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काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है – A Great Hindu Temple kashi vishvanath temple-Varanasi

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काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है – A Great Hindu Temple kashi vishvanath temple-Varanasi

kashi vishvanath temple: काशी विश्वनाथ मंदिर एक ऐसा तीर्थ , एक ऐसा मंदिर जिसके नाम में ही उसका अर्थ छुपा है | जी हाँ , काशी विश्वनाथ पूरे संसार के नाथ है पूरे विश्व के स्वामी है| वाराणसी में माँ गंगा के किनारे स्थित इस मंदिर में विराजित प्रभु भोलेनाथ के दर्शन करने पूरे विश्व से लोग आते है |

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है और पूरे विश्व में प्रसिद्ध है|

काशी विश्वनाथ शिवलिंग की महिमा का वर्णन पुराणों में हैं. पूरे संसार में सावन में शिव भक्त शिव के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं. 

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काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

History of Kashi Vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है और द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं । यहाँ शिव और पार्वती अनादिकाल से निवास करते है इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही पूरे संसार में प्रथम लिंग माना गया है। पौराणिक ग्रंथो जैसे  महाभारत और उपनिषद में भी काशी विश्वनाथ का वर्णन किया गया है।
 
ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 11वीं सदी में जिस समय सतयुग  चल रहा था ,  राजा हरीशचन्द्र ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था और उसके बाद सम्राट विक्रमादित्य ने जीर्णोद्धार करवाया था किन्तु काशी विश्वनाथ की उत्पत्ति आज भी एक रहस्य है 
 
भारत की समृद्धि देख मुहम्मद गौरी नाम के एक मुस्लिम लुटेरा भारत में लूट के उद्देश्य से आया और सन 1194 में उस लुटेरे ने भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वा दिया ।

किन्तु इसे बाद में पुनः बनाया गया लेकिन सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा एक बार फिर इसे तोड़ दिया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर को पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा बनवाया गया।
 
शाहजहां ने इस भव्य मंदिर की भव्यता और समृद्धि से चिढ़कर सन् 1632 में इस भव्य मंदिर को तोड़ने के लिए सेना भेज दी। तब सेना को  हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिसके कारण सेना काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी किन्तु काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए 
 
एक बार पुनः धर्मांध मुग़ल शासक औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह आदेश एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है।
 
औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई और 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूर्ण होने की सूचना दे दी गई 
 
धर्मांध मुग़ल शासक औरंगजेब हिन्दू धर्म को समाप्त करना चाहता था इसलिए औरंगजेब ने प्रतिदिन हजारों ब्राह्मणों को मुसलमान बनाने का आदेश भी पारित किया था । सूत्रों के अनुसार आज उत्तर प्रदेश के 90 प्रतिशत मुसलमानों के पूर्वज ब्राह्मण है।
 
मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर की मुक्ति के प्रयास किए। वर्ष 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा एक बार फिर काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया ।
 
सन् 1809 में काशी के हिन्दुओं ने धर्मांध मुग़ल शासक औरंगजेब के द्वारा बलपूर्वक बनाई गई मस्जिद पर अपना अधिकार लिया ,  काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास संपूर्ण क्षेत्र ज्ञानवापी मं‍डप का क्षेत्र है जिसे आजकल ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है।
 

काशी विश्वनाथ मंदिर में कितना सोना लगा है

लगभग 187 वर्ष के बाद एक बार फिर काशी विश्वनाथ मंदिर को सोने से मढ़ा गया है. वर्ष 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था जिसमे साढ़े 22 मन सोना लगा था
 
उसके बाद अब लगभग 187 वर्ष के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर (Shri Kashi Vishwanath Temple) के गर्भगृह की दीवारों पर 37 किलोग्राम सोने से परत चढ़ाई गयी है.
 
मंदिर प्रशासन के अनुसार गर्भ गृह के चारों चौखटों पर से चांदी की परत हटा कर उन पर भी सोने की परत चढ़ाई जायेगी. प्रशासन के मुताबिक गर्भ गृह की दीवारों पर स्वर्ण परत चढ़ाने में करीब 37 किलोग्राम सोने का उपयोग किया गया.

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा के अनुसार कई वर्ष पूर्व काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के विषय में सोचा गया था और एक रूपरेखा बनायीं गयी थी 

दशावमेध घाट – काशी विश्वनाथ के सबसे निकट का घाट

वाराणसी में माँ गंगा के किनारे अनेक घाट है लेकिन दशावमेध घाट प्रभु काशी विश्वनाथ के सबसे निकट का घाट है|संध्या के समय यहाँ होने वाली माँ गंगा की आरती के दर्शन देश विदेश से आये सैकड़ों भक्तजन करते है |

काशी विश्वनाथ का जो वर्तमान में मंदिर है , उसका निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन 1780 में करवाया गया था | ऐसा कहा जाता है कि रानी अहल्या बाई होल्कर के सपने में भगवान शिव प्रकट हुए थे और इसी बात से प्रेरित होकर रानी ने इसे मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया ।

कुछ वर्षो बाद महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने का छत्र बनवाया और महाराजा नेपाल ने यहाँ विशाल नंदी की प्रतिमा बनवाई । 

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हिन्दू धर्म में ये कहा जाता है कि प्रलयकाल में भी वाराणसी विलुप्त नही होती है । उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और प्रलयकाल बीत जाने पर इसे नीचे उतार देते हैं। हिन्दू धर्म कि मान्यता के अनुसार वाराणसी नगर की धरती सृष्टी के आरम्भ से है और सृष्टि के अंत तक रहेगी। भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने का कामना इसी स्थान पर तपस्या की थी और शिव जी को प्रसन्न किया था |प्रभु विष्णु के शयन काल में उनके नाभि से उत्पन्न कमल पर विराजित ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सारे संसार की रचना की।

अगर आप यहाँ कुछ दिन रुक कर धर्म लाभ लेना चाहे तो मंदिर के पास ही अनेक धर्मशाला व होटल है |

काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी दर्शन समय

Kashi Vishwanath Temple Varanasi Darshan Timings

प्रातः 2.30 बजे से काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट खुल जाते हैं,प्रथम आरती प्रातः 3 बजे होती है। इसके बाद पूरे दिन में पांच बार बाबा काशी विश्वनाथ की आरती की जाती है और अंतिम आरती रात्रि 10.30 बजे की जाती है और रात्रि 11 बजे मंदिर बंद कर दिया जाता है 

काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी जाने का सबसे अच्छा समय

Best Time to Visit Kashi Vishwanath Temple Varanasi

प्रभु काशी विश्वनाथ  की शरण में आप जब मन करें तब जा सकते है वैसे अक्टूबर से मार्च माह तक का समय यहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है | 

काशी विश्वनाथ मंदिर में भिन्न भिन्न समय पर होने वाली आरती में भाग लेने से दिव्य अनुभूति होती है | 

kashi vishvanath temple काशी विश्वनाथ मंदिर

कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर , वाराणसी

How to reach Kashi Vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर , उत्तर प्रदेश राज्य की प्रमुख नगर वाराणसी में स्थित है जोकि भारत के सभी प्रमुख नगरों से वायुमार्ग , रेलमार्ग  और सड़कमार्ग से भलीभांति जुड़ा हुआ है इसलिए काशी विश्वनाथ मंदिर बहुत ही सरलता से पहुंचा जा सकता है |

वायुमार्ग से कैसे पहुचे काशी विश्वनाथ मंदिर

How to reach Kashi Vishwanath Temple by flight 

देश के अन्य प्रमुख नगरों से वाराणसी के लिए नियमित उड़ानें हैं। वाराणसी हवाई अड्डा जिसे लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (Lal Bahadur Shastri International Airport (IATA: VNS, ICAO: VEBN) ) या बाबतपुर हवाई अड्डा भी कहा जाता है, से काशी विश्वनाथ मंदिर 24.8 km दूरी पर स्थित है। वाराणसी भारत के सभी प्रमुख नगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, और लखनऊ आदि से भलीभांति जुड़ा हुआ है |

रेलमार्ग से कैसे पहुचे काशी विश्वनाथ मंदिर

How to reach Kashi Vishwanath Temple by train

संकट मोचन मंदिर , वाराणसी में स्थित है और वाराणसी नियमित ट्रेनों के माध्यम से देश के अन्य प्रमुख नगरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वाराणसी train से जाने के लिए सबसे अच्छा है कि आप वाराणसी जंक्शन रेलव स्टेशन (varanasi junction railway station code – BSB ) पर उतरें | वाराणसी जंक्शन रेलव स्टेशन(varanasi junction) को ही Banaras Junction, Varanasi Cantt Railway Station और Banaras Cantt Railway Station के नाम से भी जाना जाता है | वाराणसी जंक्शन (varanasi junction) रेलवे स्टेशन , वाराणसी का मुख्य रेलवे स्टेशन है|

अथवा

आप पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (स्टेशन कोड – DDU ) (PT. Deen Dayal Upadhyaya Junction station code – DDU ) पर उतरे क्योंकि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर लगभग सभी रेलगाड़िया रूकती है और वाराणसी और आसपास के सभी जनपदों के निवासी पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से अपनी यात्रा करना पसंद करते है | पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से काशी विश्वनाथ मंदिर 14.6 km दूर स्थित है |

विभिन्न ट्रेनों का शुल्क और सीट उपलब्द्धता जाने के लिए यहाँ click करे  IRCTC 

सड़कमार्ग से कैसे पहुचे काशी विश्वनाथ मंदिर

How to reach Kashi Vishwanath Temple by road 

आप देश के सभी प्रमुख नगरों से वाराणसी जाने के लिए सुगमता से नियमित सरकारी और प्राइवेट बसें , टैक्सी उपयोग कर सकते हैं। आप 

उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम  की बसे भी प्रयोग कर सकते है जो उचित मूल्य पर वाराणसी जाती है .

काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट ही अन्य प्रसिद्ध मंदिर है जैसे  संकट मोचन मंदिर , वाराणसी और माँ विन्ध्यावाशनी , विन्ध्याचल , मिर्जापुर , यदि आप समय निकल कर यहाँ भी जाएँ तो आपकी यात्रा का आनंद दोगुना हो जायेगा |

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Also Read :- माँ विंध्यवासिनी,विंध्याचल,मिर्जापुर 

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