मुंडन संस्कार का क्या महत्व है – Mundan Sanskar – Chudakarm Sanskaar A 2 Z info
Mundan Sanskar : मुंडन संस्कार का क्या महत्व है इसे जानने से पहले ये जान लो कि हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार को ही चूड़ाकर्म संस्कार भी कहते हैं , ये 16 संस्कारों मे एक महत्वपूर्ण संस्कार है क्योंकि मुंडन संस्कार से जातक दीर्घायु और स्वस्थ होता है और मुंडन संस्कार या चूड़ा कर्म संस्कार के द्वारा गर्भावस्था की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं ।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों को महत्व दिया गया है जिसमें मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार आठवां संस्कार है । मुंडन संस्कार के द्वारा किसी भी बालक या बालिका के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता उत्पन्न होती है यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है और इसके साथ ही ऐसा माना गया है कि मुंडन संस्कार या चूड़ा कर्म संस्कार के बाद उसे बच्चों की पूर्व जन्मों के पाप का अंत हो जाता है या ऐसा भी कहा गया है कि उसे बच्चों के पूर्व जन्मों के श्रापों का नाश होता है ।
मुंडन संस्कार से पहले बच्चों की सर पर जो बाल होते हैं उन्हें अपवित्र माना गया है इसलिए मुंडन संस्कार के बाद ही कोई भी बालक या बालिका पवित्र हो पाते हैं ।
बच्चे का मुंडन कब करवाना चाहिए When Mundan Sanskar
should be performed?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी बच्चे का मुंडन उसके पहले वर्ष , तीसरे वर्ष , पांचवे वर्ष अथवा सातवें वर्ष में करवाना शुभ होता है और ऐसा करवाने से बच्चे का बौद्धिक और आत्मिक विकास बहुत अच्छा होता है
बच्चे के मुंडन मे मुहूर्त का महत्व Importance of auspicious time for Mundan Sanskar
किसी भी बच्चे का मुंडन करवाने से पहले पंडित से पंडित जी से मुंडन संस्कार या चूड़ा कर्म संस्कार का शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए और मुहूर्त सदैव किसी धार्मिक तीर्थ स्थान पर ही करना चाहिए , मुंडन संस्कार में शुभ नक्षत्र का भी बहुत अधिक महत्व है जैसे की यदि
किसी बच्चे का मुंडन संस्कार अश्विनी नक्षत्र , मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु चित्रा, स्वाती, जेष्ठ, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में होता है तो यह मुंडन संस्कार शुभ माने गए हैं लेकिन मुंडन करवाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी मुंडन जन्म नक्षत्र और चंद्रमा के चतुर्थ अष्टम और द्वादश भाव में स्थित होने पर नहीं करवाना चाहिए , यानि कि चंद्रमा बच्चे के जन्म के चंद्रमा से चौथे आठवे या बारवे भाव में नहीं होना चाहिए ।
मुंडन संस्कार मे बच्चे का चेहरा किस दिशा मे होना चाहिए
किसी भी बच्चे का मुंडन संस्कार करते समय उसे बच्चों की मां को बच्चों को अपनी गोद में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठ जाना चाहिए ।
मुंडन संस्कार के बाद क्या करें What to do after Mundan Sanskar
जब बच्चे का मुंडन पूरी तरह से हो जाता है यानि नाई अपने उस्तरे से बच्चों के सर के सारे बाल उतार देता है तो उसके बाद उस बच्चों के सर के ऊपर गंगाजल डालना चाहिए और उसके बाद बच्चों के सिर पर हल्दी चंदन का लेप करना चाहिए । इससे सर पवित्र हो जाता है ।
क्या अन्य धर्मों मे भी होता है मुंडन संस्कार Is Mundan Sanskar performed in other religions also?
मुंडन संस्कार या चूड़ा कर्म संस्कार हिंदू धर्म के साथ-साथ मुस्लिम संप्रदाय में भी मनाया जाता है , यह बात अलग है कि मुस्लिम धर्म में इस मुंडन संस्कार को अकीका कहते हैं जबकि हिंदू धर्म मे इस प्रथा को मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार कहते हैं ।
वैदिक काल मे मुंडन संस्कार Mundan Sanskar in Vedic period
पहले के समय में अर्थात वैदिक काल में बच्चों के जन्म के 40 दिन के भीतर ही मुंडन करवा दिया जाता था और बच्चा जब तक गुरुकुल में जाने योग्य नहीं हो जाता था तब तक उसके बालों को बढ़ने दिया जाता था और जब वह गुरुकुल जाता था तब उससे पहले उस बच्चे का दोबारा मुंडन करवाया जाता था और साथ ही जनेऊ संस्कार भी इस समय ही कर दिया जाता था।
मुंडन के बाद बालों का क्या करें What to do with hair after Mundan Sanskar
मुंडन संस्कार के बाद जो बाल कटे हुए रहते हैं , उन बालों को अपनी कुल की मान्यता के अनुसार या तो किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है अथवा कुलदेवी या कुल देवता के चरणों में अर्पित कर दिया जाता है , वही बहुत सारे लोग जो उनके ईष्ट देव होते हैं या भगवान होते हैं उनके आगे समर्पित कर देते हैं ।
मुंडन संस्कार की शुभ तिथियां Auspicious dates for Mundan Sanskar
मुंडन संस्कार में हमें शुभ तिथियां का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे द्वितीया तृतीया पंचमी सप्तमी दशमी एकादशी और द्वादशी तिथियां मुंडन संस्कार या चूड़ा कर्म संस्कार के लिए शुभ मानी जाती है इसी के साथ-साथ सोमवार बुधवार गुरुवार और शुक्रवार के दिन शुभ माने जाते हैं
Remark ( conclusion)
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