शनि देव (shani dev) तुला मे उच्च क्यों?saturn postive & negative impact

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शनि देव (shani dev) तुला मे उच्च क्यों?saturn postive & negative impact

शनि देव ( shani dev – saturn ) दंडाधिकारी हैं,शनि तुला में उच्च के इसीलिए होते हैं क्योंकि न्याय करते समय वो पक्षपात न करें, तुला लग्न / राशि ( तराजू ) में व्यवहार /कर्म / भावनाओं आदि समस्त गुणों को तोलने का और उसके अनुरूप reply देने का नैसर्गिक गुण है ( अर्थात जैसे कर्म वैसा फल)
शनि देव ( shani dev ) दंड देने से पहले दंड देने का आधार बनाते हैं इसलिए आपको भ्र्ष्टाचार, आतंकवाद, चोरी ,लड़ाई झगड़े आदि कर्म की ओर प्रेरित करतें हैं,यदि आप इनसे बचे हैं तो आपको शनि अच्छे हैं अर्थात आप पहले ऐसे कर्मो से दूर थे।

शनि देव ( shani dev ) दंडाधिकारी हैं,जब उनके द्वारा हमें कष्ट नही मिलते हैं तो हमारा भाग्य साथ देने लगता है और हम उन्हें भाग्य विधाता का नाम दे देते हैं,
हमे ये सोचकर ऐसा बोलते हैं कि कदाचित शनि देव हमारी चाटुकारिता से प्रसन्न हो जाये और हमारे कष्ट दूर हो जायें इससे हमारे कष्ट दूर नही होते हैं बल्कि उनकी तीव्रता कम हो जाती है और समयावधि अधिक हो जाती है

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जैसे आपके 1 हज़ार रुपये एक ही दिन गिर जायें अथवा 5 – 10 रुपये अनेक वर्षों में गिरें जब तक कि 1 हज़ार बराबर न हो जाएं।
शनि देव ( shani dev ) को दंड देने का दायित्व मिला है और साथ ही शनि को कर्म का देवता कहा जाता है क्योंकि आपसे वो ही कर्म करवाने हैं जिसे आपको दंड मिले।

Signs of negative shani dev – saturn

यदि आपका बच्चा बार बार झूठ बोलता है ,वो सिगरेट पीने वाले के बगल में बैठकर धुँआ सूँघने का प्रयास करता है, स्कूल से दूसरे बच्चो की copy, books etc चुरा लेता है तो उस बच्चे का शनि ठीक नही है , इस स्थिति में उसे सूर्य – चंद्र ( माता पिता )की देखरेख में रखना ही होगा ।
यदि उसके शनि देव ( shani dev ) मित्र / स्वराशि मे बैठे होंगे और / या शनि पर बृहस्पति की दृष्टि होगी तो वो आगे सुधर जायेगा अन्यथा …

शनि देव ( shani dev )
ऐसे में उसे सूर्य – चंद्र ( माता पिता ) की देखरेख चाहिए।उसे सूर्य उदय से पहले उठायें,और शनि – राहु तत्वों से दूरी बनवायें ।

अधिकतर  देखा गया हा कि जब भी कुंडली में शनि देव ( shani dev ) अच्छी स्थिति में नहीं होते है तो राहु भी अच्छा फल नहीं देते हैं किन्तु जब शनि अच्छे होते है तो राहु भी अच्छा ही फल देते हैं 

शनि देव ( shani dev ) हमारे जीवन के सकरात्मक और नकरात्मक पक्षों को दर्शाते है जैसे हमारे जीवन का संघर्ष ,दुःख  रोग , लड़ाई झगडे,चोरी , मिथ्यारोप , पीठ और पैरों से जुड़े कष्ट , अनैतिक संबंध , भ्रष्टाचार , न्याय, आवास, नौकर चाकर , नौकरी में उन्नति , लम्बी यात्राएँ आदि 

शनि देव ( shani dev ) प्रसन्न हों तो जीवन में दुःख न के बराबर होते हैं और शनि देव कुपित हों तो ऐसा कोई दुःख नही होता है जो जीवन में न हो अतः यदि आपकी कुंडली मे शनि निर्बल हो या कुपित हो तो शनि को संतुलित और प्रसन्न करना अति आवश्यक है और इसके लिए आप शनि देव की नित्य आराधना करें और नीचे दिये गए मंत्रों का जाप करें।

शनि ग्रह के बीज मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

शनि ग्रह का एकाक्षरी मंत्र :  ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’

शनि देव के मन्त्रों की जाप संख्या : 23000

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शनि देव की पूजन विधि : शनिवार के दिन रात्रिकाल में मंत्र को 108 बार जपें।

शनि ग्रह का दान : तिल, तेल, लोहा, काजल,काले वस्त्र,साबुत उड़द की दाल, जूते चप्पल आदि

शनिदेव से जुड़े कुछ महतवपूर्ण तथ्य ( shanidev’s facts )

(saturn impact on life)

  1. शनिवार को लोहा,तेल,तिल,चमड़ा इतियादी खरीदने से शनिदेव जाग्रत होते है, अब यदि कुंडली में अच्छे हुए तो अच्छा और यदि बुरे हुए तो बुरा फल देते है । लोहा,तेल,तिल,चमड़ा इतियादी खरीदने से हानि नही होती है बल्कि ऐसा करके आप शांत शनि को जाग्रत कर देतें हैं।
  2. शनिदेव पर यदि शत्रु ग्रह की दृष्टि होती है तो वो हमारी कुंडली में मित्र होते हुए भी यथा उचित लाभ नही दे पाते हैं।
  3. यदि आपके जूते चप्पल शीघ्र फट या टूट जाते है या वाहन बार बार ख़राब होता रहता है अथवा घर या बाहर के सेवक वर्ग हमारी सुनते नही है तो ये भी हमारी कुंडली के शनिदेव ख़राब होने का संकेत है।
  4. यदि हमारी घर में अनेक बार चोरी हो चुकी है या या बाहर कहीं जाते हुए हमारा  सामान चोरी हो जाता है तो ये भी हमारी कुंडली के शनिदेव ख़राब होने का संकेत है।
  5. यदि हमारे द्वारा 5 -10 या उससे भी अधिक वर्षो पूर्व किये गये किसी कार्य के द्वारा वर्तमान में हमारे कार्यक्षेत्र अथवा सामाजिक मान सामान पर कोई नया संकट खड़ा हो जाना भी हमारी कुंडली के शनिदेव ख़राब होने का संकेत है।
  6. यदि पति पत्नी में 5 -10 या उससे भी अधिक वर्षो पूर्व किये गये किसी कार्य के द्वारा संबंधो में टकराव होना ।

शनिदेव (shanidev) न्यायधीश होते है और न्याय के लिए तुला होना आवश्यक है, जिसके पुण्य अधिक उसी की ओर झुक जाना है इसीलिए शनिदेव तुला राशि में उच्च के माने जाते है।का जीवन पर प्रभाव)

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