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नीलम पहनकर करें शनिदेव प्रसन्न-नीलम रत्न(blue saffire) का प्रभाव,इतिहास,गुण और असली या नकली नीलम
blue saffire: नीलम एक महँगा और शीघ्र प्रभावशाली रत्न है। इसका स्वामी शनि ग्रह है। नीलम रत्न अनेक प्रकार के होता है जैसे नीला नीलम, श्वेत नीलम, हरा नीलम, बैंगनी नीलम आदि। लेकिन मुख्यतः ये आसमानी, चमकीले गहरे नीले, मखमली नीले आदि रंग का होता है।
विभिन्न भाषाओं में इसका भिन्न-भिन्न नाम है। संस्कृत में इसे नीलमणि, इंद्रनील मणि, तृषाग्राही, फारसी में नीलाबिल याकूत, कबूद, हिन्दी में नीलम और अंग्रेजी में सैफायर या ब्लू सैफायर नाम से जाना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नीलम की कठोरता 8 है और आपेक्षिक घनत्व 40.3 होता है , वर्तनांक 1.76 और दुहरावर्तन 0.008 होता है।
नीलम रत्न का इतिहास
नीलम रत्ना का इतिहास काफी पुराना है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दैत्यराज बलि के नेत्रों से नीलम का जन्म हुआ। भारतीय ग्रंथों में नीलम के दो प्रकार बताए गए हैं- पहला जलनील और दूसरा इंद्रनील
नीलम रत्ना के अंदर से निकलने वाली आभा सफेद होने पर उसे जलनील कहते हैं और नीली आभा वाले को इंद्रनील कहते हैं । वास्तव में नीलम नीले और लाल रंग का मिश्रण से उत्पन्न बैंगनी रंग का होता है।
कुछ लोगों के अनुसार सर्वश्रेष्ठ नीलम भारत के कश्मीर राज्य में मिलते हैं। रत्न विशेषज्ञों की धारणा है कि श्रेष्ठ व प्रसिद्ध नीलम भारत की खानों में ही मिले हैं। सन् 1887 में रीवां राज्य के खजाने में पाया जाने वाला नीलम सबसे बड़ा और तौल में 951 कैरेट वजन का था। भारत के अतिरिक्त श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, अमरीका, अफ्रीका, म्यांमार आदि में भी नीलम मिलता है।
नीलम का प्रभाव
सभी रत्नों में मात्र नीलम ही ऐसा रत्न है जो देखते-ही-देखते अपना प्रभाव दिखा देता है। इसलिए नीलम रत्न धारण करने में अति सावधानी बरतनी चाहिए।
कब नीलम नही पहना चाहिए
- यदि नीलम रत्न पहनने के बाद आंखों की पीड़ा बढ़ जाए या मुखाकृति में अंतर आ जाए तो नीलम तत्काल उतार देना चाहिए।
- यदि नीलम रत्न धारण करने के बाद रात को डरावने या बुरे सपने आने लगें तो इसे नहीं धारण करना चाहिए।
- यदि कोई अनिष्ट हो जाए, तो नीलम को नहीं पहनना चाहिए।
नीलम के गुण
नीलम के विभिन्न गुणो मे कुछ प्रमुख गुण
- इसका रंग नीला होता है। लेकिन कुछ ज्योतिषियों के अनुसार मोर पंख के रंग वाला नीलम श्रेष्ठ होता है।
- इससे पतली-पतली नीली रश्मियां निकलती हैं।
- यह चमकीला एवं चिकना होता है।
- यह साफ व पारदर्शी होता है।
असली या नकली नीलम रत्न
यदि नीलम के पास तिनका लाया जाए तो वह उससे चिपक जाता है।
यदि नीलम को धूप में रखा जाये तो इससे तेज किरणें निकलती हैं।
यदि नीलम पानी के गिलास में डाल दिया जाए तो पानी से स्पष्ट नीली किरणें निकलती दिखाई देती हैं।
दूध में नीलम रखने पर दूध नीला दिखने लगता है।
ऐसा नीलम कभी न खरीदें
- जो नीलम दुरंगा हो वो संतान व पत्नी के लिए घातक सिद्ध होता है।
- जिस नीलम में लाल रंग के छोटे-छोटे बिंदु हों या सफेद धब्बे हों तो वो नीलम विषयुक्त होता है।
- जो नीलम दूधिया रंग का होता है वो कुल लक्ष्मी का नाश करता है।
- जिस नीलम में सफेद लकीरें हों वो शस्त्र आदि से मृत्यु अथवा मृत्यु तुल्य कष्ट प्रदान करता है।
- जिस नीलम में चीरा हो। यह निर्धनता बढ़ाता है।
- जिस नीलम में चमक न हो नीलम प्रिय बंधुओं का नाश करता है।
- जिस नीलम में जाल हो वो नीलम रोग बढ़ाता है।
- जिसमें गड्ढा हो वो नीलम शत्रुता बढ़ाता है।
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निष्कर्ष :
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