Ganga dussehra 2023 कब है गंगा दशहरा 2023

Ganga dussehra 2023: कब है गंगा दशहरा 2023,जाने इसका महत्व,दान,शुभ मुहूर्त,कथा आदि विस्तार से

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Ganga dussehra 2023: कब है गंगा दशहरा 2023,जाने इसका महत्व,दान,शुभ मुहूर्त,कथा आदि विस्तार से

गंगा दशहरा पर्व (Ganga dussehra 2023) : प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है आप सभी अब ये जानना चाहते होंगे कि वर्ष 2023 में कब है गंगा दशहरा। अनेक लोग असमंजस मे हैं कि गंगा दशहरा 29 को है या 30 मई को ।

आइए जानते हैं कब है गंगा दशहरा 2023 और साथ ही जानते हैं इसका महत्व,दान,शुभ मुहूर्त,कथा आदि

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर माँ गंगा भगवान की शिव की जटाओं से निकालकर धरती पर अवतरित हुई थीं इसी लिए इस दिन को गंगा दशहरा पर्व (Ganga dussehra 2023) के रूप मे सारा संसार मनाता है ।

गंगा दशहरा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा कहा गया है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मृत्यु को पश्चात व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।  Ganga dussehra 2023

कब है गंगा दशहरा 2023 (Ganga dussehra 2023 )

इस वर्ष 2023 में गंगा दशहरा 30 मई को मनाई जाएगी क्योंकि सूर्य उदय के समय से पर्व मनाया जाता है और 30 मई को सूर्य उदय के समय गंगा दशहरा है । वैसे ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को प्रारंभ हो जाएगी लेकिन 29 मई को सूर्य उदय के समय नवमी है इसलिए गंगा दशहरा (Ganga dussehra 2023 )पर्व 30 मई दिन मंगलवार 2023 को मनाया जाएगा।

गंगा आरती Ganga Aarti in Hindi & English

गंगा दशहरा का महत्व (Ganga Dussehra Significance)

ऋषि भागीरथ की तपस्या के बाद जब माँ गंगा माता धरती पर आई थी तब  ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की  दशमी तिथि थी और माँ गंगा के पृथ्वी पर प्रकट होने के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से पूरा संसार पूजता है ।

स्कंद पुराण में दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र दिया गया है और ये माना गया है कि इस दिन गंगा में खड़े होकर जो भी व्यक्ति गंगा स्तोत्र का पाठ करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित गंगा स्त्रोत का पाठ भी उत्तम होता है .

आप गंगा दशहरा के दिन जो भी पूजन कर्म और दान-पुण्य करें उसमे 10 का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि इस दिन 10 प्रकार के पापों का नाश करने वाला भी माना जाता है।

इस दिन 10 पंडितों को 10 प्रकार के दान देने चाहिए , गंगा जी में 10 डुबकी लगानी चाहिए । माँ गंगा के पूजन में किसी भी सामग्री का उपयोग करते समय भी संख्या 10 को ध्यान रखे जैसे 10 दीये, 10 प्रकार के फूल, 10 दस प्रकार के फल आदि।

ब्रह्मपुराण के अनुसार गंगा दशहरा के दिन जो गंगा स्नान करता है उसके दस प्रकार के पापों का नाश होता है और ये पाप इस प्रकार हैं 3 दैहिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक पाप हैं जैसे असत्य बोलना, हिंसा करना ,कड़वा बोलना, नास्तिक होना जैसे भगवान् को न मानना आदि

गंगा दशहरा 2023 शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra Shubh Muhurat 2023)

ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि 29 मई 2023 को प्रातः 11 बजकर 49 मिनट प्रारंभ हो जाएगी और दशमी तिथि का समापन 30  मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा जिसमे 30 मई 2023 को प्रातः 04 बजकर 29 मिनट से हस्त नक्षत्र प्रारम्भ हो जाएगा और 31 मई 31, 2023 को प्रातः 06 बजे तक रहेगा , हस्त नक्षत्र के समय गंगा दशहरा (Ganga dussehra 2023) की पूजा करना शुभ और लाभकारी होता है ।

30 मई 2023 को रात 8 बजकर 55 मिनट से व्यतीपात योग है और 31 मई को रात 8 बजकर 15 मिनट पर व्यतीपात योग समाप्त हो जाएगा।

गंगा दशहरा पूजन विधि

गंगा दशहरा के दिन भक्तों को सूर्य उदय से पहले उठकर पवित्र नदी गंगा में स्नान करना चाहिए और स्नान करते समय हर हर गंगे का जाप भी करना चाहिए , यदि गंगा में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही नहाने समय जल में गंगाजल की कुछ बूंदे डाल लें और स्नान करें।

यदि नदी मे स्नान कर रहें हों तो स्नान के बाद नदी मे खड़े होकर सूर्यदेव को देखते हुए अर्घ्य दें। घर मे भी स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करें और उसके बाद माँ गंगा की पूजा और गंगा आरती करें।

गंगा पूजन में प्रयोग होने वाली सामग्री 10 की संख्या में रखें । जैसे 10 फूल, 10 पान के पत्ते, 10 फल,10 दीपक और 10 प्रकार के नैवेद्य आदि । गंगा दशहरा के दिन निर्धन लोगों मे फल और कपड़े अवश्य दान करें। ऐसा करना अति शुभ फल दायक माना गया ।

गंगा दशहरा का दान

गंगा दशहरा के दिन गंगा माता का अनगिनत श्रद्धालु स्नान के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार निर्धनों में दान-पुण्य करते हैं ,

इस दिन अन्न, जल, फल, वस्त्र, पूजन व सुहाग की सामग्री, मटका, हाथ का पंखा, घी, नमक, तेल, चीनी, सत्तू, खरबूजा, आम आदि का दान भी बहुत शुभ और फलदायी माना गया है।

दान करते समय ये ध्यान रखें कि जिस वस्तु का दान करें उसकी संख्या 10 होना चाहिए

गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं ये 10 पापों मे 3 दैहिक, 4 वाणी ( वाचिक ) और 3 मानसिक पाप आते हैं.

इस दिन माँ गंगा की पूजन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. आप यदि पूजा के समय माँ गंगा के मंत्र  ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ का जाप करेंगे माँ गंगा के साथ साथ आपको नारायण का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा

गंगा दशहरा स्नान-दान का मुहूर्त 

गंगा दशहरा (Ganga dussehra 2023) के दिन स्नान-दान का मुहूर्त प्रातः 4 बजकर 3 मिनट से 5 बजे तक है।

Ganga dussehra 2023 कब है गंगा दशहरा 2023

गंगा दशहरा की कथा 

प्राचीन काल में अयोध्या मे राजा सगर का साम्राज्य था जिनके साठ हजार पुत्र थे। एक बार राजा सगर महाराज ने अश्वमेध यज्ञ करने  का विचार किया और अश्वमेध यज्ञ के घोडे को छोड़ दिया। राजा इन्द्र इस अश्वमेध यज्ञ असफल करना चाहते थे और उन्होंने अश्वमेध का घोड़ा महर्षि कपिल के आश्रम में छुपा दिया।

जब राजा सगर के साठ हजार पुत्र इस घोड़े को खोजते हुए आश्रम में पहुंचे तो वहाँ घोड़ा देखकर चोर-चोर चिल्लाने लगे। इससे महर्षि कपिल की तपस्या भंग हो गई और जैसे ही उन्होंने क्रोध मे अपने नेत्र खोले राजा सगर के साठ हजार पुत्रों में से एक भी जीवित नहीं बचा। सभी जलकर भस्म हो गए।

इन मृत आत्माओं की मुक्ति के लिए राजा सगर, उनके बाद राजा अंशुमान और फिर महाराज दिलीप तीनों ने घोर तपस्या की ताकि वह गंगा को धरती पर ला सकें किन्तु सफल नहीं हो पाए और अपने प्राण त्याग दिए।

गंगा जी को पृथ्वी पर लाने की आवश्यकता इसलिए पड़ गयी थी क्योंकि पृथ्वी का समस्त जल अगस्त्य ऋषि पी गये थे और पूर्वजों की शांति तथा तर्पण के लिए कोई नदी नहीं बची थी।

महाराज दिलीप के पुत्र ऋषि भगीरथ हुए और उन्होंने गंगा को धरती पर लाने के लिए घोर तपस्या की और एक दिन ब्रह्मा जी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और भगीरथ को वर माँगने के लिए कहा तब भागीरथ ने गंगा जी को अपने साथ धरती पर ले जाने की बात कही जिससे वह अपने साठ हजार पूर्वजों की मुक्ति कर सकें।

ब्रह्मा जी ने ऋषि भगीरथ से कहा कि मैं गंगा को तुम्हारे साथ भेज तो दूंगा लेकिन उसके अति तीव्र वेग को पृथ्वी सह न सकेगी , इसके लिए तुम्हें भगवान शिव की शरण लेनी चाहिए वही तुम्हारी सहायता कर सकते हैं ।

तब ऋषि भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या प्रारंभ कर दी , भगवान शिव भगीरथ की एक टांग पर खड़े होकर की गयी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा जी के अति तीव्र वेग सके को अपनी जटाओं में रोकने के लिए तैयार हो गए और गंगा जी को अपनी जटाओं में रोककर एक जटा को पृथ्वी की ओर छोड देते हैं जिससे गंगा पृथ्वी पर जा सके

इस प्रकार से गंगा के जल से भगीरथ अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाई और आज समस्त संसार अपने पापो से मुक्त होने के लिए माँ गंगा मे स्नान कर रहा है ।

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