJP का सदस्य घोषित कर दिया जाता है और ऐसा घोषित करने वाले हिन्दू ही होते हैं 

क्योंकि हिन्दू मानवता / इंसानियत को मानने वाली कौम है चाहे मानवता / इंसानियत को निभाने में अपने धर्म , संस्कृति , रीत रिवाज ,बंधु बांधवों का अपमान ही क्यों न करना पड़े  मुसलमान का ईमान बढ़कर है 

कदाचित इसीलिए भारत हिन्दू बाहुल्य होने पर भी भारत में भारत के विरोध में बोलने वाले लोगों को JNU जैसे प्रतिष्ठान में प्रवेश दे दिया जाता है , AMU में ” हिंदुत्व की कब्र खुदेगी …” के नारे लगते हैं ,

क्या कुलपति या विश्वविद्यालय के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई नही न ? अब नीचे दिए गए समाचार को पढ़िए :- 

कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूतों को बुला विरोध जताया 

” आज के समाचारों के अनुसार  नुपुर शर्मा के बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध होने लगा है। कतर, ईरान और कुवैत ने नुपुर शर्मा के बयान पर आपत्ति जताते हुए भारत के राजदूतों को बुलाकर विरोध जताया । प्रमुख खाड़ी देशों ने भी पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई विवादास्पद टिप्पणी की निंदा करते हुए कड़ा विरोध जताया है।

उन देशों की मीडिया ने इसे भारतीय टीवी शो में इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमान बताया और भारत से कड़ा विरोध किया है।” 

कतर, कुवैत और ईरान की सरकारों ने बिलकुल उचित किया जबकि यदि इसके ठीक हिन्दू धर्म का अपमान करने वालों को अभिवक्ति की आजादी के नाम पर छोड़ दिया जाता है, क़तर जैसा 28 -30 लाख की जनसंख्या वाला देश महान और विशाल भारत को उपदेश देता है जहाँ के लोगों ने 800 वर्ष मुस्लिम शासन रहा , वो देश क़तर जिसने मकबूल फ़िदा हुसैन को अपने देश की नागरिकता दी और भारत सरकार ने पदम विभूषण , पदम भूषण जैसे अवार्ड दिये 

अभी एक मौलाना ने कहा था ” यदि ज्ञानवापी में शिवलिंग होता तो उसको हम अभी तक तोड़ चुके होते “

क्या हुआ , क्योंकि वो अभिव्यक्ति की आजादी थी , यदि सरकार कोई कार्यवाही भी करती तो उसके विरोध में मुस्लिम से अधिक हिन्दू ही होते  हैं, अभिव्यक्ति की आज़ादी अर्थात हिन्दू धर्म के विरोध मे कुछ भी बोलने कि आज़ादी 

57 देशो में इस्लाम-मुसलमान का ईमान Muslim vs Hindu A lesson for hindu

मुसलमान का ईमान Muslim vs Hindu

देश और हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाले लोग यहाँ विधायक और सांसद बनाये जाते हैं , केरल में बीच चौराहे पर गाय को काटकर मांस पार्टी की जाती है

निसंदेह सभी को अपनी पसंद का खाना खाने का और पूजा पद्धति अपनाने की स्वतंत्रता है किन्तु केरल में बीच चौक पर गाय की लाश खाकर क्या दिखाना चाहते हैं आप ? यही न कि क्या कर लोगो ? और ये सब एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता के नेतृत्व में हो रहा था

क्या उस पार्टी के किसी हिन्दू नेता ने उस घटना कि निंदा की या विरोध किया, 

एक हैदराबादी नेता बोलता है कि ज्ञानवापी से जो evidence मिल रहे है वो सब झूठे है और यदि evidence सच्चे भी है तो भी ज्ञानवापी मस्जिद 1991 के act से protected है यानि यदि ये सिद्ध भी हो जाए कि ज्ञानवापी मस्जिद नही बल्कि एक ज्ञानवापी मंदिर था तब भी हम किसी बात को नही सुनेंगे क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद 1991 act से protected है 

इसके साथ ही वो ये भी कहता है कि भारत संविधान से चलेगा या भावनाओ से , ये बात बिलकुल सही है क्योंकि संविधान सबसे बढ़कर है क्योंकि संविधान का अर्थ होता है : – सम + विधान = सभी के लिए एक विधान = Uniform Civil Code 

लेकिन जब भी Uniform Civil Code की बात उठाई जाती है तो वो नेता और अन्य मुस्लिमों के द्वारा  Uniform Civil Code विरोध किया जाता है , मुस्लिमो का विरोध करना तो सबको समझ में आता है किन्तु जब हिन्दुओ के द्वारा ही विरोध होने लगता है मुसलमान का ईमान

आगरा में शंकर गुटखा , तुलसी गुटखा , भैरों नाला , महावीर नाला

(Muslim vs Hindu )

आगरा में भाजपा की सरकार है , भाजपा के महापौर ( Mayor ) हैं अर्थात  नगर निगम भी भाजपा द्वारा संचालित है लेकिन हिन्दू वादी सरकार होने पर भी यहाँ नाले हैं : – महावीर नाला, भैरों नाला 

दैनिक जागरण में छपी इस खबर को देख लें 

” जागरण संवाददाता, आगरा: महावीर नाला व्यापारियों के लिए बारिश में शोक है। बरसात के दिनों में महावीर नाला पुराने शहर के दर्जन भर मुहल्लों के लिए अभिशाप बन जाता है। …..

News source :- दैनिक जागरण, आगरा 

अमर उजाला में छपी इस खबर को देख लें :- 

“नालों को स्लैब से किया जाए कवर

आईआईटी कानपुर ने ताजमहल पर प्रदूषण के कारणों की जांच कर जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें शहर के बड़े नालों मंटोला, ताज ईस्ट ड्रेन, कोल्हियाई नाला, वाटर वर्क्स नाला, नराइच नाला, भैरों नाला….”

News source :- अमर उजाला, आगरा 

अब ऊपर मोहम्मद अज़हरुदीन वाले समाचार और महावीर नाला, भैरों नाला  ,” कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूतों को बुला विरोध जताया” वाले समाचार से क्या पता चलता है ? 

यहाँ तो हिन्दू वादी सरकार है , क्यों नही इन नालों के नाम बदले जाते है ? 

आज शंकर गुटखा , तुलसी गुटखा बिकता है या नहीं , पता नही किन्तु इसके रैपर नालो में ,कूड़ेदान में , पैरों के नीचे अनेक बार मैंने ही देखे है . इससे ये पता चलता है कि अपने धर्म से प्रेम करना मुसलमानों से सीखना चाहिए , 

जिन घरों में अपने माता पिता ,अपने धर्म , संस्कृति का अपमान किया जाता है वो दूसरों से ये कैसे अपेक्षा कर सकता है कि वो सम्मान करें 

मुसलमान का ईमान-मेरा दृष्टिकोण (Muslim vs Hindu )

मेरे को चाहने वाले हिन्दू मेरी इस पोस्ट से दुखी होंगे तो मै सभी से मात्र इतना ही कहना चाहूँगा कि हिन्दू बनो या मुसलमान ये अपनी पसंद है किन्तु कभी भी बीच वाला न बनो 

जिस प्रकार मुस्लिमों को अपने धर्म से अटूट प्रेम होता है ठीक उसी प्रकार मुझे भी हिन्दू धर्म से अटूट प्रेम है ,मै हिन्दू हूँ  और मै परमपिता प्रभु श्री हरी विष्णु से बढ़कर किसी को नही मानता हूँ क्योंकि मैंने हिन्दू धर्म में जन्म लिया है 

आप भारत का इतिहास उठाकर देख लें मुस्लिम शासको ने जयचंदों को ही अधिक गलत माना है और उन्ही पर ये कहावत है कि घर का भेदी लंका ….

मै सभी हिन्दू लोगो को मुस्लिमो से ये सीख लेने को कहूँगा कि अपनी कायरता को सेकुलरिज्म , मानवता और इंसानियत का नाम मत दो .सबको बराबर मानने का अर्थ ये नही है कि मै , मेरा धर्म , मेरी संस्कृति कुछ भी नही ,सभी धर्मों की अपनी अपनी अच्छाई है और हम सबको मुस्लिमो से अपने धर्म , संस्कृति से प्यार और धर्म के प्रति समर्पण सीखना चाहिए . 

लेकिन अंत में एक बार फिर कहूँगा कि मुसलमान का ईमान बढ़कर है और इसीलिए 57 देशो में है इस्लाम

ये भी पढ़े : नूपुर शर्मा मामले में बीजेपी और भारत के बारे में क्या कह रहे हैं अरब देश

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