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27 nakshatra,know good and bad nakshatras in hindiनक्षत्र
हिन्दू धर्म में जिस प्रकार ज्योतिष का महत्व है ठीक उसी प्रकार ज्योतिष में ग्रह नक्षत्रों का महत्व है।आपने अनेक बार ऐसा देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति कष्टों से दुखी होता है तो वो सबसे पहले ग्रह नक्षत्रों को ही कोसता है और एक प्रकार से वो सही भी होता है क्योंकि ग्रह नक्षत्रों का हमारे जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।
भाग्य को मानने वालों के लिए ग्रह-नक्षत्र बहुत महत्वपूर्ण होते हैं । वैदिक ज्योतिष शास्त्र तो पूरी तरह ग्रह नक्षत्रों पर ही आधारित है।
ब्रह्माण्ड में उपस्थित 9 ग्रहों के बारे में तो बहुत से लोग जानते हैं किंतु नक्षत्र क्या है , ये कम ही लोग जानते है तो आज हम जानेंगे
क्या है नक्षत्र?
what are nakshatra
साथियों ब्रह्माण्ड में अनेक आकाशगंगा है और सभी आकाशगंगा में भिन्न भिन्न तारें है और इन्ही तारों में सूर्य भी है और कुछ विशेष तारों के समूह भी है जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ज्योतिष में जिस प्रकार ग्रह महत्वपूर्ण हैं उसी प्रकार नक्षत्र भी महत्वपूर्ण हैं।
नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार नक्षत्र
Nakshatra according to hindu religion
पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी नक्षत्र चंद्रदेव की पत्नियाँ है और राजा दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ है। इन सभी नक्षत्रों अर्थात राजा दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ का विवाह चंद्रदेव से हुआ था। किन्तु चंद्रदेव को इन सभी पत्नियों में रोहिणी सबसे प्रिय थी, इसी कारण रोहणी के पास आते ( जोकि वृष राशि में पड़ता है ) चंद्र उच्च के हो जाते हैं ।
प्रत्येक नक्षत्र nakshatra में 4 पद या चरण होते हैं और 9 पदों या चरणों से मिल कर एक राशि बनती हैं, इन्ही नक्षत्रों nakshatras के भिन्न भिन्न संयोजन से 12 राशियों का निर्माण हुआ है
ये 12 राशियाँ निम्न हैं :- मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,धनु, मकर, कुम्भ, मीन
प्रत्येक राशि में 9 पद या 2.25 नक्षत्र आते हैं और प्रत्येक नक्षत्र का अपना एक विशेष गुण होता है , अब जो ग्रह जिस नक्षत्र में बैठा होता है उसी के अनुसार अपना फल प्रदान करता है जिसे पड़कर एक ज्योतिष सही और सटीक भविष्यवाणी कर सकता है ।
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कैसे जाने अपना नक्षत्र ?
How to know your nakshatra ?
हमारे जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में गोचर कर रहे होतें हैं वही हमारा जन्म नक्षत्र होता है। इसके लिए आपके पास आपके जन्म का समय , जन्म की तिथि और जिस जनपद ( district ) में आपका जन्म हुआ है-उसका नाम पता होना चाहिए
इतना पता होने से आप अपना नक्षत्र जीवन में कभी भी जान सकते हैं ,जन्म नक्षत्र पता होने से हमारा गुण , स्वाभाव सब पता चल जाता है ,सभी नक्षत्रों के अपने अपने देवता होते हैं।
विवाह के समय वर और वधू का कुंडली मिलान करते समय एक ज्योतिष नक्षत्र के भिन्न भिन्न पद यानि चरण के अनुसार ही मिलान करता है और भावी वर वधु के गुण बताता है।
कौन-कौन से हैं 27 नक्षत्र – 27 नक्षत्रों के नाम
Which are 27 Nakshatra – names of 27 Nakshatra
अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
वैसे तो सभी ग्रह , सभी राशियाँ और सभी नक्षत्र शुभ होते है और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार ही फल देते हैं किन्तु नक्षत्र स्वामी के अनुसार इन 27 नक्षत्रों को भी तीन भागों में बांटा जा सकता है – उत्तम (उत्कृष्ट ) नक्षत्र, मध्यम नक्षत्र और अधम ( निकृष्ट) नक्षत्र।
उत्तम (उत्कृष्ट ) नक्षत्र Good Nakshatra
उत्तम नक्षत्रों में कार्य सिद्ध होने की अधिक सम्भावना रहती है और इनमे जन्मे बालक / बालिका सभ्य सुशील होते हैं, इन 15 नक्षत्रों को उत्तम (उत्कृष्ट ) नक्षत्र माना जाता है – रोहिणी, अश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा, पुनर्वसु।
मध्यम नक्षत्र Medium Nakshatra
मध्यम नक्षत्रों में हमारे जीवन में मध्यम प्रभाव डालते है और कभी इन नक्षत्रों में कार्य सिद्ध भी हो जाते हैं और कभी नही होतें हैं ,इनमे जन्मे बालक / बालिका सामान्य स्वाभाव के होते हैं।
इन 8 नक्षत्रों को मध्यम नक्षत्र माना जाता है:- पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा।
अधम नक्षत्र ( अशुभ ) Bad Nakshatra
अधम नक्षत्रों में कार्य सिद्ध होने की सम्भावना सबसे कम रहती है,इन 4 नक्षत्रों को अधम नक्षत्र माना जाता है और इनमे कभी भी कोई शुभ काम करने से बचना चाहिए।
इन 4 नक्षत्रों को अधम नक्षत्र माना जाता है:- भरणी, कृतिका, मघा और आश्लेषा।
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निष्कर्ष :
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