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कैसे 7 महिलाओं ने 50 पैसे को 1600 करोड़ बनाया- पदमश्री जसवंती बेन पोपट inspirational success story of lijjat papad
मुंबई महानगर में 15 मार्च 1959 के दिन जसवंती बेन पोपट ने अपनी 6 सहेलियों के साथ एक पापड़ बनाने का बिजनेस चालू किया और पहले दिन 50 पैसे की कमाई की , आज वो 7 महिलाओं का समूह 40000 से अधिक महिलाओं का समूह बन चूका है और पापड़ की कमाई 50 पैसे से बढ़कर 1600 करोड हो गयी है।
आइये जानते हैं ये चमत्कार कैसे हुआ
जसवंती बेन की संघर्ष की कहानी
Story of struggle of Jaswanti Ben
मुंबई के गिरगांव क्षेत्र के लोहाना निवास में रहने वाली जसवंती बेन पोपट जमनादास पोपट एक निर्धन परिवार से थी और निर्धनता के कारण घर चलाना बहुत कठिन हो गया था , जसवंती बेन पोपट की शिक्षा प्राइमरी क्लास तक हुई थी इसलिए अच्छी नौकरी भी नही मिल सकती थी
घर में इतने पैसे भी नही थे कि कोई व्यापार करे , जसवंती बेन भले ही कम पढ़ी-लिखी थी लेकिन उनमें व्यापार की अच्छीत समझ थी।
उन्होंने सोचा की क्यों न कुछ अपने जैसी और महिलायें एकत्रित करें और कुछ पैसा जोड़ कर साझे में व्यापार करे
अब जसवंती बेन ने अपने साथ और 6 निर्धन बेरोजगार महिलाओं को एकत्रित किया और अपने अपने घर की आर्थिक तंगी के विषय में बात करते हुए मिलकर कुछ काम शुरू करने की सोची और सबने मिलकर सोचा कि हम सब मिलकर पापड़ बनायेंगे और बाजार में बेचेंगी लेकिन इस काम के लिए उनके पास पैसे नही थे
व्यापार के लिए ऋण loan for business
इसलिए पैसों के लिए ये सातों महिलायें सामाजिक कार्यकर्ता और सर्वेंट ऑफ इंडिया सोसायटी के अध्यक्ष छगनलाल पारेख के पास गयीं और उनसे 80 रुपये उधार लिए , इन पैसों से इन सातों महिलाओं ने पापड़ बनाने की एक मशीन और पापड़ बनाने के लिए आवश्यक सामान खरीदा.
सभी महिलाओं ने पहले दिन पापड़ के 4 पैकेट बनाये जिसे गिरगांव के आनंदजी प्रेमजी स्टोर में बेच दिया । वर्ष 1959 के अंत तक इस महिला समूह ने 6 हजार रुपए के पापड़ की बिक्री कर ली जो उस समय एक बड़ी पूँजी थी।
अब सभी महिलाओं ने इस व्यापार में और अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया, पापड़ अच्छे होने के कारण पापड़ की और मांग आने लगी इनके पापड़ों की बिक्री दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी .
जसवंती बेन पोपट के इस समूह में उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, बानुबेन तन्ना, जयाबेन विठलानी और उनके साथ एक और महिला थी, यह सभी महिलाएं गुजराती परिवार से थीं और सभी जानते हैं कि गुजराती पापड़-खाखरा खाना और बनाना दोनों ही अच्छे से जानते हैं
छगनलाल पारेख ने इन महिलाओं को खाता संभालना, पापड़ की मार्केटिंग आदि के विषय में ट्रेनिंग भी दी .
जसवंती बेन पोपट का पापड़ बना लिज्जत पापड़
वर्ष 1962 में इस समूह ने अपने पापड़ को नाम दिया क्योंकि बिना नाम के ब्रांड वैल्यू नही बन सकती थी और वो नाम था ‘लिज्जत पापड़’। लिज्जत अर्थ स्वादिष्ट होता है। इसी वर्ष यानि 1962 में इस महिला समूह नाम ‘श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़’ रखा गया और 4 वर्ष बाद 1966 में लिज्जत को सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर करवा दिया गया
अब ये महिला समूह पापड़ के अतिरिक्त खाखरा, मवर्षा और बेकरी प्रोडक्ट भी बनाने लगा
कैसे बनता है लिज्जत पापड़ How to make Lijjat Papad
सबसे पहले लिज्जत पापड़ के सेण्टर पर आटा गुंदा जाता हैं और जो महिलाये घर पर लिज्जत पापड़ बनाने का काम करती हैं वह सुबह लिज्जत पापड़ के सेण्टर आकर गुंदा हुआ आटा अपने घर ले जाती है और घर पर पापड़ बेलकर पर दुसरे दिन उन पापड़ को सेण्टर ले आती हैं।
क्वालिटी चेक करने के लिए लिज्जत पापड़ के सेण्टर पर उन पापड़ को अच्छे से चेक किया जाता हैं और पापड़ बनाने का पेमेंट उसी दिन कर दिया जाता हैं,इस काम में एक महिला एक दिन में लगभग 650 रूपये कमा लेती है।अच्छी क्वालिटी चेक के कारण ही सभी पापड़ो का स्वाद एक जैसा ही होता है, लिज्जत के महिलाओं को लिज्जत सिस्टर नाम से बुलाया जाता हैं।
लिज्जत पापड़ है देश का सबसे बड़ा पापड़ ब्रांड
एक बिल्डिंग के छत से शुरू हुआ पापड़ का बिजनेस आज 17 राज्यों में फैला हुआ है और 82 ब्रान्चेस हैं , देश के साथ साथ विदेशों में भी निर्औयात किया जाता है लिज्जत पापड़ , आज र 80 करोड से अधिक के लिज्जत पापड़ और उनके अन्य उत्पाद को एक्सपोर्ट किया जाता हैं।
लिज्जत पापड़ के अनेक उत्पाद हैं जैसे लिज्जत मवर्षा,लिज्जत मिर्ची,ससा सोप और डिटर्जेंट आदि ।
आज जसवंती बेन के पापड़ ने 50 पैसे से ₹1,600 करोड़ का बिजनेस बनने तक और 7 महिलाओं को रोजगार देने से देश भर में 45,000 से अधिक महिलाओं को रोजगार देने तक की यात्रा कर ली है
जसवंती बेन को मिले पुरस्कार Awards to Jaswanti Ben
जसवंती बेन पोपट को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त हो चूका है । उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया ।
लिज्जत पापड़ को वर्ष 2002 में इकोनॉमिक टाइम्स का बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड,
वर्ष 2003 में देश के सर्वोत्तम कुटीर उद्योग सम्मान
वर्ष 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ब्रांड इक्विटी अवॉर्ड भी मिल चुका है
और ऐसे ही अनेकानेक अवार्ड्स मिल चुके हैं
कैसे काम करता है लिज्जत पापड़ उद्योग
ये लिज्जत पापड़ उद्योग औरों से थोडा हट कर है क्योंकि लिज्जत पापड़ उद्योग की अध्यक्षत कार्यकारी समिति से अलग अलग सदस्य बारी-बारी से सबकी सहमति बनते हैं , इसमें सभी के लिए सामान अवसर है ।
सभी शाखाओं का नेतृत्व एक संचालिका करती है और इन शाखाओं के सही प्रकार से संचालन के लिए 21 सदस्यों वाली एक केंद्रीय प्रबंधन समिति बनायी गयी है।
इस केंद्रीय प्रबंधन समिति में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, दो सचिव और दो कोषाध्यक्ष और 6 निर्वाचित अधिकारी होते हैं जिनका चुनाव सर्वसम्मति से किया जाता है और प्रति वर्ष बदल जाती हैं।
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