बसंत पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है ? when & why basant panchami celebrated ? full information

बसंत पंचमी कब और क्यों मनाई जाती है ? when & why basant panchami celebrated ? full information

मित्रों हिन्दू धर्म में अलग अलग तिथियों पर भिन्न भिन्न देवी देवताओं का पूजन होता है जिसमे माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को माँ सरस्वती ( mata saraswati ) का पूजन होता है जिसे हम बसंत पंचमी (basant panchami)  या श्री पंचमी भी कहते है |

बसंत पंचमी पर्व को आज संसार में जहाँ जहाँ भी हिन्दू निवास करते है वहां-वहां बड़े ही उत्साह – उल्लास से मनाते है, विशेषकर विध्यार्थियों में माँ सरस्वती ( mata saraswati ) के पूजन का उत्साह देखते ही बनता है |

बसंत पंचमी (basant panchami)  पर्व विद्या प्राप्ति के साथ साथ वसंत ऋतु के आगमन की ख़ुशी में भी मनाया जाता क्योंकि बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं में सर्वश्रेष्ट माना गया है|

बसंत ऋतु में धरती का वातावरण अत्यधिक प्राकृतिक और मनोहर होने लगता है| पेड़ पौधों में फूल आने लगते है, आम के पेड़ों पर बौर आ जाती है ,खेतों में सरसों,गेहूं की फसल लहलहाने लगती है,सरसों की फसल पर लगे पीले पीले पुष्पों की चादर से ढके खेत देखने में अत्यधिक मनोहर लगते है|

साथियों चाहे हम कितने ही पढ़े लिखे हो , कितने ही विद्वान हो , अनेक विद्या के ज्ञाता हो लेकिन जब तक हम अपनी पढाई लिखाई , अपने ज्ञान को प्रदर्शित नही करेंगे , दिखायेंगे नही तो कोई भी आपको सम्मान नही देगा,आपको कहीं भी पद-प्रतिष्ठा प्राप्त नही होगी

यहाँ तक की आपको अपना जीवन व्यतीत करना भी कठिन हो जायेगा क्योंकि चाहे आपको व्यापार करना हो या कोई नौकरी पानी हो या आप कोई कलाकार ही क्यों न हो ,सभी क्षेत्रों में आपके ज्ञान को ही महत्व मिलता है|

साथियों समस्त संसार में जिसके पास भी विद्या है,ज्ञान है,संगीत है,सुरलय और ताल है वो सभी कुछ  वीणा वादिनी-हंस वाहिनी-विद्या दायिनी माँ सरस्वती के आशीर्वाद से ही है और हिन्दू धर्म में माँ भगवती अपने भिन्न भिन्न गुणों जैसे सतोगुण , रजोगुण , तमोगुण के साथ अपने भक्तों का कल्याण करती है जिसमे माँ सरस्वती सतोगुणी , माँ लक्ष्मी रजोगुणी और माँ काली तमोगुणी देवियाँ है|

माघ माह में शुक्ल पक्ष के पाँचवे दिन मनाये जाने वाले इस पर्व  बसंत पंचमी (basant panchami)  का उल्लेख पुराणों-शास्त्रों में भी मिलता है।

प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। वसन्त पंचमी कथा

हिन्दू ग्रंथो के अनुसार सृष्टि के आरम्भ में भगवान शिव की आज्ञानुसार ब्रह्मा जी ने जीवों विशेषकर मानव जाति की रचना की लेकिन ब्रम्हा जी अपनी रचना से संतुष्ट हुए क्योंकि सभी ओर  उन्हें मौन दिखाई दिया |

इस समस्या के निवारण हेतु जल से संकल्प लेकर प्रभु श्री हरिविष्णु की प्रार्थना की |प्रभु श्री हरिविष्णु ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना स्वीकार करते हुए जगतजननी आदिशक्ति माँ जगदम्बा का आह्वान किया , ममता के प्रकट होने पर इस समस्या से अवगत कराया | तब माता दुर्गा में से एक तेज उत्पन्न हुआ जो श्वेत वस्त्र धारी चतुर्भुजी सुंदर स्त्री में परिवर्तित हो गया |

यही माता सरस्वती ( mata saraswati ) थीं जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था । अन्य दोनों हाथों में समस्त ब्रह्माण्ड के ज्ञान रुपी पुस्तक एवं माला थी। तब माता सरस्वती ने हाथों में स्थित वीणा से स्वर उत्पन्न किये जिससे समस्त संसार के जीवों को स्वर प्राप्त हुए , वाणी प्राप्त हुई | नदियों की जलधारा में,पक्षियों में, वातावरण की वायु में स्वर उत्पन्न हुए|

संसार में कैसा भी संगीत, कैसी भी शिक्षा , कैसा भी ज्ञान, माता सरस्वती की कृपा के बिना प्राप्त नही हो सकता है |

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने माता सरस्वती ( mata saraswati ) को वरदान दिया था कि बसंत पंचमी (basant panchami) के दिन माँ सरस्वती का पूजन होगा ,तभी से संसार में जहाँ भी हिन्दू है वो माँ सरस्वती पूजते है , उनसे विद्या,ज्ञान,संगीत आदि का आशीर्वाद मांगते है |

बसंत पंचमी Basant Panchami 2022

किसी भी शिशु की पढाई शुरू करने के लिए बसंत पंचमी (basant panchami) से बढ़कर कोई दिन नही हो सकता है तो यदि आप भी अपने बालक बालिकायों की पढाई शुरू करने जा रहे है तो निसंकोच बसंत पंचमी से कर सकते है |

प्रातः स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करें ,पीले वस्त्र हों तो अति उत्तम| इसके पश्चात् मां सरस्वती ( mata saraswati ) की मूर्ति या चित्र उत्तर या उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को फल , फूल अर्पित करें ये भी पीले या सफेद हो तो अति उत्तम | 

तत्पश्चात

माँ सरस्वती का मंत्र – बसंत पंचमी (basant panchami) 

mata saraswati mantra 

जैसे :

ऐं ।

ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः |

ॐ ऐं नमः |

ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः |

 ‘श्री ह्यीं सरस्वत्यै स्वाहा’

‘ॐ ऐं ह्वीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।’

में से या फिर माता के किसी और मंत्र से स्फटिक या बैजंती या तुलसी की माला से 108 बार जाप करे|

यदि मंत्र जाप कठिन लग रहा हो तो माता की आरती करके भी पूजन कर सकते है

माता सरस्वती की आरती पढने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर

click करें  माँ सरस्वती आरती

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