होली 2020

होली 2020 

holi utsav 

भारत एक हिन्दू धर्म प्रधान देश  है , यहाँ की संस्कृति संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है और साथ ही हिन्दू धर्म संसार का प्राचीनतम और सनातन धर्म है जिसमे नित्य दिन कोई न कोई पर्व होता ही है |  

हिन्दू धर्म के सभी पर्व अपनी अपनी अनोखी संस्कृति से जुडाव के कारण पूरे संसार में प्रख्यात है और ऐसा ही एक पर्व है होली पर्व जिसे संसार के सभी भागो में धूमधाम से मनाया जाता है |    

होली पर्व आनंद का, उमंग का , मस्ती भरा पर्व है |जीवन के आनंद और उमंग के इस पर्व में हम सभी लोगों से गले मिलते है उनको रंग लगाते है और उनके रंगों में अपने आप को भी सराबोर कर लेते है | होली की मस्ती, आनंद सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है और इसीलिए होली का आनंद लेने विदेशों से भी अनेक पर्यटक वृन्दावन – मथुरा आकर होली का आनंद लेते है|

latthmar holi

राधा जी के गाँव बरसाना, कृष्ण जी के नंदगाँव की लट्ठमार होली , लड्डू और फूलों की होली भी पूरे संसार में प्रसिद्ध है |

होली क्यों मनाई जाती है:-

(history of holi)

(Holi story)

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार प्राचीन समय में हिरन्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या कर ऐसा वरदान प्राप्त कर लिया था जिससे संसार में कोई भी जीव , चाहे वो पशु हो, जलचर (जल में रहने वाला) हो, कोई पक्षी हो ,पुरुष हो ,स्त्री हो,राक्षस या देवता हो ,हिरन्यकश्यप का वध नही कर सकता है , साथ ही न दिन में न रात में ,न किसी अस्त्र या शस्त्र से , न आकाश में , न जल में , न थल पर हिरन्यकश्यप को कोई भी नही मार सकता है और ऐसा वरदान पाकर हिरन्यकश्यप को अपनी मृत्यु का कोई डर नही रहा जिससे वो निरंकुश हो गया और मानवों के साथ साथ देवताओं पर भी अत्याचार करने लगा, हिरन्यकश्यप के अत्याचार से सभी त्राहिमाम करने लगे, किन्तु ठीक इसके विपरीत हिरन्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद प्रभु विष्णु का परम भक्त था और भगवान् विष्णु की भक्ति में सदैव लीन रहता था| चूँकि हिरन्यकश्यप को ये पता था कि उसे कोई मार नही सकता है इसलिए वो चाहता था की कोई भी भगवन विष्णु की पूजा न करे बल्कि हिरन्यकश्यप को ही भगवान् माने ,उसी की भक्ति करे किन्तु अपने पुत्र को ही अपनी आज्ञा के विपरीत जाते देख हिरनकश्यप ने प्रहलाद को मारने का आदेश दिया | जब अनेक उपाय करने पर भी हिरन्यकश्यप , प्रह्लाद को न मार सका तो अपनी बहन होलिका को ( जिसे अग्नि में भी कभी नही जलने का आशीर्वाद प्राप्त था ) को प्रह्लाद के वध का आदेश दिया | होलिका अपने भाई के पुत्र प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा कर प्रचंड अग्नि में ये सोच बैठ गयी कि उसे तो अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त है | ऐसा करने पर प्रभु विष्णु के आशीर्वाद से प्रह्लाद को तो कुछ भी नही हुआ लेकिन होलिका को मिला वरदान , वरदान के दुरुपयोग के कारण समाप्त हो गया और होलिका उसी अग्नि में समाप्त हो गयी | इस घटना के पश्चात भी हिरन्यकश्यप में कोई भी सुधार नही हुआ बल्कि वो प्रह्लाद को और भी कष्ट देने लगा और जब प्रहलाद ने कहा कि प्रभु विष्णु संसार के कण कण में है तो हिरन्यकश्यप ने अपने महल में लगे एक स्तम्भ ( खम्बे ) को दिखाते हुए प्रह्लाद से पूछा कि क्या तेरा प्रभु इस स्तम्भ में भी है तो प्रह्लाद ने कहा कि हाँ इस स्तम्भ में भी भगवान् विष्णु है तब हिरन्यकश्यप ने गदा से उस स्तम्भ को तोडना चाहा तो प्रभु विष्णु अपने नरसिंह अवतार में प्रकट हुए ,इस अवतार में प्रभु विष्णु – न पशु थे ,न पुरुष थे ,न स्त्री थे, और वो समय न दिन था,न रात थी ,न वो महल के अन्दर न बाहर थे,वो महल के द्वार के बीच में स्थित थे और इस अवस्था में भगवान् विष्णु ने हिरन्यकश्यप का वध किया और सभी को हिरन्यकश्यप के अत्याचार से मुक्ति प्रदान की |

भक्त प्रहलाद, हिरन्यकश्यप और होलिका से जुड़ी इसी घटना की स्मृति में आज पूरा संसार होली पर्व को धूमधाम से मनाता है|

होली कब है?

Holi date in Indian calendar

 
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व ,फाल्‍गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है|

इस वर्ष फाल्‍गुन माह की पूर्णिमा 10 मार्च 2020,मंगलवार को है जिस दिन रंगों की होली खेली जाएगी और 9 मार्च 2020 सोमवार को होलिका दहन होगा|

होली को खूब मनाये और पूरी मस्ती से मनाये बस होली मानते समय हमें कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए|

जैसे सर्दियाँ समाप्त होते ही होली का पर्व आता है और मौसम में थोड़ी बहुत ठण्ड रहती है इसलिए यदि कोई व्यक्ति रोगी है या उसे रंगों से एलर्जी है तो ऐसे लोगो के साथ प्राकतिक गुलाल से ही होली खेलें,साथ ही ये ध्यान रखे की कोई भी पर्व खुशियों का होता है तो नशे में आकर तेज गति से गाड़ी न चलाये क्यूंकि यदि कोई दुर्घटना होती है तो पीड़ित आप हो या कोई और हो लेकिन उसके परिवार की खुशियाँ समाप्त हो जाती है|

maihindu.com की ओर से आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामना

हैप्पी होली …

 

Leave a Comment

Scroll to Top