Apara Ekadashi 2024 अपरा एकादशी कब है

Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी कब है?जाने शुभ मुहूर्त,महत्व,तिथि,पारण का समय,व्रत कथा और पूजन सामग्री आदि सम्पूर्ण जानकारी

Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी कब है?जाने शुभ मुहूर्त,महत्व,तिथि,पारण का समय,व्रत कथा और पूजन सामग्री आदि सम्पूर्ण जानकारी

Apara Ekadashi 2024 : अपरा एकादशी जिसे हम अचला एकादशी भी कहते हैं ज्येष्ठ के महीने में कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। वर्ष की सभी एकादशी  के दिन प्रभु विष्णु का पूजन होता है इसी प्रकार अपरा एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी है। जम्मू और कश्मीर ,पंजाब , हिमाचल, हरियाणा आदि राज्य में अपरा एकादशी ही भद्रकाली एकादशी कहलाती है जबकी उड़ीसा मे इस एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी कहा जाता है जिसमे भगवान जगन्नाथ को पूजा जाता है ।

अपरा एकादशी का व्रत हमे पापों से मुक्ति देकर जन्म मरण के बंधन से मुक्त करने वाला है  और साथ ही ये एकादशी हमारी यश, कीर्ति को बढ़ाती है। धन में वृद्धि करती है। अपरा एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी जी की कृपा प्रदान करता है। इस एकादशी को भारत के विभिन्न भागों मे भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है।

Apara Ekadashi 2023 अपरा एकादशी

अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त Apara Ekadashi 2024 Shubh Muhurat

अपरा एकादशी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होती है और इस वर्ष ये तिथि 02 जून 2024 को प्रात: 5 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो रही  है। 3 जून 2024 को प्रातः  2 बजकर 41 मिनट पर ( यानि 2 जून की रात के 12 बजे के बाद का समय ) पर अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) का समापन है ।

अपरा एकादशी तिथि 2024  Apara Ekadashi Tithi (अपरा एकादशी कब है)

हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्यउदय के समय जो तिथि होती है , उस पूरे दिन वही तिथि मानी जाती है इसलिए चूंकि उदया तिथि 02 जून को है इसलिए 02 जून 2024 के दिन अपरा एकादशी व्रत रखा जाएगा।

अपरा एकादशी व्रत का पारण का समय Apara Ekadashi 2024 ka paran ka samay

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2024) सोमवार के दिन 3 जून 2024, सोमवार को प्रातः 08 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक व्रत का पारण कर सकते हैं ।

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अपरा एकादशी का महत्व (Significance of Apara Ekadashi)

भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अपरा एकादशी के महत्व के बारे में बताया कि इस एकादशी का व्रत – ब्रह्मा हत्या का पाप ,सगोत्री की हत्या करने का पाप ,परस्त्रीगामी होने का पाप ,गर्भस्थ शिशु को मारने का पाप , परनिंदा का पाप जैसे दोष और अन्य पाप दूर करने वाला होता है । यदि हम उचित प्रकार से व्रत का पालन करें तो हमारे सभी पाप क्षमा हो जाते हैं। अपरा एकादशी का व्रत रखने से भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्री स्तुति मंत्र Sri Stuti Sri Stuthi

अपरा एकादशी कथा  Apara Ekadashi katha

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक राजा हुआ करता था। महीध्वज का छोटा भाई वज्रध्वज अपने भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था और उससे बहुत ही ईर्ष्या करता था। एक दिन अवसर देखते हुए उसने राजा महीध्वज की हत्या कर दी और उसके शव को ले जाकर एक वन में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया।

हत्या से हुई अकाल मृत्यु होने के कारण राजा महीध्वज की आत्मा प्रेत बनकर उसी पीपल के पेड़ पर निवास करने लगी। उस मार्ग से जो भी व्यक्ति निकलता था उसे राजा की आत्मा बहुत परेशान करती थी। एक दिन एक तपस्वी ऋषि पीपल वाले मार्ग से निकल रहे थे तो आत्मा उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी ।

तपस्वी ऋषि ने ये सब देख पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतरने के लिए कहा और राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए परलोक विद्या का उपदेश दिया और साथ ही प्रेत योनि से मुक्ति के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। जब द्वादशी के दिन व्रत पूरा हुआ तो उन्होंने इसका पुण्य प्रेत को दे दिया। अपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त हो गई और स्वर्ग को प्राप्त हुई ।

अपरा एकादशी व्रत की पूजा की विधि Apara Ekadashi Poojan Vidhi

अपरा एकादशी के दिन प्रातः शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- सुथरे कपड़े पहन व्रत का संकल्प करें , इसके लिए हाथ मे गंगा जल लेकर संकल्प ले । भगवान विष्णु का ध्यान करके उन्हे भोग लगाएं जिसमे तुलसी पत्र अवश्य प्रयोग करें , दूध, फल, फूल, मिठाई , पंचामृत अर्पित करें।

भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और धूप, दीप अर्पित करें , भगवान विष्णु का पूजन कभी अकेले न करें बल्कि माँ लक्ष्मी की पूजा भी करें। भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा एक साथ ही की जाती है  , पूजन मे हुई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा मांगे । ऐसा करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

इस दिन भगवान विष्णु को मौसम के जैसे आम या केले , गुड़, चने की दाल, खरबूजा, ककड़ी और मिठाई को भोग लगाए इसके साथ ही गाय के दूध की खीर का भोग भी लगा सकते हैं।

अपरा एकादशी के दिन मंत्र जाप

भगवान विष्णु के सरल मंत्र 

ॐ नमोः नारायणाय॥

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

भगवान विष्णु का गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

भगवान विष्णु की स्तुति 

श्री विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

अपरा एकादशी पूजन सामग्री Apara Ekadashi Poojan Samagri

भगवान श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति अथवा का चित्र जिसमे माँ लक्ष्मी भी हो और साथ ही पीले पुष्प, फल ( केला अवश्य रखे) ,सुपारी, धूप, दीप, घी,  मिठाई , पीले वस्त्र , पंचामृत, अक्षत, हल्दी, लौंग, नारियल, तुलसी दल, चंदन,कलावा यानि मौली आदि

Remark ( conclusion)

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