What is msp ?आओ जाने न्यूनतम समर्थन मूल्य,Minimum support price 2021

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

MSP kya hota hai ? what is msp 2021

आओ जाने Minimum Support Prices

msp

Farmers Protest in India

आज देश में MSP को लेकर किसानो ने आंदोलन किया हुआ है, विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसानो ने राष्ट्रीय राज्मार्गो पर जाम लगा रखा है और केंद्र सरकार से उनकी ये मांग है कि हमें दी जा रही MSP सरकार बंद न करे और सरकार हमारे अनाज को MSP पर ही खरीदे और साथी ही नये कृषि कानून को रद्द करे ।

किसानों के अनुसार सरकार ने जो हाल ही में नया कृषि क़ानून बनाया है उसमे तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) हैं  जिसके द्वारा  सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price ) को समाप्त करना चाह रही है।

नए कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानो की मांग है कि सरकार msp को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दे।

जबकि दूसरी ओर भारत सरकार का कहना है कि सरकार msp को नही हटा रही है , पहले जैसे ही किसानों की फसल msp पर ही खरीदी जाएगी बल्कि नए कानून से किसानो को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी क्योंकि निर्धन किसान तो पहले भी अपना अनाज ,अनाज मंडी  में  नही बेच पाता था बल्कि निर्धन किसान से बिचौलिए Minimum Support Prices से बहुत ही कम कीमत पर अनाज खरीद कर खुद सरकारी उपक्रमों को Minimum support price पर फसल बेच कर मोटा लाभ स्वंम कमाते  थे , 

सरकार के अनुसार पहले भी msp कभी भी कानूनी रूप से अनिवार्य नही था।जिस पंजाब राज्य के किसान बोल रहे है कि सरकार msp समाप्त कर रही है, जबकि उसी पंजाब राज्य के किसानो ने इस वर्ष सबसे अधिक msp का लाभ लिया है।

नय कानून के अनुसार किसान किसी भी मंडी में अपना अनाज बेचने के लिए स्वतंत्र होगा , इस प्रकार किसान को लाभ ही होगा नुक्सान नही होगा ।

देश में अनेक लोग MSP को समझते है लेकिन हमारे बहुत से ऐसे साथी हैं जो किसानो के आंदोलन को समझना चाहते है, कुछ लोग कह रहे है कि किसानो का आंदोलन ठीक है वहीं कुछ का कहना है कि सरकार MSP कैसे दे सकती है तो मित्रों हम समझाते है कि MSP क्या है ?

साथियों MSP का अर्थ होता है Minimum Support Prices,

तो आइए हम आपको बताते है की

  • msp क्या है ?
  • किसानों के लिए Minimum support price कैसे लाभदायक है ?
  • सरकार अनाज खरीद कर क्या करती है ?
  • msp कैसे तय किया जाता है ?
  • msp लागू न होने से किसान साथियों का क्या नुक्सान होगा ?
  • msp हमारे देश में कब से दी जा रही है?
  • पंजाब और हरियाणा के किसान ही क्यों कर रहे है विरोध  ?

आदि।

क्या होता है MSP? 

देश के किसान अपने खेतों में जो फसल उगाते है, उन फसलों को खरीदने के लिए सरकार एक न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है , जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य या अंग्रेजी भाषा में Minimum Support Price कहा जाता है ।

सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले ही कर देती है। 

msp सरकार की ओर से किसानो को दी गयी एक गारंटी है कि यदि किसानो का अनाज मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर न बिक सका तो सरकार किसानो के द्वारा उगाई गयी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि msp पर खरीद लेगी अर्थात किसी भी परिस्थिति में किसानो की फसल msp से नीचे नही बिकेगी। किसी एक फसल की msp पूरे देश भर के किसानो के लिए एक ही रहती है इस प्रकार सरकार के द्वारा फसल के लिए msp तय हो जाने पर किसान साथियों की चिंता बहुत ही कम हो जाती है।

किसानों के लिए msp कैसे लाभदायक है,

न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ (Benefits of MSP)

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि msp से किसानो को ये लाभ होता है कि मंडी में उस फसल का मूल्य भले ही कितना ही कम क्यों न हो, सरकार उसे पहले से तय एमएसपी (msp) पर ही किसानों से खरीदेगी, इससे किसानो को ये लाभ है कि यदि किसान की फसल का दाम msp से अधिक अनाज मंडी में मिल रहा होगा तो किसान मंडी में अपनी फसल बेच देगा 

और यदि मंडी में फसल के दाम सही नही मिल रहा होगा यानि कम मिल रहा होगा तब किसान अपनी फसल सरकार को msp पर बेच देगा ।

अब ये किसान पर निर्भर है कि वह फसल को सरकार को msp पर बेचे अथवा अनाज व्यापारी को बेचे । 

सरकार अनाज खरीद कर क्या करती है ?

सरकार स्थानीय सरकारी एजेंसियों के द्वारा किसानो का अनाज खरीदकर फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) और नेफेड के गोदामों में अनाज का भंडारण करती है और इसी अनाज ( मुख्यतः गेहूं और धान ) को इन गोदामों से सीधे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के द्वारा देश के निर्धन लोगों में सस्ते दामों पर वितरित करवा देती है।

  अब आपका ये सोचना भी स्वाभाविक है कि

  • कौन तय करता है msp ?
  • सरकार msp कैसे तय करती है ?

आइये जानते है

MSP कौन तय करता है? सरकार Minimum support price कैसे तय करती है ?

(msp कैसे तय किया जाता है ?)

देश में कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कृषि लागत एवं मूल्य आयोग नाम की एक  संस्था है, यही संस्था फसलों की  Minimum support price यानि MSP तय करती है।

अपने प्रारंभिक समय में इस संस्था को कृषि मूल्य आयोग (Agricultural Prices Commission) कहा जाता था , लेकिन बाद में फसल उगाने की लागत पर भी ध्यान दिया जाने लगा इसलिए इसका नाम कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हो गया। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) को ही Commission for Agricultural Costs and Prices भी कहा जाता है ।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) यानि Commission for Agricultural Costs and Prices  भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।

इसी आयोग की सलाह पर केंद्र सरकार फसलों की एमएसपी (msp ) तय करती है। वर्तमान में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा 23 कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि Minimum support price तय किए जाते हैं।

Also Read :- भाग्यशाली पेड़ पौधे 

वर्तमान में इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक सचिव, एक सदस्य (आधिकारिक ) और दो सदस्य (गैर-आधिकारिक) कार्यरत हैं। गैर-आधिकारिक सदस्य किसानों के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य करते है और किसानो से सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं।

सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले देश की आर्थिक आवश्यकताओं और देश में चल रही विभिन्न सरकारी योजनाओ को देखना होता है और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग  के लिए MSP तय करना काफी जटिल और समय लेने काम होता है ।

इसके लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को

  • विभिन्न फसलों की खेती में आने वाला खर्च ।
  • सरकारी गोदामों (एजेंसियों) की फसल भण्डारण क्षमता ।
  • वैश्विक बाजार यानि संसार के अन्य देशों में उस फसल की की मांग ।
  • विभिन्न क्षेत्रों में किसी विशेष फसल पर आने वाली की प्रति हेक्टेयर लागत ।

इतियादी के आंकड़े देखने पड़ते है ।

अंत में सभी जुड़े पक्षो और विशेषज्ञों से सलाह ली जाती है और इसके बाद आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति Minimum support price यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई अंतिम फैसला लेती है।

अब आप सोच रहें होंगे कि

msp हमारे देश में कब से दी जा रही है?

  • MSP कब शुरू हुई थी ?

  • MSP की शुरुआत कैसे हुई ?

तो आइये हम आपके इन प्रश्नों का उत्तर भी दे देते है ?

देश की स्वतंत्रता के बाद से ही हमारे देश के किसानो को इस बात की चिंता थी की यदि हमारे खेतों में बहुत अच्छी फसल हो जाये और फसल मंडी में उसे कोई खरीदे नही तो उस फसल का क्या होगा क्योंकि अनेक बार किसानो की फसल अच्छी हो जाती थी और मंडी में उसके सही पैसे नही मिल पाते थे इसलिए उस समय के किसान सरकारी सहायता के लिए आंदोलन करने लगे।

इस आंदोलन को देखते हुए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1 अगस्त, 1964 को एलके झा के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर दिया जिसे अनाजों की कीमतें तय करने का काम दिया गया ।

जनवरी 1965 में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को बनाया गया , जिसे कृषि उत्पादों पर आने वाली लगत और उसके मूल्य निर्धारित करने के उद्देश्य से ही स्थापित किया गया था। वर्ष 1966-67 में पहली बार गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया था ।

Also Read :-  सर्दियों में कैसा हो खान पान 

पंजाब और हरियाणा के किसान ही क्यों कर रहे है विरोध 

वर्तमान में msp के अंतर्गत 23 फसलों की ख़रीद की जा रही है ,जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है उनमे अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 अन्य व्यवसायिक फसलों को लिया गया है ।

इनमे  धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, मूंग, उड़द, मसूर,अरहर (तुअर), सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, कपास, जूट ,तिल मूंगफली, सोयाबीन आदि फसलों के दाम सरकार ने तय करती है ।

Minimum support price पर खरीदे जाने वाली फसल में मुख्य रूप से गेहूं और धान होती है क्योंकि विभिन्न सरकारी योजनाओं के द्वारा को सरकार को निर्धन लोगो को गेहूं और धान बांटना होता है इसलिए Minimum support price  पर किसानो से गेहूं और धान की बड़े स्तर पर खरीदारी होती है ।

अब चूँकि पंजाब और हरियाणा में सबसे अधिक गेहू और धान की खेती होती है इसलिए पंजाब और हरियाणा में Minimum support price  पर फसल की खरीद के लिए कियाजा रहा आंदोलन सबसे अधिक किया जा रहा है , 

आंकड़ो के अनुसार देश में मात्र 6 प्रतिशत पैसे वाले बड़े किसान ही Minimum support price का लाभ ले पाते है ।

छोटे किसान तो मंदी जा ही नही पाते है क्योंकि उन्हें बिचौलिए भ्रमित करके कम मूल्य पर ही उनका पूरा अनाज खरीद कर स्वंम मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचते है ।

सरकार का पक्ष 

भारत सरकार के अनुसार सरकार Minimum support price को कभी नही हटाएगी बल्कि नए कानून से किसानो को लाभ मिलेगा , पहले की तरह ही किसानों की फसल msp पर खरीदी जाएगी लेकिन सरकार किसानो की फसल को बिचौलियों के द्वारा खरीदे जाने का विरोध कर रही है ।

( * अपुष्ट सूत्रों के अनुसार इन बिचौलियों में बड़े बड़े किसान भी होते है और ये ही बड़े किसान आज महँगी महँगी गाड़ियों में ये आंदोलन कर रहे है , लेकिन maihindu.com इस खबर की पुष्टि नही करता है ।  * )

Minimum support price पर जब बात चल ही रही है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि 

केरल राज्य सब्जियों को Minimum support price देने वाला पहला राज्य बन गया है । 

केरल राज्य की सरकार ने 1 नवंबर 2020 से 16 प्रकार की सब्जियों के लिए आधार मूल्‍य (Base Price) तय कर दिया है, इस प्रकार केरल ,सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। 

सब्जियों के लिए दिया जाने वाला ये न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसे आधार मूल्य (Base Price) भी कहा जा रहा है , सब्जियों को उत्पादित करने में आने वाली  उत्पादन लागत यानि Production Cost से 20 प्रतिशत अधिक होगा । 

केरल के बाद हरियाणा भी देगा सब्जियों पर Minimum support price   

इसके मंडियों का सर्वे किया जा रहा है और संबंधित लोगो के सुझाव एकत्रित किये जा रहे हैं । 

remark : सुधि पाठको से निवेदन है कि दी गयी जानकारी में कोई त्रुटि हो तो हमारे संज्ञान में लायें , हम तत्काल उसमे सुधार करेंगे ।

अपने जानने वालों में ये पोस्ट शेयर करें ...

Leave a Comment

Scroll to Top