sagar ratna success story of jayram banan zero 2 hero

कभी झूठे बर्तन धोये- sagar ratna success story of jayram banan zero 2 hero

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

कभी झूठे बर्तन धोये- sagar ratna success story of jayram banan zero 2 hero

(sagar ratna|सागर रत्ना– जयराम बनान )

(success story of jayram banan sagar ratna restaurant)

जिस व्यक्ति के पास 2 वक्त का खाना खाने के भी पैसे न हो, कौन जानता था कि उसका नाम देश के अरबपतियों में गिना जायेगा |

निरंतर चलने वाली नदी एक दिन सागर को रूप ले लेती है , ठीक ऐसे ही अपने बचपन में खेलने कूदने की आयु में दूसरों के झूठे बर्तन धोकर अपने लिए खाने की व्यवस्था करने वाले जयराम बानन भी आज सागर बन चुके है और आज वो chain of restaurant sagar ratna ( sagar ratna (सागर रत्न) समूह मालिक है |

जी हाँ हम उसी रेस्टोरेंट sagar ratna (सागर रत्न) की बात कर रहे है जो आज 35 से भी अधिक नगरों में है, जिनमे गुडग़ांव, चंडीगढ़, मेरठ,दिल्ली, लुधियाना जैसे अनेक नगर आते है |

sagar ratna (सागर रत्न) रेस्टोरेंट आज कितना बड़ा हो चुका है इसे हम इस बात से समझ सकते है कि देश की राजधानी दिल्ली में ही sagar ratna (सागर रत्न) के 30 से अधिक रेस्टोरेंट है , जबकि देश के उत्तरी राज्यों में इनकी संख्या 60 से भी अधिक है,इसके साथ ही विदेशों में सिंगापुर, बैंकॉक, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,ब्रिटेन जैसे देशों में भी sagar ratna (सागर रत्न) रेस्टोरेंट के आउटलेट्स है |

जयराम बनान आज Dosa King of North India के रूप में जाने जाते है और देश विदेश में 90 से भी अधिक शाखाओं वाले 250 करोड़ से भी अधिक मूल्य वाले south indian food के लिए प्रसिद्ध chain of restaurant sagar ratna के मालिक हैं |

sagar ratna (सागर रत्न) रेस्टोरेंट की सफलता की कहानी

success story of jayram banan sagar ratna restaurant  

जयराम बनान  का जन्म कर्नाटक के मंगलौर के निकट ‘उडुपी’ नाम के स्थान पर हुआ था |  जयराम बनान के पिता ऑटो ड्राइवर थे और साथ ही बहुत ही गुस्से वाले व्यक्ति थे ,जयराम बनान जब छोटे थे तो उनके पिता ,उनको छोटी छोटी गलतियों पर भी बहुत बुरी तरह से पीट दिया करते थे |

यहाँ तक कि कभी कभी तो क्रोध में आकर वो जयराम बनान की आँखों में मिर्च भी डाल दिया करते थे | जब जयराम बनान  मात्र 13 वर्ष के छोटे बालक थे तब वो अपने स्कूल की परीक्षा में वो फेल हो गये| जयराम बनान ये जानते थे की जब उनके पिता छोटी छोटी गलतियों के लिए ही उन्हें बहुत मारते है तो जब उन्हें जयराम बनान के परीक्षा में फेल होने की बात का पता चलेगा तब वो उनका क्या हाल करेंगे |

पिता के द्वारा मार पड़ने के डर से मात्र 13 वर्ष के जयराम बनान ने घर से भाग जाने का निर्णय किया लेकिन उनके पास पैसे नही थे तो जायेंगे कहाँ – ये सोचकर वो अपने घर गये और अपने पिता के पर्स से पैसे चुरा कर अपने घर को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ दिया और मुंबई जाने का निर्णय किया ,

जयराम बनान के साथ उन्हीं के गांव का एक और व्यक्ति मुंबई जा रहा था। उस व्यक्ति ने जयराम को नवी मुंबई के पनवेल में स्थित हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स की कैंटीन में काम पर लगवा दिया ।

आप समझ सकते है कि एक 13 वर्ष के बच्चे को हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स की कैंटीन में क्या काम मिल सकता था , जयराम बनान को उस कैंटीन में बर्तन धोने का काम मिला,इन बर्तनों में वो झूठें बर्तन भी हुआ करते थे जिन्हें लोग खाना खाने के बाद छोड़ दिया करते है | बर्तनों के साथ साथ कुर्सी टेबल भी साफ़ करनी थी और पूरे महीने भर की मेहनत का मेहनताना था 18 रूपए। ये वर्ष 1967 की बात है |

जयराम बनान ने काम करते समय कभी ये नही सोचा कि काम बड़ा है या छोटा ,उन्हें जो भी काम मिला उसे मन लगा कर किया और इसीलिए वो धीरे धीरे आगे बढ़ते गये , जैसे बर्तन धोने के साथ साथ उन्हें खाना परोसने का भी काम मिल गया यानि वेटर बन गये और वेटर के बाद हैड वेटर बन गये , इसके साथ ही साथ उन्होंने खाना बनाने का भी काम सम्भाल लिया , जिस कैंटीन में जयराम बनान ने झूठे बर्तन धोये थे , उसी कैंटीन में काम करते करते जयराम बनान को कैंटीन के मैनेजर बन गये  , जयराम बनान  की salary 200 रूपए महीना हो गयी |

हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स( HOC)  में 8 वर्ष काम करते हुए उन्हें कैंटीन / रेस्टोरेंट के काम की सभी बाते पता चल चुकी थी |

जयराम बनान उडुपी समुदाय से आते हैं और मुंबई को मसाला डोसा का स्वाद देने काम उडुपी समुदाय के लोगो ने ही किया है ,जिन्हें मसाला डोसा बनाने के काम में महारत होती है और पूरे मुंबई और मुंबई के आसपास के क्षेत्रों में मसाला डोसा बनाने के काम में लगे हुए है | इसीलिए कैंटीन में काम करते हुए जयराम बनान भी मसाला डोसा बनाने के काम में पारंगत हो चुके थे

जयराम बनान भी इस काम को करना चाहते थे लेकिन किसी की नौकरी नही बल्कि अपना काम करना चाहते थे किन्तु उस समय मुंबई में मसाला डोसा अनेक स्थानों पर पहले से ही बड़े पैमाने पर बिकता था और इस काम में मुंबई में करना थोडा कठिन था क्योंकि competition बहुत था |

जयराम बनान ने सोचा कि क्यों न इस काम को दिल्ली में किया जाए क्योंकि उस समय दिल्ली में south indian food चलन में कम ही था|

ये भी पढ़े : हरीश धरमदासानी,online business से earn करते हैं 3 करोड़ monthly

जयराम बनान की सफलता की कहानी

success story of jayram banan 

जयराम बनान 1973 में मुंबई से दिल्ली आ गये

जब वर्ष 1973 में जयराम बनान मुंबई छोड़ कर दिल्ली आए , उस समय में उनके भाई दिल्ली के एक उडुपी रेस्टोरेंट में मैनेजर का काम किया करते थे।

मुंबई में काम करते हुए जयराम बनान ने कुछ पैसे बचा लिए थे जिससे उन्होंने 1974 सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्‍स की कैंटीन का ठेका ले लिया|

दिल्ली आने तक जयराम बनान का विवाह नही हुआ था दिल्ली आने पर ही जयराम बनान का विवाह हुआ ।

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्‍स की कैंटीन का काम करते हुए उन्हें डोसे की अपनी स्वंम का restaurant खोलने का विचार आया क्योंकि उस समय दिल्ली में अच्छे स्वाद वाले डोसे महंगे और कम मिला करते थे । 1986 में जयराम बनान की डिफेन्स कॉलोनी में एक दुकान मिल गयी और लगभग 5,000 रुपये से उनका पहला डोसे का आउटलेट खुल गया |

जयराम बनान ने ये 5000 रूपए भी अपनी बचत और सगे संबंधियों की सहायता से इकठ्ठे किये थे | इस आउटलेट  ” सागर ” को खोलने में जयराम बनान ने बहुत ही रिस्क लिया था क्योंकि ये डोसा आउटलेट काफी बड़ा था जिसमे एक साथ 40 लोगों के बैठने की जगह थी और इसीलिए इस स्थान का एक सप्ताह का किराया 3,250 रुपये था |

sagar ratna success story of jayram banan zero 2 hero

जयराम बनान को अपने काम पर पूरा विश्वास था क्योंकि उनका एक ही मंत्र था ,ग्राहकों को कम पैसों में उच्च गुणवत्ता वाला भोजन , उनके पहले दिन की आय 470  रुपए की हुई थी| ये उनको उत्साह देने के लिए काफी था , उन्होंने अपने पहले restaurant sagar के मेनू और उसकी quality पर पूरा ध्यान दिया और उनके restaurant सागर रत्न पर डोसा खाने वालो की लाइन लगने लगी |

नॉन वेज खाने वाली दिल्ली को उनके डोसे सांभर का स्वाद लग गया , आगे चलकर दक्षिण भारतीय खाने के एक अन्य restaurant वुडलैंड को भी हासिल कर लिया और उसका नाम वुडलैंड से बदलकर सागर रत्ना रख दिया|

ये कहानी यूँ ही आगे बढ़ती गयी और उत्तरी भारत में ही सागर रत्न के 60 से अधिक आउटलेट्स खुल गये | दिल्ली में ही आज sagar ratna के 30 से अधिक आउटलेट्स हैं और देश विदेश में अनेक फ्रेंचाइजी हैं और होटल और restaurant इंडस्ट्रीज में sagar ratna (सागर रत्न) एक जाना माना ब्रांड है | तो ये थी success story of sagar ratna restaurant |

Remark :-  हम आगे भी ऐसी ही सफलता की उत्साहवर्धक कहानियों लिखते रहे इसके लिए आपके सहयोग एवं मार्गदर्शन की आवश्यकता है | अपने सुझावों के साथ हमारा मार्गदर्शन करें और इसके लिए comment box में comment करें |

ये भी पढ़े : IAS Rakesh Sharma Success -Blindness को दे challenge,1st attempt में बने IAS

 

ये भी पढ़े : राजा और मुर्ख बंदर की कहानी No1 funny Panchatantra Story of the king and the foolish monkey

ये भी पढ़े : जादुई पतीला :पंचतंत्र की कहानी-Panchatantra Story Magical Pot Story In Hindi

ये भी पढ़े : मूर्ख मगरमच्छ और चतुर बंदर की कहानी foolish crocodile and the clever monkey-panchatantra story in hindi

ये भी पढ़े : भूखी चिड़िया की कहानी Bhukhi Chidiya Ki Kahani- hungry bird story

ये भी पढ़े : भालू और लालची किसान की कहानी The story of the bear and the greedy farmer in Hindi-panchantra story

ये भी पढ़े : शेर चूहा और बिल्ली panchantra story lion cat and mouse in Hindi

ये भी पढ़े : मूर्खों का बहुमत- पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan The Majority of Fools Story In Hindi

**************************************

सरल भाषा में computer सीखें : click here 

**************************************

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

Leave a Comment

Scroll to Top