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पितृ दोष pitra dosh – Signs and easy remedies

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पितृ दोष pitra dosh – Signs and easy remedies

पितृ दोष (pitra dosh) – ग्रहीय पितृ दोष – संकेत और उपाय ( जो पूर्वजों / मृत  आत्माओं से उत्पन्न पितृ दोष से भिन्न होता है )

जब भी आपकी कुंडली मे सूर्य / गुरु निर्बल हों और उन पर शनि /राहु की दृष्टि हो या इनकी युति हो तो पितृ दोष (pitra dosh) का निर्माण होता है,

यदि ये दोष लग्न,2nd,5th,9th भाव में बन रहा हो तो स्थिति बहुत जटिल हो जाती है,जैसे सूर्य 2nd भाव मे हों और 12 th भाव मे बैठे शनि की सूर्य पर दृष्टि होना और / या 6th/8th भाव मे बैठे राहु की सूर्य पर दृष्टि होना ।

इस स्थिति में आपके परिवार में सभी लोगों  में एक दूसरे के साथ ” न इसके बिना रहा जाये और ना ही मुझको ये सहा जाये ” की स्थिति हो जाती है।

पितृ दोष (pitra dosh) के अनेक संकेत होते जो ये बताते है कि आपके घर-परिवार में पितृ दोष है जैसे

  • परिवार में दिन रात क्लेश होना,
  • घर की दीवारों पर मकड़ी के जाले लगना, दीवारों में दरार आ जाना, मकान का कोई न कोई भाग अधूरा रह जाना,
  • मेहमानों का घर न आना,परिवार में बड़ी आयु तक विवाह न होना,समाज से दूरी बनाने की प्रवृत्ति होना या समाज मे घुलने मिलने पर समाज के  द्वारा आपको अनदेखा करना या आपका उपहास करना , घर मे सबसे वृद्ध पुरूष सदस्य का अपमान होना,
  • आपके घर परिवार में एक दूसरे के प्रति सभी में बहुत प्रेम है किन्तु निरंतर छोटी छोटी बातों पर कलेश होता है और कलेश दूर करने का कोई उपाय नही मिलता है|
  • आपको या आपके परिवार के अन्य सदस्यों को छोटी सी बात पर ही अत्यधिक क्रोध आ जाता है जोकि शीघ्रता से शांत भी हो जाता है,
  • रिश्तेदारों से दूरियां बन जाती है |
  • घर परिवार मे अविवाहित पुरुषों / स्त्रियॉं की आयु अधिक हो जाने पर भी विवाह नही हो पाना ,कहीं बात भी चलती है,तो विवाह की बात बनते बनते बिगड़ जाती है|
  • परिवार में पुत्रियों संख्या अधिक या मात्र पुत्रियाँ ही होती है ,पुत्र या तो होंगे नही या अयोग्य होंगे |
  • आपकी शिक्षा ,योग्यता बहुत अच्छी होते हुए भी, न तो आपके पास कोई अच्छी नौकरी है, न ही कोई अच्छा व्यापार और ना ही कोई अन्य आय का साधन है | बड़ी कठिनाईयों से कोई नौकरी मिलती है /कोई छोटा मोटा व्यवसाय चलता है तो उसके भी छूट जाने / बंद हो जाने का डर लगा रहता है |
  • परिवार में एक या एक से अधिक सदस्य गंभीर रोगों से पीड़ित होते है जिसपर निरतर धन व्यय होता रहता है |
  • आपके परिवार की स्त्रियों का अनेकों बार गर्भपात हुआ है या किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हुई है और मृत्यु के बाद उचित प्रकार से अंतिम संस्कार नही हुआ है या अंतिम संस्कार हुआ ही नही है |
  • भोजन से अधिकतर बालों का निकलना , घर में मकड़ी के जाले बहुत लगते है ,साफ़ कर देने के बाद भी दुबारा लग जाते है |
  • कोई भी शुभ कार्य होने से पहले कलेश अवश्य होता है |
  • आपको लगता है कि आपके घर में कोई प्रेत बाधा है, कोई स्वप्न में आकर परेशान करता है |
  • आप जहाँ रहते है या काम करते है वहाँ किसी न किसी बात पर दूसरे लोगों से बहस होती ही रहती है आदि।

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पितृ दोष (pitra dosh)

पितृ दोष Pitra dosh – easy remedies

  • घर मे नित्य संध्या दीपक प्रज्वलित करें,
  • गाय – कुते – कौवे को अपने भोजन का अंश अवश्य दें जिसमें गाय को प्रथम रोटी दें,
  • घर में मकड़ी के जाले न लगने दे , दीवार की दरारों को सीमेंट / पुट्टी से भर दें
  • आधुनिकता में कुल- परिवार के पुराने नियमो की अनदेखी न करें,
  • कभी कभी घर मे गुरु जनों / विद्वानों को आमंत्रित करें ,
  • सूर्यउदय के समय उठने का प्रयास करें
  • बृहस्पतिवार के दिन संध्या समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है |
  • प्रतिदिन प्रातः काल स्नान के बाद तांबे के बर्तन में शुद्ध जल ले लें और उसमे रोली, अक्षत ( चावल ),पुष्प लेकर सूर्यदेव को इस प्रकार अर्पित करें कि अर्पित जल पर किसी का पैर न पड़े|
  • सूर्यदेव को जल अर्पण रविवार से प्रारंभ करे इसके साथ ही “ॐ घृणि सूर्याय नमः ” मंत्र का कम से कम 5 या 11 या 108 बार जाप करे |
  • सूर्योदय के समय स्नानादि के पश्चात् कुश के आसन पर खड़े होकर सूर्य को निहारने और उनसे अपने दुःख बताने और  गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है और पितृ दोष दुर्बल होता है | ( आपके पिता जीवित हैं तो उनका सम्मान करने पर ही ये उपाय काम करेगा | )
  • शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को संध्या काल में पानी वाला नारियल( जटा वाला ) अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते जल में प्रवाहित कर दें और अपने पूर्वजों से मांफी मांगकर उनसे आशीर्वाद मांगे।
  • अपने भोजन में से पक्षियों को दाना ( सात प्रकार का अनाज ) और कुत्तो का भी भोजन निकाले (इनसे क्रमश राहु और केतु प्रसन्न होते है) 
  • ब्राह्मण कन्याओं को भोजन करवाएं | संभव हो तो किसी निर्धन कन्या का कन्या दान करें |
  • ब्राह्मणों को गौ-दान करें और साथ ही वर्ष मे कम से कम एक बार पीपल या बरगद  आदि वृक्ष लगवाएं |घर में गंगा जल और तुलसी अवश्य और सम्मान के साथ रखें |
  • सूर्यग्रहण / चन्द्र ग्रहण कभी न देखे | 

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लोकेन्द्र पाठक 8533087800

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