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महिलाओं में एनीमिया (anemia) लक्षण, कारण और उपचार a 2 z
रक्त की कमी या खून की कमी या एनीमिया (anemia)एक ऐसी समस्या है जिसका सामना महिलाओं को अधिकतर करना ही पड़ता है क्योंकि प्रकृति ने ही महिलाओं के शरीर को इस प्रकार बनाया है।
चूँकि महिलाओं को हर महीने माहवारी का सामना करना पड़ता है जिसमे महिलाओं के शरीर से दूषित रक्त निकलता है लेकिन दूषित रक्त के साथ साथ बहुत सारे आवश्यक खनिज एवं धातुएं भी शरीर से निकल जाती हैं जिससे महिलाओं का शरीर कमजोर हो जाता है।
अब यदि महिलाओं का खान पान अच्छा हो तो शरीर में एनीमिया (anemia)को रोका जा सकता है किन्तु भारतीय महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति उतनी सचेत नही रह पाती है जितना उन्हें होना चाहिए इसीलिए महिलाएं एनीमिया (anemia)से सबसे अधिक पीड़ित पाई जाती हैं।
जो महिलाएं माँ बनने वाली होती है उनके लिए एनीमिया (anemia)जानलेवा भी हो सकता है क्योंकि तब उन्हें सामान्य दिनों से अधिक पोषण की आवश्यकता होती है क्योंकि गर्भवती महिला के भोजन में से कुछ भाग महिला के पेट में पल रहे बच्चे को भी जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को और अधिक पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है।
सामान्यतः प्रत्येक महिला मासिक धर्म के दौरान बहुत अधिक रक्त गवां बैठती हैं लेकिन ये मासिक धर्म बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्त्री को माँ बनने के लिए तैयार करता है लेकिन इससे महिला के शरीर में कमजोरी आ जाती है जो महिला के प्रसव के समय बहुत ही खतरनाक हो सकतीं है।
माहवारी से महिला के शरीर का दूषित रक्त तो निकलता ही है साथ में शरीर के लिए आवश्यक अवयव भी निकल जाते है इसलिए महिलाओं को पोषक तत्वों से भरपूर पौष्टिक भोजन ही लेना चाहिए जिससे शरीर में उत्पन्न हुई रक्त की कमी दूर हो सके इसके लिए ऐसा भोजन लेना चाहिए जिससे रक्त की कमी दूर हो सके।
ऐसे में आयरन से भरपूर भोजन बहुत ही आवश्यक है , यदि किसी स्त्री के शरीर में आयरन की कमी पहले से ही हो तब उस स्त्री के एनीमिया (anemia)से पीड़ित होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
आयरन की कमी से एनीमिया (anemia)का संबंध
आयरन की कमी से एनीमिया (anemia)का क्या संबंध है इसको समझने के लिए पहले समझते है की हमारे शरीर में रक्त का क्या काम है।
हमारे रक्त की लाल रक्त कणिकाओं (red blood cells) में एक प्रोटीन होता है जिसे हिमोग्लोबीन कहते हैं। हिमोग्लोबीन हमारे शरीर में फेफड़ों में एकत्रित वायु से ऑक्सीजन को लेकर शरीर के विभिन्न भाग तक पहुंचाता है। शरीर में हिमोग्लोबीन का स्तर तभी सही रहता है जब शरीर को आयरन उचित मात्र में मिलता रहता है । यदि शरीर में आयरन कम होगा तो हिमोग्लोबीन भी अपने आप ही कम हो जायेगा।
शरीर में हिमोग्लोबीन का कम बना रहना ही एनीमिया (anemia)कहलाता है।
अब चूँकि महिलाओं को प्रत्येक माह मासिक धर्म आता ही है और शरीर से दूषित रक्त निकलता ही है इसलिए महिलाओं में रक्त की कमी उत्पन्न हो जाती है , अब यदि स्त्री चिकित्सीय परामर्श से अथवा स्वंम, पौष्टिक आहार लेती रहे और ऐसा भोजन ले है जिससे शरीर में आयरन की कमी न हो तो ऐसी स्त्री को एनीमिया (anemia)नही होता है लेकिन यदि स्त्री अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक न रहे तो एनीमिया (anemia)से पीड़ित हो सकती है ।
गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन तो और भी अधिक आवश्यक है क्योंकि आयरन की कमी से इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है और जिससे उस महिला और पेट में पलने वाले उसके बच्चे दोनों ही को हानि हो सकती है ।
भारत में जागरूकता के अभाव में 70 – 80 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया (anemia)से पीड़ित हैं । ऐसे में जो महिलाएं अपने भोजन में पौष्टिक तत्वों को नही लेती है वो एनीमिया (anemia)का शिकार हो जाती हैं।
एक स्वस्थ स्त्री जिसका मासिक धर्म चल रहा हो, को प्रतिदिन 28 mg आयरन की आवश्यकता होती है जबकि एक कप दूध से मात्र 0.1 ग्राम आयरन ही मिल पाता है। । कैफीन जो कॉफी, चाय, कोला और कुछ दवाओं में भी होता है,हमारे शरीर में आयरन को अवशोषित होने से रोकता है , ये आयरन पर जम जाता है जिससे आयरन हमारे शरीर में अवशोषित नहीं हो पाता है
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कैसे पता करें कि हमे एनीमिया (anemia)है ?
यदि आप पुरुष है और आपके शरीर में रक्त की जांच में में हिमोग्लोबिन की मात्रा 12 से 16 प्रतिशत है और यदि आप महिला हैं और आपके शरीर में रक्त की जांच में हिमोग्लोबिन की मात्रा 11 से 14 के बीच होना चाहिए तो आपको एनीमिया (anemia)नही है लेकिन यदि इस स्तर से कम है तो ये कहा जा सकता है कि आपको एनीमिया (anemia)है ।
कैसे पहचाने की हमे एनीमिया (anemia)है ? || एनीमिया (anemia)के लक्षण
त्वचा का सफेद दिखना।
शरीर में बहुत अधिक कमजोरी या बहुत अधिक थकावट होना ।
नाखूनों, जीभ और पलकों के भीतर सफेदी दिखाई पड़ना ।
सांस फूलना।
लेटकर एवं बैठकर उठने में चक्कर आना।
बेहोशी छाना ।
एनीमिया (anemia)के कारण
एनीमिया (anemia)के अनेक कारण है जिनमे सबसे प्रमुख कारण ऐसा भोजन करना है जिसमे लौह तत्व अत्यधिक कम मात्रा में होता है ।
इसके अतिरिक अनेक कारण हैं जैसे जैसे :
दुर्घटना, चोट, घाव आदि में शरीर से रक्त का अधिक बहना
उल्टी, खांसी या शौच ( बवासीर ) जैसी स्थिति में रक्त का अधिक बहना।
मच्छर के काटने से मलेरिया होने के बाद शरीर में लाल रक्त कण कम हो जाना ।
मासिक धर्म में अधिक मात्रा में रक्त निकल जाना।
किसी भी कारण से होने वाले खूनी दस्त से रक्त की कमी हो जाना।
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एनीमिया (anemia)से कैसे बचे ?
एनीमिया (anemia)का उपचार और रोकथाम
- विटामिन A हमारे शरीर की संक्रमण से रक्षा करता है जोकि गहरे पीले फल,हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां और खट्टे फल से प्राप्त हो जाता है । इसी के साथ मूली, गाजर, टमाटर, शलजम, खीरा जैसी कच्ची सब्जियां और अंकुरित दालों को भी नियमित भोजन में लेना चाहिए।
- विटामिन C वाले खाद्य पदार्थ लें क्योंकि विटामिन C लेने से शरीर आयरन को ठीक प्रकार से अवशोषित कर लेता है ।
- ऐसा भोजन लें जिसमे आयरन प्रचुर मात्रा में हों जैसे पालक लौह तत्वयुक्त चीजों का सेवन करें।
- कम आयु में और बार बार गर्भधारण करने से बचें ।
- संभव हो तो सब्जी इतियादी लोहे की कड़ाही में पकाएं।
- चाय भोजन से मिलने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को नष्ट कर देती है इसलिए भोजन के बाद चाय न लें ।
- किसी भी संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल ही प्रयोग करें।
- स्वच्छ शौचालय का ही प्रयोग करें।
- यदि मच्छर काटने से बुखार आया हो तो डेंगू / मलेरिया की जांच कराकर उसका उपचार करें ।
- आयरन के साथ फोलिक एसिड भी लें क्योंकि फोलिक एसिड शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कण बनाने के लिए आवश्यक होता है । नियमित फोलिक एसिड लेने से एनीमिया (anemia)का रोग नही होता है। फोलिक एसिड गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियां,मूंगफली,अंडे,कुकुरमुत्ता (मशरूम) इतियादी से सरलता से मिल जाता है ।
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