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कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग कैसे बनते हैं ? Kundli Yoga to be a Successful Doctor
Kundli Yoga to be a Successful Doctor- कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग कैसे बनते हैं आइए आज हम इस विषय पर चर्चा करते हैं , मित्रों आज सभी युवाओं के मन मे अपने करियर को लेकर एक चिंता होती है। अपने जीवन मे करियर का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण विषय होता है जिसमे युवाओं के लिए ज्योतिष एक मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकता है।
किसी की भी कुंडली में दूसरा व पंचम भाव का संबंध शिक्षा से होता है जिसमे दूसरे भाव से प्राथमिक शिक्षा और और पंचम भाव से उच्च शिक्षा का पता चलता है। अब यदि यदि पंचम व दशम भाव मे परस्पर संबंध बन रहा हो और ये किसी न किसी रूप से छठें या बारहवें भाव से भी जुड़ा हो तो व्यक्ति के चिकित्सा के क्षेत्र में जाने की सम्भावना बन जाती है।
किसी भी व्यक्ति के एक सफल चिकित्सक बनने के लिए गुरू का लग्न, पंचम व दशम भाव से जुड़ाव होना आवश्यक होता है , गुरु किसी भी व्यक्ति उपचार करके उसे स्वस्थ्य कर सकता है। जबकि मंगल हमारे जीवन मे साहस, चीड़-फार, रक्त ,आपरेशन आदि का कारक होता है। गुरु और मंगल की कृपा से धैर्य और साहस दोनों एक साथ आते हैं
वहीं चन्द्रमा औषधि से जुड़ा ग्रह है और जब चन्द्रमा अच्छा होता है तब ही डाक्टर के द्वारा दी गई औषधि लाभ देती हैं । ज्योतिष के द्वारा रोजगार का चयन किया जा सकता है लेकिन इसके लिए आपको कुंडली की सहायता से अपनी मौलिक प्रतिभा पहचाननी होगी , इसके लिए बहुत ही सावधानीपूर्वक ये देखना होगा कि कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग कैसे बनते हैं
क्योंकि यदि आप अपनी संतान को डाक्टर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी संतान की कुंडली के योग को देंखे और ये जानने का प्रयास करें कि
कुंडली मे डॉक्टर बनने के योग कैसे बनते हैं ?
Kundli Yoga to be a Successful Doctor
कुंडली मे 6 th भाव रोग , ऋण , शत्रु का है और जब भी लगेश या कार्मेश का बलवान संबंध 6 th भाव से बनता है तो जातक के चिकित्सा जगत से जुड़ने की अत्यधिक संभावना बन जाती है
जैसे
- सूर्य और मंगल की पंचम भाव में युति हो तथा शनि अथवा राहु षष्ठस्थ हो तो जातक सर्जन बनता है।
- लग्र में वृषभ अथवा वृश्चिक राशि का सूर्य चिकित्सा शास्त्र के प्रति रुचि जागृत करता है। यदि लनेश का संबंध 6 th भाव से भी बन रहा हो तो जातक के चिकित्सा जगत से जुड़कर काम करने की अत्यधिक संभावना बन जाती है
- कुंडली मे पंचम भाव में मिथुन, तुला या कुंभ का बुध हो और 10 th भाव मे 10 th भाव का स्वामी बैठ हो तो भी जातक सफल चिकित्सक बनता है।
- वृश्चिक राशि में बुध तथा तृतीय भाव पर चंद्र की दृष्टि जातक को कुशल मनोचिकित्सक बना देती है।
- यदि सिंह लग्र हो और मंगल नवामांश मे उच्च का हो तो जातक शल्य चिकित्सा में प्रवीण होता है।
- यदि गुरु की दृष्टि कुंडली मे केंद्र स्थान मे बैठे हुए मंगल पर हो तो जातक चिकित्सा व्यवसाय से जुड़ता है।
- यदि सिंह या धनु लग्र हो और दूसरे स्थान का सूर्य बैठे हों और षष्ठेश 10 th या 11 th बैठे हों तो चिकित्सा क्षेत्र मे जाने की संभावना बलवान होती है ।
- यदि कुंभ लग्र में वृश्चिक राशि मे दशम भाव में मंगल बैठे हों तो जातक सफल सर्जन बनता है।
- यदि मिथुन, तुला अथवा कुंभ लग्र हो तथा बुध तृतीय भाव मे बैठे हों तो और लग्नेश या चंद्रमा बलवान हो तो ऐसा व्यक्ति सफल चिकित्सक बनता है।
- यदि कर्क लग्र हो और 6 th भाव में गुरु और केतु की युति हो तो जातक होम्योपैथिक डॉक्टर बन सकता है।
- यदि सिंह लग्र की कुंडली हो और अष्टम भाव में सूर्य बैठे हों और भाग्य स्थान मे शुक्र बैठे हों तो जातक डाक्टर बनता है।
- कुंडली मे शनि द्वादशस्थ हो अपनी उच्च राशि मे हों तो भी चिकित्सा क्षेत्र मे जाने की संभावना बलवान होती है ।।
- कुंडली मे सूर्य बुध या सूर्य शुक्र की युति हो अथवा बुध तृतीयस्थ हो, शुक्र द्वितीय भाव में तो भी चिकित्सा क्षेत्र मे जाने की संभावना बलवान होती है ।
- यदि कुंडली मे एकादशभाव मे मंगल हो और तृतीयेश पंचम भाव मे बैठे हों तो जातक स्त्री और बाल रोग विशेषज्ञ बन जाता है।
- यदि पंचम भाव में राहु-सूर्य अथवा बुध के साथ स्थित हो और कर्मेश ( 10 th भाव स्वामी ) की इन पर दृष्टि हो तो जातक सफल चिकित्सक बन सकता है।
- यदि कुंडली मे कर्मेश, सूर्य अथवा मंगल के नवामांश में स्थित है तो जातक सफल चिकित्सक बन सकता है।
- यदि दशम स्थान पर लग्र में वृश्चिक राशि हो तथा दशम स्थान पर चंद्र मंगल की युति हो तो चिकित्सा क्षेत्र मे जाने की संभावना बलवान होती है । ।
- यदि शनि की सूर्य और राहु पर दृष्टि हो एकादश भाव स्वामी और 6 th भाव स्वामी की युति एकादश भाव में हो तो जातक चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ता है।
- कर्क लग्र की कुंडली हो और गुरु दशम भाव मे बैठे हों और सूर्य 2 nd भाव मे हों और मंगल से इनकी युति हो तो जातक सफल चिकित्सक बनता है। अथवा कर्क लग्र की कुंडली में द्वादश भाव में शुक्र और बुध की युति हो तो भी जातक सफल चिकित्सक बनता है। ।
- मीन लग्र की कुंडली हो और लग्र भाव में, धन भाव में, भाग्य भाव में अथवा कर्म भाव में गुरु मंगल की युति भी व्यक्ति को चिकित्सक बनाती है।
- यदि कुंडली में षष्ठभाव (6 th ) में कर्कराशि का सूर्य, सप्तम भाव मे सिंह राशि का मंगल और दशम भाव मे वृश्चिक राशि का शनि हो तो जातक के डाक्टर बनने का सपना पूरा होता है ।
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निष्कर्ष :
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